Patna, 26 अक्टूबर . राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रधान महासचिव और लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगियों में से एक अब्दुल बारी सिद्दीकी ने Sunday को कहा कि बिहार में दो विचारधाराओं के बीच चुनावी लड़ाई है और महागठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांप्रदायिक एजेंडे के खिलाफ लड़ रहा है.
अब्दुल बारी सिद्दीकी ने के साथ एक विशेष बातचीत में कई सवालों के जवाब दिए.
साक्षात्कार के कुछ अंश इस प्रकार हैं:
सवाल: बिहार में यह शायद पहला चुनाव है जिसमें राजद सुप्रीमो लालू यादव मौजूद नहीं हैं. लालू एक कारक हैं, लेकिन मोटे तौर पर यह तेजस्वी के नेतृत्व वाली एक नई टीम है. आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: लालू प्रसाद यादव अस्वस्थ हैं, इसलिए वे इस चुनाव में शारीरिक रूप से मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनकी दिशा, रणनीति और दूरदर्शिता सभी के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत बने हुए हैं और सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ पार्टी की लड़ाई का नेतृत्व करते रहेंगे. पिछले कुछ वर्षों में तेजस्वी ने भी अपनी अलग प्रतिष्ठा बनाई है, लेकिन चुनावी मैदान मुख्य रूप से लालू बनाम बाकी सब के इर्द-गिर्द घूमता है. सभी Political प्रतिद्वंद्वी लालू की दशकों की जनसेवा से भयभीत हैं, इसलिए वे लगातार दुर्भावनापूर्ण और नकारात्मक अभियानों के जरिए उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.
सवाल: कहा जा रहा है कि अब्दुल बारी सिद्दीकी निर्णय लेने में उचित प्रतिनिधित्व न मिलने से राजद नेतृत्व से नाराज हैं.
जवाब: मैं राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्यों में से एक हूं. मैं दशकों से लालू यादव के साथ हूं और हमने कर्पूरी ठाकुर के विजन को आगे बढ़ाने के लिए साथ मिलकर काम किया है. हमारे लिए पार्टी की विचारधारा किसी भी व्यक्ति से बड़ी है, इसलिए किसी के साथ मतभेद या मनमुटाव का कोई सवाल नहीं उठता है.
सवाल: राजद नेता चुनाव प्रचार के मंच से दावा कर रहे हैं कि तेजस्वी के नेतृत्व वाले गठबंधन के सत्ता में आते ही वे वक्फ बिल की धज्जियां उड़ा देंगे. इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब: यह चुनाव विचारधाराओं की लड़ाई है. एक तरफ एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करके समाज को जाति और धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश हो रही है, तो दूसरी तरफ महागठबंधन प्रगतिशील राजनीति कर रहा है और सांप्रदायिक और सामाजिक सद्भाव बहाल करने की कोशिश कर रहा है.
एनडीए के पास बताने के लिए कोई रिपोर्ट कार्ड नहीं है, इसलिए वह सार्वजनिक बहस को बिगाड़ने के लिए बेतुके मुद्दों का सहारा ले रहा है. अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए वे हम पर ‘जंगलराज’ का आरोप लगा रहे हैं.
सवाल: मुकेश सहनी को महागठबंधन का उपChief Minister फेस बनाया गया है. क्या इससे आपके अल्पसंख्यक वोट बैंक में गलत संदेश जाएगा और चुनावों में गठबंधन की संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा?
जवाब: मुसलमानों समेत अल्पसंख्यक समुदाय के लिए चुनावों में अपनी गरिमा और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना स्वाभाविक है. भाजपा विकास की राजनीति नहीं कर रही है, बल्कि सांप्रदायिकता के नाम पर चुनावों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है. उसके नेता कह रहे हैं कि वे अलीगंज का नाम बदलकर आदर्शगंज कर देंगे. क्या इसे ही विकास-आधारित राजनीति कहते हैं?
सवाल: आप वीआईपी नेता मुकेश सहनी को कैसे आंकते हैं? क्या वे एक भरोसेमंद नेता हो सकते हैं?
जवाब: मुकेश सहनी एक पिछड़े और साधारण परिवार से आते हैं और ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से लोकप्रिय हैं. पिछड़ों और वंचितों को मजबूत करने की लालू की विचारधारा हमारा केंद्र है, लेकिन भाजपा Political फायदे के लिए चुनावों को धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है.
सवाल: तेजस्वी यादव को जननायक के रूप में पेश किया जा रहा है, लेकिन उनके भाई तेज प्रताप इससे सहमत नहीं हैं. आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब: जब जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार के Chief Minister बने तो उन्होंने आरक्षण का एक फॉर्मूला लागू किया – अनुलग्नक-1 के लिए 12 प्रतिशत, अनुलग्नक-2 के लिए 8 प्रतिशत, महिलाओं के लिए 3 प्रतिशत और उच्च जातियों के गरीबों के लिए 3 प्रतिशत कुल मिलाकर 26 प्रतिशत. जब यह फॉर्मूला लागू किया गया तो कई लोगों ने आरक्षण लागू करने के लिए उनकी आलोचना की और उन्हें कोसा.
तेजस्वी को लालू यादव की विरासत मिली है और वे पिछड़े वर्गों की आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें समय लगेगा, लेकिन अगर वे कर्पूरी ठाकुर और लालू यादव के आदर्शों और दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते रहेंगे और उन पर कायम रहेंगे तो जनता उन्हें निश्चित रूप से जन-रक्षक के रूप में पहचानेगी.
सवाल: क्या महागठबंधन को टिकट आवंटन और प्रचार अभियान में देरी की कीमत चुकानी पड़ेगी?
जवाब: बड़ी पार्टियों को विवरणों को अंतिम रूप देने में समय लगता है, लेकिन नजरिया साफ है – महागठबंधन भाईचारे और सद्भाव की अपनी विचारधारा के साथ सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकतों से लड़ रहा है.
सवाल: यूएन बिस्वास ने से कहा कि कांग्रेस चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव को बचाना चाहती थी. आपकी क्या राय है?
जवाब: मैं तो यही कहूंगा कि लालू यादव को इस मामले में फंसाया गया और झूठा फंसाया गया. सत्ता से बेदखल होने के बाद यह Government भी मुश्किल में पड़ जाएगी. आज के शासन में भ्रष्टाचार और भी ज्यादा जड़ जमा चुका है. कोई काम नहीं हो रहा है.
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एएसएच/डीकेपी
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