साल 2025 में चांदी ने निवेश के दुनिया में सबको चौंका दिया है। खासकर Silver ETFs (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स) ने तो इस फेस्टिव सीज़न में सोने को भी पीछे छोड़ दिया है। परंपरागत रूप से चांदी को जेवर या बर्तनों के रूप में खरीदा जाता था, लेकिन अब डिजिटल और इन्वेस्टमेंट फॉर्म में भी तेज़ी से बढ़ रहा है। इस साल चांदी की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला है, जिसने रिटेल से लेकर बड़े-बड़े निवेशकों को भी Silver ETFs की ओर आकर्षित किया है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों इस साल चांदी ने निवेश के मैदान में अपना जलवा बिखेरा है।
चमक रहा हैं Silver ETFs
चांदी ETF, यानी सिल्वर पर आधारित एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, एक ऐसा इन्वेस्टमेंट टूल है जिसमें आपको असली चांदी खरीदने की ज़रूरत नहीं होती, फिर भी आप उसकी कीमत में होने वाली बढ़त का लाभ उठा सकते हैं। इस साल ये फंड्स निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय हुए हैं, खासकर त्योहारों के मौसम में। दिवाली, धनतेरस जैसे शुभ अवसरों पर चांदी खरीदने की परंपरा रही है, जिससे इन दिनों इसकी मांग में भारी उछाल आता है। इसके अलावा, मौजूदा दुनिया में बने आर्थिक तनाव के माहौल में चांदी जैसे हार्ड एसेट्स को सुरक्षित निवेश का विकल्प माना जा रहा है। Silver ETFs को खरीदना भी बेहद आसान है, न इसमें स्टोरेज की झंझट है, न ही शुद्धता की कोई चिंता। यही कारण है कि आज के युवा और व्यस्त पेशेवर भी पारंपरिक चांदी खरीदने की बजाय इस आधुनिक निवेश विकल्प की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।
चांदी की कीमतें और मार्केट ट्रेंड
6 अक्टूबर 2025 को भारत में चांदी की कीमत 156 रुपये प्रति ग्राम यानी 1,56,000 प्रति किलो तक पहुंच गई, जो पिछले शुक्रवार की तुलना में 1,000 रुपये अधिक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी ने जबरदस्त तेजी दिखाई है। जनवरी 2025 में इसकी कीमत जहां $28.92 प्रति औंस थी, वहीं अब यह बढ़कर $46 प्रति औंस हो गई है। यानी सिर्फ 9 महीनों में करीब 61% का इज़ाफा देखने को मिला है, जो किसी भी एसेट क्लास के लिए काफी मजबूत रिटर्न माना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की कीमतों में इस तेजी की दो प्रमुख वजहें हैं। अमेरिकी फेडरल रिज़र्व (US Fed) द्वारा ब्याज दरों में की गई कटौती और वैश्विक स्तर पर इंडस्ट्रियल डिमांड का तेज़ी से बढ़ना, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और सोलर सेक्टर से। यही कारण है कि जानकारों को उम्मीद है कि आने वाले 3 से 5 सालों तक चांदी की कीमतों में अच्छी तेजी बनी रह सकती है।
शानदार रिटर्न्स ने किया निवेशकों को आकर्षित
2025 में Silver ETFs ने शानदार प्रदर्शन किया है। साल की शुरुआत से लेकर अब तक (YTD), टॉप 6 Silver ETFs ने 83% से भी ज्यादा रिटर्न दिया है। एक साल के दायरे में भी ये फंड्स 55% से अधिक रिटर्न देने में सफल रहे हैं। इसके अलावा, पिछले तीन वर्षों में कई Silver ETFs ने लगभग 30% से अधिक का कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) दिया है, जो किसी भी पारंपरिक निवेश विकल्प के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसी वजह से अब अधिक से अधिक निवेशक इन Silver ETFs को अपने निवेश पोर्टफोलियो में शामिल करने लगे हैं।
Silver ETFs का प्रदर्शन (2025)
निवेश का सही समय क्यों हैइस समय Silver ETFs में निवेश करने के कई सकारात्मक कारण हैं। सबसे पहले, इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर एनर्जी और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स जैसी इंडस्ट्रीज में चांदी की मांग तेजी से बढ़ रही है, जो इसके दामों को सपोर्ट करता है। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) ने सितंबर में ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, और अक्टूबर में भी कटौती की संभावना बनी हुई है। जब फेड की दरें घटती हैं, तो डॉलर कमजोर होता है, जिससे चांदी और सोने जैसी कमोडिटी की कीमतें बढ़ने लगती हैं। साथ ही, चांदी का शेयर बाजार से कम कोरिलेशन होता है, इसलिए यह निवेशकों के लिए एक अच्छा हेजिंग टूल साबित होता है, खासकर तब जब मार्केट में उतार-चढ़ाव या महंगाई की समस्या होती है। ऐसे में, इस समय Silver ETFs में निवेश करने से मीडियम से लॉन्ग टर्म में अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना मजबूत रहती है।
Silver ETFs पर टैक्स का क्या नियम है
अगर आप Silver ETFs को दो साल से ज्यादा समय तक अपने पास रखते हैं और फिर बेचते हैं, तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा, जिसकी दर 12.5% है। इसका मतलब है कि आपकी कमाई का 12.5% टैक्स के रूप में देना होगा। लेकिन अगर आप इसे दो साल से कम समय में बेच देते हैं, तो उस पर टैक्स आपकी आय के अनुसार इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगेगा। यानी जितनी आपकी आमदनी पर टैक्स लगता है, उतनी दर से आपको Silver ETFs के मुनाफे पर भी टैक्स देना होगा। इसलिए, Silver ETFs में निवेश करते समय टैक्स बचाने के लिए दो साल से ज्यादा निवेश करना बेहतर माना जाता है।
चमक रहा हैं Silver ETFs
चांदी ETF, यानी सिल्वर पर आधारित एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, एक ऐसा इन्वेस्टमेंट टूल है जिसमें आपको असली चांदी खरीदने की ज़रूरत नहीं होती, फिर भी आप उसकी कीमत में होने वाली बढ़त का लाभ उठा सकते हैं। इस साल ये फंड्स निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय हुए हैं, खासकर त्योहारों के मौसम में। दिवाली, धनतेरस जैसे शुभ अवसरों पर चांदी खरीदने की परंपरा रही है, जिससे इन दिनों इसकी मांग में भारी उछाल आता है। इसके अलावा, मौजूदा दुनिया में बने आर्थिक तनाव के माहौल में चांदी जैसे हार्ड एसेट्स को सुरक्षित निवेश का विकल्प माना जा रहा है। Silver ETFs को खरीदना भी बेहद आसान है, न इसमें स्टोरेज की झंझट है, न ही शुद्धता की कोई चिंता। यही कारण है कि आज के युवा और व्यस्त पेशेवर भी पारंपरिक चांदी खरीदने की बजाय इस आधुनिक निवेश विकल्प की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।
चांदी की कीमतें और मार्केट ट्रेंड
6 अक्टूबर 2025 को भारत में चांदी की कीमत 156 रुपये प्रति ग्राम यानी 1,56,000 प्रति किलो तक पहुंच गई, जो पिछले शुक्रवार की तुलना में 1,000 रुपये अधिक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी ने जबरदस्त तेजी दिखाई है। जनवरी 2025 में इसकी कीमत जहां $28.92 प्रति औंस थी, वहीं अब यह बढ़कर $46 प्रति औंस हो गई है। यानी सिर्फ 9 महीनों में करीब 61% का इज़ाफा देखने को मिला है, जो किसी भी एसेट क्लास के लिए काफी मजबूत रिटर्न माना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की कीमतों में इस तेजी की दो प्रमुख वजहें हैं। अमेरिकी फेडरल रिज़र्व (US Fed) द्वारा ब्याज दरों में की गई कटौती और वैश्विक स्तर पर इंडस्ट्रियल डिमांड का तेज़ी से बढ़ना, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और सोलर सेक्टर से। यही कारण है कि जानकारों को उम्मीद है कि आने वाले 3 से 5 सालों तक चांदी की कीमतों में अच्छी तेजी बनी रह सकती है।
शानदार रिटर्न्स ने किया निवेशकों को आकर्षित
2025 में Silver ETFs ने शानदार प्रदर्शन किया है। साल की शुरुआत से लेकर अब तक (YTD), टॉप 6 Silver ETFs ने 83% से भी ज्यादा रिटर्न दिया है। एक साल के दायरे में भी ये फंड्स 55% से अधिक रिटर्न देने में सफल रहे हैं। इसके अलावा, पिछले तीन वर्षों में कई Silver ETFs ने लगभग 30% से अधिक का कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) दिया है, जो किसी भी पारंपरिक निवेश विकल्प के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसी वजह से अब अधिक से अधिक निवेशक इन Silver ETFs को अपने निवेश पोर्टफोलियो में शामिल करने लगे हैं।
Silver ETFs का प्रदर्शन (2025)
ETF का नाम | AUM (करोड़) | YTD रिटर्न (%) | 1 साल का रिटर्न (%) | 3 साल का CAGR (%) | 5 साल का रिटर्न(%) |
Nippon India Silver ETF | 9,099 | 83.80 | 55.89 | 34.43 | 16.69 |
ICICI Prudential Silver ETF | 7,257 | 84.34 | 56.37 | 34.79 | 16.86 |
HDFC Silver ETF | 1,369 | 84.01 | 56.9 | 34.62 | 16.95 |
Kotak Silver ETF | 1,664 | 84.07 | 56.18 | 16.81 | |
SBI Silver ETF | 1,301 | 83.84 | 56.3 | 16.89 | |
Aditya Birla SL Silver ETF | 1,085 | 84.34 | 56.39 | 34.72 | 16.79 |
Silver ETFs पर टैक्स का क्या नियम है
अगर आप Silver ETFs को दो साल से ज्यादा समय तक अपने पास रखते हैं और फिर बेचते हैं, तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा, जिसकी दर 12.5% है। इसका मतलब है कि आपकी कमाई का 12.5% टैक्स के रूप में देना होगा। लेकिन अगर आप इसे दो साल से कम समय में बेच देते हैं, तो उस पर टैक्स आपकी आय के अनुसार इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगेगा। यानी जितनी आपकी आमदनी पर टैक्स लगता है, उतनी दर से आपको Silver ETFs के मुनाफे पर भी टैक्स देना होगा। इसलिए, Silver ETFs में निवेश करते समय टैक्स बचाने के लिए दो साल से ज्यादा निवेश करना बेहतर माना जाता है।
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