Chhattisgarh High Court: हाल ही में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा मर्जी से बना शारीरिक संबंध फिर शादी से मना करना अपराध नहीं है. कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी की 10 साल की सजा रद्द की और जमानत दे दी. पीड़िता ने दावा था कि इसके बाद रुपेश ने उसे लगभग दो महीने तक अपने घर में रखा और बाद में धमकी दे कर बाहर निकाल दिया और शादी से मना कर दिया.
Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दुष्कर्म केस में आरोपी को जमानत दे दी. इसे पहले 10 साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन अदालत ने इस फैसले को रद्द कर दिया. मामले की सुनवाई जस्टिस नरेश चंद्रवंशी की बेंच ने की. महिला ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उसने शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए फिर वादे से मुकर गया.
अदालत ने कहा कि यह मामला शादी वादे पर आधारित झूठा आरोप नहीं, बल्की प्रेम संबंध का मामला था. बेंच ने देखा कि पीड़िता पहले से बालिग थी और उसने लंबे समय तक आरोपी के साथ अपनी मर्जी से रह रही थी.
क्या है मामला?साल 2020 में बस्तर जिले के 25 साल के रुपेश कुमार पुरी के खिलाफ एक युवती ने शिकायत दर्ज कराई थी. उसने आरोप लगाया कि उसकी शादी 28 जून 2020 को तय थी, लेकिन आरोप है कि एक दिन पहले 27 जून को रुपेश ने उसे अपने घर बुलाकर शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए.
पीड़िता ने दावा था कि इसके बाद रुपेश ने उसे लगभग दो महीने तक अपने घर में रखा और बाद में धमकी दे कर बाहर निकाल दिया और शादी से मना कर दिया. पुलिस ने इस शिकायत पर धारा 376(2)(एन) के तहत मुकदमा दर्ज किया. इसके बाद फास्ट-ट्रैक कोर्ट, जगदलपुर ने 2022 में रुपेश को 10 वर्ष की सजा और 10,000 रुपये जुर्माना लगाया था.
हाई कोर्ट ने दी जमानतइस मामले पर हाई कोर्ट ने कहा कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध सहमति से बने थे, इसलिए इसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता. कपल इतने समय से अपनी मर्जी से साथ रहा और रिश्ता बनाया. हाई कोर्ट ने 21 फरवरी 2022 को दिए जगदलपुर की फास्ट-ट्रैक अदालत के फैसले को रद्द कर दिया फिर आरोपी को जमानत दे दी.
जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी ने फैसले सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक मामले का हवाला दिया. उन्होंने कहा, सिर्फ शादी का वादा कर बने शारीरिक संबंध को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता, जब तक यह स्पष्ट न हो कि आरोपी ने शुरुआत से ही शादी करने की मंशा ही नहीं रखी थी. इस आधार पर हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के निर्णय को उलटते हुए रुपेश कुमार पुरी को सभी आरोपों से बरी कर दिया.
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