नई दिल्ली,11 मई . कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने भारत-पाक संघर्ष के बीच सीजफायर की घोषणा के बाद केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने अमेरिका के दबाव में सीजफायर किया. ऐसा करने की जरूरत नहीं थी और हमने ऐसा करके पीओके को वापस हासिल करने का सुनहरा अवसर गंवा दिया.
रविवार को समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान राशिद अल्वी ने कहा कि जब पूरा देश एक साथ होकर भारत सरकार के साथ आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए खड़ा था तो ऐसे समय में भारत ने अमेरिका में दबाव में सीजफायर किया. तीन दिनों में हमारी सेना ने पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखाई. लेकिन क्या भारत सरकार ने वो मकसद हासिल कर लिया, जिसके लिए यह सब कुछ किया गया था. भारत सरकार ने सीजफायर की घोषणा की, लेकिन क्या इस फैसले से पहले उन्हें सभी राजनीतिक दलों से एक बार विचार-विमर्श नहीं करना चाहिए था?
उन्होंने कहा कि आज पूरा देश सरकार के साथ है. हमारी सेना तैयार है, लेकिन पीओके पाकिस्तान के पास रह गया. हमें उसे लेना चाहिए था. इससे बेहतर मौका और नहीं हो सकता था. अमेरिका के दबाव में हमें सीजफायर नहीं करना चाहिए था.
सीजफायर के बाद बॉर्डर पर शांति बहाल होने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि सीजफायर के बाद हमले का कोई सवाल नहीं उठता है. लेकिन पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता. पाकिस्तान कभी भी हमसे सीधे तौर पर लड़ नहीं सकता है. इसलिए वह दहशतगर्दों के दम पर आतंक फैलाना चाहता है.
राशिद अल्वी ने सवाल किया कि जिस तरह से आईएमएफ की ओर से 1 बिलियन डॉलर पाकिस्तान को दिए गए, क्या अमेरिका पर भारत सरकार को दबाव नहीं बनाना चाहिए था? क्योंकि, पाकिस्तान इन पैसों से हथियार खरीदकर हमारे खिलाफ ही इस्तेमाल करेगा. हमारी सेना और सरकार का जो मकसद था वह पूरा नहीं हुआ है. इसलिए सीजफायर अमेरिका के दबाव में नहीं होना चाहिए था. भारत अब दूसरा पहलगाम बर्दाश्त नहीं कर सकता है.
–
डीकेएम/
The post first appeared on .
You may also like
कोच हो तो रिकी पोंटिंग जैसा, सीजफायर की खबर मिलते ही फ्लाइट से उतर गए रिकी पोंटिंग
आईपीएल 2025 के फिर शुरू होने की संभावना के बीच गुजरात टाइटंस ने शुरू की अपनी ट्रेनिंग
भारत और पाकिस्तान संघर्ष के दौरान क्या-क्या हुआ, दोनों देशों की सेनाओं ने ये कहा
CBSE Result 2025: दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणाम: जल्द घोषणा संभव
Gold Price Crash: सोने की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट, 18,000 रुपये तक कम हुआ दाम, निवेशकों की नजरें बाजार पर