राजस्थान के डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले में आदिवासियों से ठगी का बड़ा मामला सामने आया है। यहां ठगों ने 500 से ज्यादा आदिवासियों को फ्री पैन कार्ड, लोन और नौकरी का लालच देकर उनके बैंक खाते खुलवाए और उनके जरिए 1800 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी कर ली। सांसद राजकुमार रोत ने इस मामले में राजस्थान के डीजीपी राजीव शर्मा को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच और जालसाजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
जानिए कैसे हुई ठगी
सांसद राजकुमार रोत ने अपने पत्र में बताया कि ठगों ने आदिवासियों को झांसा देकर उनके बैंक खाते खुलवाए। दलाल गांव-गांव जाकर लोगों को फ्री पैन कार्ड और लोन का लालच देते थे। इसके बाद ग्रामीणों को गाड़ी में बिठाकर जिला मुख्यालय ले जाते थे, जहां उनके दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते खुलवाए जाते थे। साथ ही उनके नाम से नए मोबाइल सिम भी जारी करवाए जाते थे। खाता खुलवाने के बाद दलाल चेक बुक, एटीएम और पिन जैसी बैंक किट अपने पास रख लेते थे और ग्रामीणों को घर पर ही छोड़ देते थे।
पुलिस ने इस मामले में दो दलालों को गिरफ्तार किया
पुलिस ने इस मामले में बांसिया गांव के महावीर सिंह राठौड़ (33) और विक्रम कुमार मालीवाड़ (25) नामक दो दलालों को गिरफ्तार किया है। इनके साथ सीमलवाड़ा गांव का घनश्याम कलाल भी शामिल है। ये तीनों ग्रामीणों को लालच देकर उनके दस्तावेज एकत्रित करते थे। मुख्य सरगना कौशल प्रजापत जो पहले बैंक कर्मचारी रह चुका है, इन खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी के लिए करता था। ये लोग कमीशन लेकर पिछले सात महीने से साइबर ठगों को खच्चर खाते बेच रहे थे।
जानिए किन बैंकों में खुलवाए खाते
धोखेबाजों ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक और डूंगरपुर व सागवाड़ा की शाखाओं में खाते खुलवाए थे। इन खातों को साइबर ठगों को बेचकर देशभर में ठगी की गई। सांसद ने बताया कि इन खातों के जरिए 1800 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की गई है, जिससे आदिवासी समुदाय को काफी नुकसान हुआ है।
सांसद की मांग और पुलिस कार्रवाई
सांसद राजकुमार रोत ने डीजीपी से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने पुलिस के रवैये पर नाराजगी जताते हुए खच्चर खातों को तत्काल सीज करने और आदिवासियों को राहत देने की मांग की है। पुलिस ने अब तक दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन सांसद ने पूरे गिरोह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। आदिवासियों को सतर्क रहने की जरूरत है। यह मामला आदिवासियों के लिए सबक है कि उन्हें लालच देने वाले लोगों से सावधान रहें। सांसद ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे अपने दस्तावेज किसी अजनबी को न दें। इस धोखाधड़ी से न केवल आर्थिक नुकसान हुआ है बल्कि आदिवासियों का भरोसा भी टूटा है।
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