आरएनटी मेडिकल कॉलेज के दिलशाद हॉस्टल में डॉ. रवि शर्मा की मौत के बाद पांच दिन से चल रही रेजीडेंट की हड़ताल से अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। एमबी अस्पताल समेत सभी छह सरकारी अस्पतालों की हालत खराब हो गई है। बता दें कि 4 से 5 घंटे तक लंबी कतार में खड़े रहने के बाद भी मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। पांच दिन में 450 से ज्यादा रूटीन ऑपरेशन टल गए। हड़ताल के चलते अस्पताल की हालत ऐसी हो गई है कि कई मरीज बिना इलाज के लौट रहे हैं। कई तो हड़ताल के चलते अस्पताल पहुंच ही नहीं रहे हैं। उधर, हड़ताल पर बैठे रेजीडेंट हादसे के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं। उन्होंने सोमवार को अस्पताल परिसर में रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन भी किया। हड़ताल का असर प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों पर भी पड़ा। प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी रेजीडेंट दो घंटे हड़ताल पर रहे, जिससे वहां कामकाज प्रभावित रहा।
150 फैकल्टी नहीं संभाल पा रहे मरीज
आरएनटी मेडिकल कॉलेज में करीब 800 रेजीडेंट डॉक्टर हैं। जो एमबी अस्पताल, महिला अस्पताल, बाल चिकित्सालय, बड़ा टीबी अस्पताल, सैटेलाइट हिरणमगरी, चांदपोल सैटेलाइट का काम संभालते हैं। पांच दिन से चल रही हड़ताल के कारण सभी अस्पतालों में काम कम हो रहा है। ओपीडी और आईपीडी मात्र 150 फैकल्टी डॉक्टरों के भरोसे रह गई है। 24 घंटे सेवा देने वाली इमरजेंसी और आईसीयू की हालत भी खराब है। वहां वरिष्ठ डॉक्टर चौबीस घंटे सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन वे अपर्याप्त हैं। वरिष्ठ और कनिष्ठ नर्सिंग स्टाफ के भरोसे काम चल रहा है। महिला अस्पताल की हालत और भी खराब है। रोजाना 90 से 100 के बीच रहने वाली ओपीडी कम हो गई है। कई लोग सीधे मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जा रहे हैं।
विरोध के बीच रेजीडेंट्स ने निकाली रैली
हड़ताल के कारण रेजीडेंट्स का विरोध जारी है। सोमवार सुबह सभी रेजीडेंट्स आरएनटी के प्रशासनिक भवन के बाहर एकत्र हुए। सभी ने नारेबाजी की। इसके बाद अस्पताल परिसर में रैली निकाली। इस दौरान उनके हाथों में तख्तियां थीं, वे पूरे रास्ते नारे लगाते हुए चल रहे थे। उल्लेखनीय है कि पांच दिन पहले डॉ. रवि की छात्रावास में मौत हो गई थी।
कुछ बिना इलाज के लौटे, कुछ नंबर न आने से मायूस
रेजीडेंट हड़ताल के कारण ओपीडी में मरीजों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। रोजाना 6500 से 7000 की ओपीडी घटकर 4500 से 5000 के बीच रह गई है। घटती ओपीडी के बीच कई मरीज ऐसे भी दिखे जो पर्ची कटने के बाद लाइन में लगे देखकर बिना इलाज के ही चले गए। कई मरीज इस बात से मायूस हुए कि 4-5 घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद भी उनका नंबर नहीं आया। अधिकांश पर्चियों पर वैकल्पिक तौर पर नियुक्त फैकल्टी डॉक्टरों ने मरीज की पूरी बात सुने बिना ही दवा लिखकर भेज दिया।
एक्स-रे, सीटी स्कैन तो दूर, मरीजों के ब्लड सैंपल और छोटी-मोटी जांचें भी टाल दी गईं। लाइन में लगकर इलाज कराने वाले मरीज खुद संतुष्ट नहीं दिखे। कई मरीजों को पर्ची पर रूटीन पेनकिलर लिखा देखकर बिना दवा लिए ही लौटा दिया गया। आपको बता दें कि एमबी अस्पताल में सोमवार को ओपीडी 4857 रही। इनमें 218 मरीज भर्ती हुए, जबकि 37 इमरजेंसी ऑपरेशन किए गए।
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