जिलेभर में गुरुवार को भाईदूज के दिन ऐतिहासिक और धार्मिक परंपरा के तहत घांस भैरू की सवारी निकाली गई। इस अवसर पर जिले के विभिन्न गाँवों और शहरों में श्रद्धालुओं ने भैरू जी को तेल चढ़ाया और पूजा-अर्चना की।
घटनास्थल और परंपरा
टोंक जिले में यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। भाईदूज के दिन भाई-बहन के पवित्र संबंध और समृद्धि की कामना के साथ घांस भैरू की सवारी निकाली जाती है। इस दौरान स्थानीय निवासी और श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
भैरू जी की पूजा
घांस भैरू की सवारी के दौरान श्रद्धालुओं ने भैरू जी को तेल, फूल और अन्य भोग अर्पित किए। पूजा-अर्चना में धार्मिक गीतों और मंत्रोच्चारण का आयोजन भी किया गया। कई परिवारों ने भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए भैरू जी से सुख-शांति और परिवार की रक्षा की प्रार्थना की।
स्थानीय लोगों की भागीदारी
घटना में स्थानीय लोग और श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हुए। सवारी के रास्ते में लोग भैरू जी को प्रणाम कर आशीर्वाद प्राप्त करते नजर आए। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी ने इस परंपरा में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व
घांस भैरू की सवारी केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी है। इस अवसर पर आसपास के क्षेत्र के लोग एकत्रित होकर समुदाय में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं।
सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था
इस दौरान पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की। मार्ग में भीड़ को नियंत्रित रखने और श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए ट्रैफिक व्यवस्था और आपातकालीन सेवाएँ उपलब्ध कराई गई।
भाईदूज और सवारी का महत्व
भाईदूज का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को याद करने और परिवार में सुख-समृद्धि की कामना करने का अवसर होता है। टोंक जिले में घांस भैरू की सवारी इसे स्थानीय धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान देती है।
समापन और आभार
दिनभर चलने वाले इस आयोजन का समापन शाम के समय हुआ। श्रद्धालुओं ने इस परंपरा को बनाए रखने के लिए आयोजकों और स्थानीय प्रशासन का आभार व्यक्त किया।
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