New Delhi, 6 अक्टूबर . दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम जिले के साइबर Police स्टेशन ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए साइबर ठगी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस गिरोह के तार कंबोडिया के ठगों से जुड़े थे. Police ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से 13 मोबाइल, एक लैपटॉप, नौ चेकबुक, आठ सिम कार्ड और ठगी से संबंधित रजिस्टर बरामद किए.
यह गिरोह शेयर बाजार और आईपीओ में निवेश के नाम पर लोगों को ठगता था और ठगी के पैसे को फर्जी तरीके से बनाए खातों और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए सफेद करता था.
Police के मुताबिक, मामला तब सामने आया जब शिकायतकर्ता आर. चौधरी ने साइबर Police में शिकायत दर्ज की. उन्होंने बताया कि उन्हें एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, जहां ऊंचे मुनाफे का लालच देकर शेयरों में निवेश के लिए उकसाया गया. शुरू में छोटे-छोटे मुनाफे दिखाकर उनका भरोसा जीता गया.
बाद में फर्जी प्रविष्टियां दिखाकर उनसे बड़ी रकम निवेश करवाई गई. जब उन्होंने पैसा निकालने की कोशिश की, तो निकासी रोक दी गई और उनसे 10.7 लाख रुपये ठग लिए गए. इस शिकायत के आधार पर साइबर Police थाने में ई-First Information Report दर्ज की गई और जांच शुरू हुई.
मामले की गंभीरता को देखते हुए इंस्पेक्टर प्रवेश कौशिक के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई गई, जिसमें उप-निरीक्षक चेतन राणा, हवलदार मनेंद्र और हवलदार विजयपाल शामिल थे. इस टीम ने तकनीकी निगरानी और धन के लेन-देन का विश्लेषण किया. Police ने पहले आरोपी विक्रम को Haryana के नरवाना से गिरफ्तार किया. उसकी पूछताछ से मुकुल का नाम सामने आया, जिसे पंजाब के जीरकपुर से पकड़ा गया. मुकुल ने बताया कि उसने बैंक खाते अक्षय को सौंपे थे, जिसे Himachal Pradesh के ऊना से गिरफ्तार किया गया.
इसके बाद हरि किशन सिंह को अमृतसर से पकड़ा गया, जिसके पास से सात मोबाइल, एक लैपटॉप और नौ चेकबुक बरामद हुईं. अंत में मुख्य सरगना मंगू सिंह को Rajasthan के सीकर से गिरफ्तार किया गया. वह टेलीग्राम के जरिए कंबोडिया के ठगों के संपर्क में था और फर्जी तरीके से बनाए खातों का प्रबंधन करता था.
जांच में पता चला कि मंगू सिंह और उसका सहयोगी कुलदीप टेलीग्राम पर “एटीपे” नाम का ग्रुप चलाते थे, जहां खातों की मांग साझा की जाती थी. विक्रम, मुकुल और अक्षय अलग-अलग राज्यों में बैंक खाते खोलते थे, जिन्हें हरि किशन और मंगू सिंह को सौंपा जाता था. ठगी का पैसा इन खातों में डाला जाता, फिर कई खातों में बांटा जाता और अंत में क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर कंबोडिया भेजा जाता. गिरोह 5 फीसदी कमीशन रखता था. बरामद मोबाइल, लैपटॉप और रजिस्टरों में खातों और कंबोडिया के ठगों के साथ चैट के सबूत मिले.
गिरफ्तार आरोपियों में विक्रम नरवाना से है और फोटोस्टेट दुकान चलाता है. मुकुल जीरकपुर से है और एसी मैकेनिक है. अक्षय ऊना से है और आर्किटेक्ट है. हरि किशन सोनीपत से है और असफल उद्यमी है. मंगू सिंह सीकर से है और पॉलिटेक्निक ड्रॉपआउट है, जो गिरोह का मास्टरमाइंड था. इस मामले को एनसीआरपी प्लेटफॉर्म पर 15 अन्य शिकायतों से जोड़ा गया है.
Police उपायुक्त अमित गोयल ने बताया कि जांच जारी है और अन्य संदिग्धों की तलाश की जा रही है. Police ने लोगों से अनजान निवेश ऑफर से सावधान रहने की अपील की है.
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एसएचके/वीसी
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