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मध्य प्रदेश : 'श्री बादल भोई आदिवासी राज्य संग्रहालय' में स्वतंत्रता संग्राम के जनजातीय नायकों की झलक

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छिंदवाड़ा, 5 जुलाई . मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बना ‘श्री बादल भोई आदिवासी राज्य संग्रहालय’ का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर 2024 को वर्चुअली उद्घाटन किया था. यह संग्रहालय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को समर्पित है, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी नायकों के योगदान को विशेष रूप से दर्शाया गया है.

जनजातीय कार्य विभाग में असिस्टेंट सहायक ग्रेड 2 अधिकारी सुनील चौहान ने समाचार एजेंसी को बताया, “संग्रहालय की स्थापना 20 अप्रैल 1954 को हुई थी, लेकिन 8 सितंबर 1997 को इसका नाम बदलकर कर ‘श्री बादल भोई राज्य आदिवासी संग्रहालय’ कर दिया गया. बादल भोई को ब्रिटिश शासन के खिलाफ उनके अहिंसक प्रतिरोध के लिए ‘छिंदवाड़ा के गांधी’ के रूप में पूजा जाता है. संग्रहालय का लगभग 33 करोड़ रुपए की लागत से एक महत्वपूर्ण नवीनीकरण किया गया है. यहां पर सैकड़ों वर्ष पुरानी जनजातीय परंपरा और स्वतंत्रता के संघर्ष में उनके योगदान को दिखाया गया है, जिससे लोग उनकी परंपरा से रू-ब-रू हो सकें.”

उन्होंने बताया कि संग्रहालय की दीवारों पर टंट्या भील, भीमा नायक, शंकर-शाह रघुनाथ शाह, रघुनाथ सिंह मंडलोई, राजा गंगाधर गोंड, बादल भोई और सीताराम कंवर, ढिल्लन शाह गोंड मालगुजार और राजा अर्जुन सिंह गोंड की शौर्यगाथा को दिखाया गया है. इसके अलावा बांस शिल्प, लौह शिल्प और पेंटिंग के माध्यम से जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को दिखाया गया है.”

सुनील चौहान ने बताया, “ट्राइबल रिचर्स इंस्टीट्यूट भोपाल की टीम की देखरेख में संग्रहालय का कायाकल्प किया गया है. पहले संग्रहालय में आदिवासी संस्कृति और खान-पान को दर्शाया गया था. लेकिन अब इसे विस्तार देते हुए आजादी की लड़ाई में आदिवासी नायकों के योगदान और उनके संपूर्ण परिचय को दर्शाया गया है.

आठ एकड़ क्षेत्र में फैले इस परिसर में 14 कमरे और चार गैलरियां हैं. इस संग्रहालय को विस्तार देने के लिए तीन साल पहले 33 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी. संग्रहालय में आदिवासी जनजाति बैगा, गोंड, भारिया समेत अन्य जनजातियों की जीवन शैली, सांस्कृतिक धरोहर, प्रतीक चिह्नों और शिल्पों को अंकित किया गया है.”

एससीएच/एकेजे

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