राजस्थान में अंता विधायक कंवरलाल मीना ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। वहीं, तीन साल की सजा के मामले में कंवरलाल मीना के सरेंडर करने के बाद विधानसभा सदस्यता रद्द नहीं होने पर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। जबकि इससे पहले कांग्रेस नेता इस मामले में राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर चुके हैं। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने साफ कर दिया था कि कंवरलाल मीना की सदस्यता पर फैसला महाधिवक्ता की राय लेने के बाद ही लिया जाएगा। आपको बता दें कि कांग्रेस कह रही है कि अगर किसी भी विधायक को 2 साल से ज्यादा की सजा होती है तो उसकी सदस्यता खत्म कर दी जाएगी। लेकिन इसके बावजूद 3 साल की सजा होने के बाद भी कंवरलाल मीना की सदस्यता बरकरार है।
एक देश में दो कानून कैसे हो सकते हैं?
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार संविधान की खुलेआम अवहेलना कर रही है। कंवरलाल मीना को सजा हुए 21 दिन बीत चुके हैं, लेकिन सदस्यता रद्द नहीं की गई है। वहीं राहुल गांधी की सदस्यता 24 घंटे में ही समाप्त कर दी गई। एक देश में दो कानून कैसे हो सकते हैं? टीकाराम जूली ने कहा है कि वे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करेंगे। उनका कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्पष्ट है कि दोषी विधायक की सदस्यता स्वत: समाप्त होनी चाहिए, तो उसे लटकाना न्यायिक आदेश की अवहेलना है। उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा अध्यक्ष अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में विफल रहते हैं, तो न्यायालय की निगरानी में न्याय की उम्मीद है। हम इस देरी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर न्याय की अपील करेंगे।
मामले को लटकाने और बचाने की साजिश
पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने सरकार से सवाल किया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कंवरलाल मीना की तीन साल की सजा को बरकरार रखा है, तो अब तक उनकी सदस्यता क्यों नहीं रद्द की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यक्ष जानबूझकर एजी की रिपोर्ट का बहाना बनाकर मामले को लटकाने और बचाने की साजिश कर रहे हैं। डोटासरा ने कहा कि राजस्थान इस समय भीषण गर्मी, पानी और बिजली संकट से जूझ रहा है, लेकिन सरकार का कोई भी मंत्री या अधिकारी फील्ड में नहीं है। वहीं दूसरी ओर एसआई भर्ती को लेकर हमारी सरकार पर राजनीति करने वाले डेढ़ साल में कोई फैसला नहीं ले पाए हैं। दरअसल, एसडीएम पर पिस्तौल तानने और सरकारी काम में बाधा डालने के बीस साल पुराने मामले में कंवरलाल मीना को तीन साल की सजा सुनाई गई है। कानून के मुताबिक दो साल या उससे ज्यादा की सजा पाने वाले जनप्रतिनिधियों की सदस्यता स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आज उन्होंने कोर्ट में सरेंडर कर दिया है।
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