Next Story
Newszop

गुजरात: इस सीट पर लगातार दूसरी बार आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को ऐसे दी मात

Send Push
Getty Images गोपाल इटालिया ने बीजेपी उम्मीदवार किरीट पटेल को 17 हज़ार से ज़्यादा वोटों से हराया है

सोमवार को चार राज्यों - गुजरात, पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए.

गुजरात में विसावदर सीट पर आम आदमी पार्टी के गोपाल इटालिया और कड़ी सीट पर भारतीय जनता पार्टी के राजेंद्र चावड़ा ने जीत दर्ज की है.

पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट आम आदमी पार्टी के खाते में गई और यहां से संजीव अरोड़ा ने चुनाव जीता.

वहीं, पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट पर तृणमूल कांग्रेस की अलीफ़ा अहमद और केरल की निलंबूर सीट पर कांग्रेस के आर्यदान शौकत ने चुनाव जीता है.

चारों राज्यों में हुए उपचुनाव में सबसे ज़्यादा चर्चा गुजरात की हो रही है. आम आदमी पार्टी ने विसावदर सीट बरक़रार रखी है जो एक समय गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता केशुभाई पटेल का गढ़ रही थी. लेकिन बीते कुछ सालों से यह सीट बीजेपी के लिए चुनौती बनी हुई है.

विसावदर: कब ख़त्म होगा बीजेपी का सूखा image Getty Images गोपाल इटालिया ने गुजरात में सरकारी नौकरी से इस्तीफ़ा देकर राजनीति में क़दम रखा था

गुजरात में दोनों सीटों में से एक-एक पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी को जीत मिली, जबकि कांग्रेस को दोनों ही सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. विसावदर में कांग्रेस उम्मीदवार को सिर्फ़ 5501 वोट मिले जबकि कड़ी में कांग्रेस 39,452 वोटों से हारी.

हार के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने इस्तीफ़ा दे दिया है.

विसावदर में आम आदमी पार्टी के गोपाल इटालिया ने बीजेपी उम्मीदवार किरीट पटेल को 17 हज़ार से ज़्यादा वोटों से हराया है. इसके साथ ही बीजेपी का कई साल बाद विसावदर जीतने का सपना टूट गया. बीजेपी ने आख़िरी बार इस सीट को 2007 के विधानसभा चुनाव में जीता था. तब बीजेपी के कनु भालाला ने जीत दर्ज की थी.

1995 और 1998 में बीजेपी के केशुभाई पटेल यहां से जीते थे. 2012 में केशुभाई पटेल ने अपनी गुजरात परिवर्तन पार्टी बनाई और उसी साल यहां से जीत दर्ज की थी.

साल 2014 में केशुभाई ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया और फिर उपचुनाव हुए.

2014 के उपचुनाव और 2017 में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की. 2022 के चुनाव में भूपतभाई भायानी आम आदमी पार्टी के टिकट पर जीते, लेकिन लगभग दो साल बाद बीजेपी में शामिल होने के बाद यह सीट खाली हो गई थी. अब गोपाल इटालिया ने यहां से जीत दर्ज की है.

वहीं गुजरात की कड़ी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र चावड़ा ने 39,452 वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार रमेश चावड़ा को हराया है. यहां आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी जगदीशभाई चावड़ा को महज़ 3090 वोट मिले.

image Getty Images गोपाल इटालिया ने 2022 में गुजरात विधानसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन तब उन्हें हार मिली थी कैसे जीते गोपाल इटालिया?

गोपाल इटालिया विसावदर से कैसे जीते? विसावदर में किन चीज़ों ने बीजेपी को भारी नुक़सान पहुंचाया? आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के ख़िलाफ़ नई रणनीति कैसे बनाई और उसमें सफलता कैसे हासिल की?

सौराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार जगदीश आचार्य बीबीसी गुजराती से बातचीत में कहते हैं, "गोपाल इटालिया ने व्यक्तिगत रूप से बहुत मेहनत की है. उन्होंने अपने मुट्ठी भर समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर पूरे विसावदर के गांव-गांव को दो बार घूम लिया था. वे गांव-गांव जाकर लोगों की पीड़ा को अपनी डायरी में लिखते थे, जिससे लोगों को लगता था कि यह हमारी पीड़ा पूछने वाला आदमी है और हमारे लिए लड़ेगा. वे किसानों और ख़ासकर पाटीदार युवाओं के मन में यह छवि बनाने में सफल रहे कि यह सच्चा आदमी है और हमारे लिए लड़ेगा."

इस चुनाव से पहले गोपाल इटालिया का कार्यक्षेत्र विसावदर नहीं था. वह गुजरात के बोटाद ज़िले से ताल्लुक रखते हैं. राजनीति में आने से पहले इटालिया गुजरात में सरकारी क्लर्क और गुजरात पुलिस में कॉन्स्टेबल की नौकरी कर चुके हैं. साल 2020 में गोपाल इटालिया ने आम आदमी पार्टी से राजनीति की शुरुआत की और फिर आम आदमी पार्टी गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष बने.

वरिष्ठ पत्रकार कौशिक मेहता कहते हैं, "गोपाल इटालिया ने जल्दी शुरुआत की और ज़मीन पर काम किया. उन्होंने विसावदर में एक घर किराए पर लिया और कड़ी मेहनत की. जिसका उन्हें फ़ायदा मिला है."

2022 के चुनाव में भी गोपाल इटालिया ने क़िस्मत आज़माई थी लेकिन तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इटालिया ने कतरगाम सीट से चुनाव लड़ा और बीजेपी उम्मीदवार से 64 हज़ार से ज़्यादा वोटों के अंतर से हारे थे.

विसावदर विधानसभा सौराष्ट्र क्षेत्र की ऐसी सीट है जिसमें पाटीदार मतदाताओं की संख्या अच्छी-ख़ासी है. इस वजह से आम तौर पर तीनों पार्टियों के उम्मीदवार पाटीदार समुदाय से आते हैं और इस बार भी ऐसा हुआ.

विसावदर के मतदाताओं में सबसे बड़ा डर यह था कि यहां से जीतने वाला उम्मीदवार फिर से दल-बदल कर सकता है, क्योंकि विसावदर के मतदाताओं ने 2017 में कांग्रेस के हर्षद रिबडिया और 2022 में आप के भूपतभाई भायानी को जिताया था. ये दोनों ही विधायक बनने के बाद बीजेपी में चले गए थे.

अरविंद केजरीवाल जब इटालिया के चुनाव प्रचार में पहुंचे थे तो उन्होंने कहा था, "अगर गोपाल इटालिया पाला बदलते हैं, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा."

वरिष्ठ पत्रकार जगदीश आचार्य कहते हैं, "आज की जीत से साफ़ पता चलता है कि विसावदर के लोगों ने पार्टी के दल-बदल को नकार दिया है. गोपाल इटालिया लोगों को यह समझाने में सफल रहे कि वे दूसरे उम्मीदवारों से अलग क्यों हैं."

आम आदमी पार्टी और गोपाल इटालिया ने अपनी चुनावी मुहिम में केशुभाई पटेल को जगह दी. ख़ुद केजरीवाल ने भी अपनी रैली में केशुभाई का नाम लिया. आम आदमी पार्टी और इटालिया ने गिर में प्रस्तावित इको-सेंसिटिव ज़ोन का ज़ोरदार विरोध किया और इसके ख़िलाफ़ संघर्ष किया. जानकारों का कहना है कि इन सभी वजहों से भी गोपाल इटालिया को मदद मिली.

image BBC
  • गुजरात का 'एनआरआई बेल्ट', जहाँ के 50 लोग अहमदाबाद प्लेन क्रैश में मारे गए
  • अहमदाबाद प्लेन क्रैश: मैथिली पाटिल मुश्किल आर्थिक हालात में पढ़ाई पूरी कर बनी थीं एयर होस्टेस
  • विजय रूपाणी: म्यांमार में जन्म से लेकर दो बार गुजरात के मुख्यमंत्री बनने तक का सफ़र
आम आदमी पार्टी की एक राज्यसभा सीट हुई ख़ाली

गुजरात के अलावा पंजाब के उपचुनाव पर भी लोगों की नज़रें टिकी हुई थीं. यहां लुधियाना पश्चिम सीट से आम आदमी पार्टी ने संजीव अरोड़ा को उतारा था. इस सीट पर आप के विधायक गुरप्रीत गोगी के निधन के बाद उपचुनाव हुआ है.

संजीव अरोड़ा आप के राज्यसभा सांसद हैं. वह 2022 में राज्यसभा सांसद बने थे और अभी उनका तीन साल का कार्यकाल बाक़ी है. अरोड़ा ने जब उपचुनाव के लिए नामांकन भरा था तब से यह कयास लगाए जा रहे थे कि अगर अरोड़ा जीतते हैं तो अरविंद केजरीवाल उनकी जगह राज्यसभा जाएंगे. केजरीवाल ने भी संजीव अरोड़ा के लिए जमकर प्रचार किया.

अब संजीव अरोड़ा चुनाव जीत चुके हैं. उन्होंने कांग्रेस के भरत भूषण को 10,637 वोटों से हराया था. संजीव अरोड़ा की जीत के बाद एक बार फिर अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा पहुंचने की चर्चा गर्म हो गई है.

हालांकि, केजरीवाल ने इस तरह की किसी भी संभावना से इनकार किया है.

नतीजों के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, "राज्यसभा कौन जाएगा, ये हमारी पॉलिटिकल अफ़ेयर्स कमेटी तय करेगी लेकिन मैं नहीं जा रहा हूं."

लुधियाना से ताल्लुक रखने वाले 61 वर्षीय संजीव अरोड़ा एक उद्योगपति हैं.

  • अहमदाबाद प्लेन क्रैशः सीट संख्या 11ए पर बैठे ज़िंदा बचे ब्रिटिश यात्री ने क्या बताया
  • अहमदाबाद के दीपेश का चौकीदार की नौकरी से आईआईएम में एडमिशन तक का सफ़र
  • अहमदाबाद: सैकड़ों घरों पर रातों रात चला बुलडोज़र, किस आधार पर हो रही है ये कार्रवाई, क्या कह रही है पुलिस?
केरल और पश्चिम बंगाल में उप चुनाव के नतीजे

पश्चिम बंगाल में कालीगंज और केरल की निलंबूर सीट पर उपचुनाव हुआ था.

कालीगंज में साल 2021 में टीएमसी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए नसीरुद्दीन अहमद का इस साल फ़रवरी में निधन हो गया था. अब उपचुनाव के बाद टीएमसी ने इस सीट पर जीत बरक़रार रखी है.

टीएमसी की अलीफ़ा अहमद ने बीजेपी के आशीष घोष को 50 हज़ार से ज़्यादा मतों के अंतर से हराया है.

जीतने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक्स पर लिखा, "दिवंगत विधायक नसीरुद्दीन अहमद की याद में, मैं यह जीत बंगाल के लोगों को समर्पित करती हूं."

वायनाड लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली केरल की निलंबूर विधानसभा सीट पर हुए कड़े मुक़ाबले में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस के आर्यदान शौकत ने कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एम. स्वराज को 11 हज़ार से अधिक वोटों से हराया है.

शौकत कांग्रेस के दिग्गज नेता आर्यदान मोहम्मद के बेटे हैं, जिन्होंने 1987 से 2016 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था.

यहां उपचुनाव दो बार के सीपीएम समर्थित निर्दलीय विधायक पीवी अनवर के इस्तीफ़े के कारण हुआ था, जिन्होंने इस बार भी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

  • गुजरात: 'शादी में आए लोगों को बांग्लादेशी समझकर उठा ले गई पुलिस', क्या है पूरा मामला
  • पहलगाम हमले के बाद गुजरात में 500 से अधिक लोगों को हिरासत में क्यों लिया गया?
  • बाबर ने खानवा की लड़ाई में राणा सांगा को कैसे हराया? - विवेचना
image
Loving Newspoint? Download the app now