सीकर जिले में पिछले दो साल से मास्टर प्लान को लेकर चल रही खींचतान के बीच अवैध कॉलोनियों का जाल फिर से फैलने लगा है। मास्टर प्लान को लेकर सरकार के लगातार बदलते रुख का फायदा कुछ कॉलोनाइजर उठा रहे हैं। कई कॉलोनाइजर नए मास्टर प्लान के बाद पट्टे जारी करने का वादा भी कर रहे हैं।
अगर प्रशासन ने अभी सख्त कार्रवाई नहीं की तो ये अवैध कॉलोनियां मास्टर प्लान 2047 की राह में नई चुनौती बन सकती हैं। सूत्रों का दावा है कि बाईपास क्षेत्र से लेकर हर्ष रोड क्षेत्र तक 30 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां पनप चुकी हैं। अगर बाद में इन कॉलोनियों को मंजूरी नहीं मिली तो इन कॉलोनियों में प्लॉट लेने वाले लोगों की परेशानी बढ़ सकती है। पिछले एक हफ्ते में जिला कलेक्टर कार्यालय में पांच अवैध कॉलोनियों की शिकायतें भी पहुंची हैं।
इसलिए मिल रहा है अवैध कॉलोनियों को बढ़ावा
1. सरकारी जमीन में ही सुविधा क्षेत्र: विभाग ने मास्टर प्लान 2041 की जगह मास्टर प्लान 2047 जारी करने का दावा किया है। विभाग ने यह भी कहा कि नए गांव और बस्तियों को भी यूआईटी क्षेत्र में शामिल किया जाएगा। साथ ही सरकारी ज़मीन पर सुविधाएँ मुहैया कराने की बात भी कही है। विभाग के इस बयान के बाद अवैध कॉलोनियों के विकास में और तेज़ी आ गई है।
2. मास्टर प्लान पर राजनीतिक विवाद: शिक्षानगरी के नए मास्टर प्लान को लेकर दो साल से राजनीतिक विवाद चल रहा है। ऐसे में ज़्यादातर रियल एस्टेट कंपनियों ने नए मास्टर प्लान के बाद ही कॉलोनियों को मंज़ूरी दिलाने की तैयारी कर ली है। इसके चलते कई लोग न चाहते हुए भी अवैध कॉलोनियों में प्लॉट खरीदने को मजबूर हो रहे हैं।
दूसरी ओर, ज़मीन के दाम स्थिर
शहर में नई कॉलोनियों की बात ज़रूर उठी है, लेकिन ज़मीन के दाम अभी भी स्थिर हैं। यहाँ ज़मीन के दाम कमोबेश वैसे ही हैं जैसे आठ महीने पहले थे। इसकी पहली वजह सीकर से संभाग का दर्जा छिन जाना था, जिससे सीकर में ज़मीन के कारोबार में निवेश अचानक कम हो गया।
इसके बाद जब मास्टर प्लान ने ज़मीन के दाम बढ़ने की संभावना को जन्म दिया, तो उस पर उठे विवाद और टकराव के बाद सरकार के संशोधन प्रस्ताव ने ज़मीन के दाम फिर से रोक दिए। इसके चलते नई कॉलोनियाँ विकसित करने वाले व्यवसायियों को भी अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है।
पुरानी कॉलोनियों का मामला नहीं सुलझ रहा
मास्टर प्लान 2041 के सर्वेक्षण के दौरान नगर परिषद और यूआईटी क्षेत्र में अवैध कॉलोनियाँ पाई गईं। इन कॉलोनियों के लोगों ने मास्टर प्लान के प्रारूप के प्रकाशन के दौरान विरोध भी जताया। इन कॉलोनियों का मामला अभी तक सुलझा नहीं है और नई अवैध कॉलोनियाँ पनपने लगी हैं।
अधिकारी भी असमंजस में हैं कि इन्हें कैसे बसाया जाए
शिक्षानगरी में लगातार बस रही अवैध कॉलोनियों के मामले में अधिकारी भी असमंजस में हैं। कई कॉलोनियों के प्लॉट मालिकों ने जहाँ 2031 के मास्टर प्लान के अनुसार अनुमति माँगी है, वहीं नई कॉलोनियाँ बसाने वाले कई लोगों ने 2041 के प्रारूप के आधार पर आवेदन करने की तैयारी कर ली है।
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