आचार्य चाणक्य, जिन्होंने अपनी नीतियों से एक साधारण चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाया और भारत को एक सूत्र में पिरोया, उनका नाम आज भी सफलता और कूटनीति का पर्याय है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में एक ऐसे जानवर का ज़िक्र किया है, जिसके 3 गुण अपनाकर आप किसी भी क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर सकते हैं?
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं गधे की! सुनकर शायद आपको अजीब लगे, लेकिन चाणक्य के अनुसार, गधे में कुछ ऐसे अद्भुत गुण होते हैं जो हमें सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने में मदद कर सकते हैं।
चाणक्य नीति का वो श्लोक और उसका गहरा अर्थआचार्य चाणक्य ने अपने एक श्लोक में गधे के इन गुणों का वर्णन किया है:
सुश्रान्तोऽपि वहेद् भारं शीतोष्णं न पश्यति। सन्तुष्टश्चरतो नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात् ॥
अर्थ: “आलस्य छोड़कर अपने लक्ष्य की ओर चलते रहना, सर्दी-गर्मी की परवाह किए बिना काम करते रहना और जो भी मिले उससे संतुष्ट हो जाना। गधे के ये 3 गुण जिसमें होते हैं उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।”
आइए, जानते हैं क्या हैं ये 3 गुण और इन्हें कैसे अपनी ज़िंदगी में उतार सकते हैं:
1. आलस्य छोड़ो, लक्ष्य की ओर बढ़ते रहो!चाणक्य कहते हैं कि अगर आपने कोई लक्ष्य तय कर लिया है, तो आलस्य को छोड़कर उसे पूरा करने में जुट जाएं। ठीक वैसे ही, जैसे एक गधा कितना भी भारी बोझ क्यों न ढो रहा हो, वह अपने तय स्थान पर पहुँचकर ही रुकता है। रास्ते में आने वाली समस्याओं के बारे में सोचने के बजाय, जो व्यक्ति सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर आगे बढ़ता है, वही अंत में सफल होता है। समस्याओं को किनारे कर, सिर्फ अपनी मंज़िल की तरफ़ देखें!
2. परेशानियों की परवाह किए बिना काम करते रहें!जब आप किसी बड़े लक्ष्य को पाने के लिए प्रयास करते हैं, तो रास्ते में कई अड़चनें और परेशानियाँ आती हैं। लेकिन चाणक्य के अनुसार, उन परेशानियों पर ध्यान देने के बजाय, बस आगे बढ़ते रहें। जैसे गधा सर्दी-गर्मी या धूप-बारिश की परवाह किए बिना लगातार अपना काम करता रहता है, वैसे ही आपको भी हर मौसम और हर परिस्थिति में अपने काम में लगे रहना चाहिए। मौसम बदले, हालात बदले, पर आपका काम नहीं रुकना चाहिए!
3. जो मिले, उसी में संतुष्ट होकर काम में जुट जाना!सफलता की राह में कई बार अभावों का सामना भी करना पड़ता है। कभी पैसे की तंगी होती है, तो कभी खाने-पीने की दिक्कत। ऐसी स्थिति में आचार्य चाणक्य सिखाते हैं कि जो भी मिले, जैसा भी मिले, उसी से संतुष्ट होकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें। जैसे गधा जहाँ भी उसे थोड़ी-बहुत घास मिल जाती है, उसी को खाकर अपना काम करता रहता है, वैसे ही आपको भी छोटी चीज़ों में संतुष्टि ढूंढकर अपने बड़े लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। शिकायतें छोड़ें, जो है उसी से शुरुआत करें!
अस्वीकरण: यह लेख धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है। हम इसकी शत-प्रतिशत सटीकता का दावा नहीं करते।
क्या आप इन गुणों को अपनी ज़िंदगी में अपनाने के लिए तैयार हैं? हमें बताएं, इनमें से कौन सा गुण आपको सबसे ज़्यादा प्रेरित करता है!
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