नई दिल्ली: पुरुषों के लिए पैंट या जीन्स की पिछली जेब में पर्स रखना एक आम बात है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत आपको गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार बना सकती है? हाल ही में हैदराबाद में एक 30 वर्षीय व्यक्ति ने इस समस्या का सामना किया। उसने शुरुआत में इसे मामूली नस की समस्या समझा, लेकिन दर्द बढ़ता गया। उसे दाहिने नितंब से लेकर पैर तक तेज दर्द का सामना करना पड़ा। कई उपचारों के बावजूद राहत नहीं मिली। अंततः डॉक्टरों ने उसे 'फैट वॉलेट सिंड्रोम' का पता लगाया।
फैट वॉलेट सिंड्रोम क्या है?
फैट वॉलेट सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति को खड़े होने या चलने की तुलना में बैठने पर अधिक दर्द होता था। उसकी एमआरआई और अन्य जांचों में रीढ़ की हड्डी में कोई समस्या नहीं मिली। लेकिन नर्व कंडक्शन टेस्ट में पता चला कि उसकी दाहिनी साइटिक नर्व को गंभीर नुकसान हुआ था। यह समस्या उसके भारी पर्स के कारण हुई, जो उसने लगभग 10 घंटे तक अपनी जेब में रखा।
दर्द का कारण
डॉक्टरों ने पाया कि भारी पर्स के कारण उसकी पिरिफोर्मिस मांसपेशी दब गई थी, जिससे साइटिका नस पर दबाव पड़ा। यह स्थिति बेहद दर्दनाक हो सकती है।
डॉ. पी.एन. रेनजेन के अनुसार, पुरुष अक्सर अपने बटुए में पैसे, आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य चीजें रखते हैं, जिससे उनका पर्स भारी हो जाता है। इससे फैट वॉलेट सिंड्रोम का खतरा बढ़ता है।
समस्या से बचने के उपाय
डॉक्टरों का सुझाव है कि बैठते या गाड़ी चलाते समय पर्स को पिछली जेब में न रखें। इसके बजाय, इसे सामने की जेब या जैकेट में रखें। यदि पर्स को पिछली जेब में रखना आवश्यक हो, तो उसका वजन कम करें।
फैट वॉलेट सिंड्रोम का इलाज एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं और मसल स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज के माध्यम से किया जा सकता है।
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