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100-200 नहीं 2700 किलोमीटर की कठिन साइकिल यात्रा कर रामदेवरा पहुंचते हैं भक्त, जानिए क्या है इस अनोखी परंपरा की कहानी

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जालोर व अन्य जिलों से आए प्रवासियों में साइकिल से 100 या 200 किलोमीटर नहीं बल्कि 2700 किलोमीटर का सफर तय करने का जुनून है। सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन हर साल साइकिल सवार 25 से 30 युवकों का यह अनूठा समूह बेंगलुरू से निकलता है। यह समूह 25 दिन में 2700 किलोमीटर का सफर तय करता है और इसके बाद विभिन्न धार्मिक स्थलों का भ्रमण करते हुए रामदेवरा पहुंचकर बाबा रामदेव मंदिर (रूणिचा धाम) में माथा टेकता है। आज विश्व साइकिल दिवस है, इसलिए साइकिल से जुड़ी इस रोचक धार्मिक यात्रा की शुरुआत से लेकर वर्तमान स्थिति तक की विशेष रिपोर्ट। 2006 में शुरू हुई, 19 साल से जारी मूल रूप से मोदरा निवासी बेंगलुरू एकता साइकिल यात्रा संघ के अध्यक्ष रतन सिंह राजपुरोहित बताते हैं कि यात्रा को 19 साल पूरे हो गए हैं और इस बार 20वें साल में यह धार्मिक यात्रा 27 जुलाई को शुरू होगी। यात्रा 27 अगस्त को पूरी होगी। यात्रा से पहले बेंगलुरू में भजन संध्या और प्रसादी का आयोजन होगा।

पहले साल 10 यात्री हुए थे रवाना
वर्ष 2006 में रानीवाड़ा काबा निवासी गुलाब सिंह काबावत और सरत निवासी नरपत सिंह राजपुरोहित ने रामदेवरा जाने का विचार किया। रमेश माली और चंपालाल ने भी उनके विचार पर सहमति जताई। कुल 10 लोग साइकिल पर बेंगलुरू से रवाना हुए।साथ में एक सीएनजी ऑटो रिक्शा भी ले गए, जिसमें जरूरी सामान था। पहली बार यह जत्था 32 दिन में बेंगलुरू से रामदेवरा पहुंचा। दूसरे साल बेंगलुरू से 35 प्रवासी यात्री रामदेवरा के लिए रवाना हुए, अब हर साल औसतन 25 से 30 यात्री साइकिल से बाबा के दरबार पहुंचते हैं।

जबराराम 19 साल से साइकिल दान कर रहे हैं

आस्था की इस अनूठी यात्रा से दानदाताओं का एक बड़ा समूह भी जुड़ा है, जो इस पूरी यात्रा के लिए आर्थिक सहयोग और व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी उठा रहे हैं। गोल (उम्मेदाबाद) निवासी प्रवासी जबराराम पुत्र भरताराम हर वर्ष तीर्थयात्रियों के लिए नई साइकिल उपलब्ध कराते हैं। मूलत: दासपां निवासी रघुवीर सिंह पुत्र मंगू सिंह चौहान हर वर्ष जागरण व प्रसादी की व्यवस्था करते हैं। इसी प्रकार पिंटू सिंह चंपावत भी पिछले 18 वर्षों से व्यवस्था में आर्थिक सहायता एवं सहयोग की जिम्मेदारी उठा रहे हैं।

समूह इन स्टेशनों पर रुकता है

यह जत्था टुनकुर, सीरा, दावणगेरे, हुबली, धारवाड़, पुणे, सातारा, वापी, वलसाड, सूरत, वडोदरा, अहमदाबाद, दांतीवाड़ा, सुंधामाता, आशापुरी माताजी मोदरान, सारनेश्वर महादेव मंदिर शरत, सीरा मंदिर जालोर, धुम्बारा माताजी, धनेरी वीर, ब्रह्मधाम आसोतरा, जसोल होते हुए रामदेवरा पहुंचता है।

साइकिल के प्रति विशेष श्रद्धा

2700 किमी की दूरी तय कर रामदेवरा पहुंचने के बाद सभी भक्त अपने-अपने गांव पहुंचते हैं। ग्रामीणों द्वारा उनका बड़े धूमधाम से स्वागत किया जाता है। कुछ दिन रुकने के बाद ये प्रवासी अपनी साइकिलों के साथ बसों और अन्य साधनों से फिर से बेंगलुरू पहुंचते हैं। वहां तीर्थयात्रियों की साइकिलों को श्रद्धा से देखा जाता है। कुछ प्रवासी इन साइकिलों को मांगकर अपने घर ले जाते हैं।

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