भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों में भारतीय सेना की वीरता के किस्से तो हमने खूब सुने हैं, लेकिन 1965 के युद्ध में 17 रेलवे कर्मचारियों ने भी अपने प्राणों की आहुति दी थी। हर साल 9 सितंबर को देश की पश्चिमी सीमा पर बाड़मेर जिले के गडरा रोड पर इन शहीदों की याद में एक मेला लगता है।
रेलवे कर्मचारियों के बलिदान को समर्पित भारत का एकमात्र मेला
मंगलवार को इन शहीदों के परिवार, ग्रामीण और रेलवे अधिकारी इस मेले में श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। यह भारत का एकमात्र ऐसा मेला है जो रेल कर्मचारियों के बलिदान को समर्पित है। उत्तर पश्चिम रेलवे कर्मचारी संघ, बाड़मेर शाखा द्वारा इसके लिए निमंत्रण पत्र वितरित किए जा चुके हैं। उनकी स्मृति में यहाँ एक शहीद स्मारक और रेलवे संग्रहालय भी बनाया गया है। जो इन वीरों की गाथा को जीवंत बनाए हुए है।
युद्ध के बीच रेलवे कर्मचारियों का अद्भुत पराक्रम
गडरा रोड के पास सेना के लिए रसद लेकर ट्रेन सीमा की ओर बढ़ रही थी। तभी पाकिस्तानी सेना ने ट्रेन पर बमबारी शुरू कर दी। रेलवे कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए पटरी की मरम्मत की और जलती हुई ट्रेन को बॉर्डर तक पहुंचाया. इस दौरान 17 रेलवे कर्मचारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी।
ये कर्मचारी शहीद हो गए
1 नंदराम, गैंगमेट
2 मुल्तानाराम, चित्रकार
3 भंवरा, कटेवाला
4 कर्ण ट्रॉलीमैन
5 माला रूपाराम गैंगमैन
6 हुमाराम, खलासी
7 माधा, गैंगमैन
8 रावता, गैंगमैन
9 हुकमा गैंगमैन
10 लाला, अगंदा गैंगमैन
11 चीमा गैंगमैन
12 सीमाराज, गैंगमैन
13 देवी सिंह, खलासी
14 जेहा, गैंगमैन
15 चुन्नीलाल, चालक
16 चिमन सिंह, फायरमैन
17 मधे सिंह फायरमैन।
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