नवरात्रि में औषधियों का महत्व
दुर्गा के नौ रूपों की औषधियाँ
प्रथम शैलपुत्री यानी हरड़: देवी दुर्गा का पहला रूप शैलपुत्री है। हरड़, जिसे हरितकी भी कहा जाता है, आयुर्वेद में महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है। यह कई स्वास्थ्य समस्याओं में सहायक होती है।
द्वितीय ब्रह्मचारिणी यानी ब्राह्मी: यह औषधि मस्तिष्क के लिए टॉनिक के रूप में जानी जाती है। यह स्मरण शक्ति को बढ़ाने और रक्त संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है।
तृतीय चंद्रघंटा यानी चन्दुसूर: यह औषधि मोटापे को कम करने में सहायक है। चंदुसूर का सेवन करने से शक्ति बढ़ती है और हृदयरोग में लाभ होता है।
चतुर्थ कुष्माण्डा यानी पेठा: यह औषधि हृदयरोगियों के लिए लाभकारी है और रक्त में शर्करा को नियंत्रित करती है।
पंचम स्कंदमाता यानी अलसी: अलसी में ओमेगा 3 और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो कई रोगों से लड़ने में मदद करती है।
षष्ठम कात्यायनी यानी मोइया: यह औषधि कफ और पित्त विकारों को दूर करती है।
सप्तम कालरात्रि यानी नागदौन: यह औषधि मानसिक भय को दूर करती है और कई बीमारियों से मुक्ति दिलाती है।
अष्टम महागौरी यानी तुलसी: तुलसी एक प्रसिद्ध औषधि है, जो रक्त को साफ करती है और हृदय रोगों को दूर करती है।
नवम सिद्धिदात्री यानी शतावरी: यह औषधि बुद्धि और वीर्य के लिए उत्तम मानी जाती है।
दुर्गा माँ के चमत्कार से भरी 9 औषधियाँ:
नवरात्रि के नौ दिनों में भक्ति के साथ-साथ स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी आवश्यक है। यदि आप इस दौरान दवाओं से बचना चाहते हैं, तो हम आपको कुछ औषधियों के बारे में बताएंगे, जिनमें माँ दुर्गा का वास होता है।
औषधियों के अद्भुत गुण:
शारदीय नवरात्र में भक्ति और श्रद्धा का महत्व है, लेकिन स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है। इन नौ औषधियों को दुर्गाकवच कहा जाता है, क्योंकि ये रोगों से रक्षा करने वाली मानी जाती हैं। आइए, जानते हैं इन दिव्य गुणों वाली औषधियों के बारे में।
दुर्गा के नौ रूपों की औषधियाँ
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