राजस्थान के पाली जिले में स्थित जवाई बांध (Jawai Dam) न केवल एक प्रमुख जलस्रोत है, बल्कि यह क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिकी संरचना का एक अभिन्न हिस्सा भी है। यह बांध अपने निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, शानदार वास्तुशिल्प और आसपास के वन्यजीव अभ्यारण्य के कारण खास महत्व रखता है। आज हम जानते हैं कि जवाई बांध कब, कैसे और किसने बनवाया, इसका क्षेत्रफल, लंबाई, चौड़ाई और इसके गेट से जुड़ी विस्तृत जानकारी।
निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
जवाई बांध का निर्माण बॉम्बे प्रेसीडेंसी (Bombay Presidency) के अंतर्गत किया गया था, जब राजस्थान ब्रिटिश राज के अधीन कई रियासतों में बंटा हुआ था। इस बांध के निर्माण का मुख्य उद्देश्य पाली, जालोर और आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई और पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करना था। यह एक दूरदर्शी परियोजना थी जो तत्कालीन समय में पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे क्षेत्र के लिए वरदान साबित हुई।जवाई बांध का निर्माण कार्य वर्ष 1946 में प्रारंभ हुआ और इसे पूरा होने में लगभग 11 वर्ष लगे। वर्ष 1957 में यह बांध पूरी तरह से तैयार हुआ और तब से यह पाली और इसके आसपास के क्षेत्रों के लिए जीवनरेखा बना हुआ है। इसके निर्माण की योजना अंग्रेज इंजीनियरों और स्थानीय प्रशासन के संयुक्त प्रयास से बनाई गई थी।
किसने करवाया निर्माण?
इस बांध के निर्माण की योजना ब्रिटिश इंजीनियरों की देखरेख में स्थानीय रियासतों और प्रशासनिक तंत्र ने मिलकर बनाई थी। हालांकि इसका नाम किसी एक व्यक्ति विशेष से नहीं जुड़ा है, फिर भी यह परियोजना तत्कालीन अधिकारियों और स्थानीय नेताओं की सामूहिक दूरदृष्टि और योजना का परिणाम मानी जाती है। उस समय के स्थानीय शासकों और राजघरानों ने इसके लिए भूमि और संसाधन उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बांध का क्षेत्रफल, लंबाई और चौड़ाई
जवाई बांध का क्षेत्रफल इसकी विशालता का प्रतीक है। यह बांध लगभग 102 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका जल संग्रहण क्षेत्र इतना बड़ा है कि यह राजस्थान के सबसे बड़े बांधों में गिना जाता है।
बांध की लंबाई: लगभग 118 मीटर
चौड़ाई (ऊँचाई से आधार तक): करीब 24 मीटर
संग्रहण क्षमता: लगभग 7880 मिलियन क्यूबिक फीट (MCFT)
यह विशाल जलाशय ना केवल कृषि क्षेत्र को सींचता है बल्कि आसपास के कस्बों और गांवों की पीने के पानी की आवश्यकता भी पूरी करता है।
गेट्स और जल प्रबंधन प्रणाली
जवाई बांध में 6 बड़े गेट लगे हैं, जो इसकी जल निकासी प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये गेट विशेष तकनीक से बनाए गए हैं ताकि आवश्यकता के अनुसार जलराशि को छोड़ा जा सके। जब बांध अपने पूर्ण जलस्तर तक भर जाता है, तब इन गेट्स को नियंत्रित तरीके से खोला जाता है जिससे नीचे की ओर बहने वाली नदियों और नहरों में जल की आपूर्ति की जाती है।इन गेट्स के माध्यम से पानी को पाली, बाली, सोजत और सुमेरपुर जैसे क्षेत्रों में वितरित किया जाता है, जो इन इलाकों की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
जवाई बांध का बहुस्तरीय महत्व
1. सिंचाई और कृषि
जवाई बांध से निकलने वाली नहरों के माध्यम से हजारों हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जाता है। यहां के किसान खरीफ और रबी दोनों फसलें उगाते हैं, और जल की स्थायी आपूर्ति के कारण क्षेत्र में हरियाली बनी रहती है।
2. पेयजल आपूर्ति
पाली जिले के कई नगरों और गांवों को पीने का पानी इसी बांध से मिलता है। गर्मियों के मौसम में जब अधिकांश जलस्रोत सूख जाते हैं, तब भी जवाई बांध लोगों की प्यास बुझाता है।
3. वन्यजीव और पर्यटन
जवाई बांध के आसपास का क्षेत्र खासतौर पर तेंदुओं (Leopards) के लिए प्रसिद्ध है। यहां 'लेपर्ड सफारी' बेहद लोकप्रिय है। इसके अलावा यहां जवाई बैंड, हिल्स, और बर्ड वॉचिंग भी पर्यटन का हिस्सा हैं। प्रवासी पक्षियों के लिए भी यह एक आदर्श स्थल बन गया है।
4. भू-गर्भ जल रिचार्ज
जवाई बांध क्षेत्र का जल भूगर्भीय स्तर को रिचार्ज करने में सहायक होता है, जिससे इलाके में भूजल स्तर स्थिर रहता है और जल संकट की स्थिति कम होती है।
You may also like
दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता के बंगले के रेनोवेशन से जुड़ा टेंडर रद्द
बांदीकुई में डबल डेकर ट्रेन में संदिग्ध बैग से 'टिक-टिक' की आवाज, वीडियो में जानें मची अफरा-तफरी, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
बांदीकुई में झूपड़ीन गांव में आधी रात को छह युवकों ने की फायरिंग, वीडियो में देखें गांव में मचा हड़कंप
उदयपुर में कोटड़ा के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल की खस्ताहाल इमारत, वीडियो में जानें 500 छात्रों को जान का जोखिम
अजमेर में पलटन बाजार में छावनी परिषद ने अवैध निर्माण पर चलाया बुलडोजर, वीडियो में देखें दो मंजिला इमारत ढहाई