मेहसाणा, 26 जून . गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने गुरुवार को मेहसाणा जिले के उंझा से एक राज्य-स्तरीय टीकाकरण अभियान की शुरुआत की. इस अभियान में दो तरह के टीके लगाए जाएंगे, पहला टीडी, जो टेटनस और डिप्थीरिया नाम की बीमारियों से बचाने के लिए है, और दूसरा डीपीटी, जिसे ‘ट्रिपल एंटीजन’ भी कहा जाता है, जो डिप्थीरिया, काली खांसी और टेटनस से बचाता है.
इस अभियान का उद्देश्य बच्चों और किशोरों को टेटनस, डिप्थीरिया, काली खांसी, पोलियो और निमोनिया समेत अन्य जानलेवा बीमारियों से बचाना है.
इस सरकारी स्वास्थ्य अभियान के तहत 992 राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीमें पूरे राज्य में टीकाकरण करेंगी. ये टीमें 47,439 स्कूलों में जाकर टीके लगाएंगी. इसके तहत करीब 18.2 लाख छात्रों को वैक्सीनेट किया जाएगा.
इसके अलावा, सरकार इस अभियान में करीब 6.1 लाख छोटे बच्चों को टीका लगाएगी. ये टीके लगभग 39,045 आंगनवाड़ियों में दिए जाएंगे. इन बच्चों को डीपीटी बूस्टर का दूसरा टीका मिलेगा, जो राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत जरूरी होता है.
यह अभियान भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा है. इस कार्यक्रम के तहत साल 2019 से 10 और 16 साल की उम्र के बच्चों को टीडी टीके दिए जा रहे हैं.
पिछले साल गुजरात में इस अभियान के तहत 23 लाख से ज्यादा किशोरों, स्कूल जाने वाले और जो स्कूल नहीं जाते, उनको टीडी टीके लगाए गए. अभियान की सफलता को देखते हुए अब गुजरात में हर साल जून और जुलाई में टीडी टीकाकरण अभियान चलाया जाता है.
इस साल के टीकाकरण अभियान में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के कक्षा 5 और कक्षा 10 के बच्चों को टीडी टीके दिए जाएंगे. वहीं, 5 साल की उम्र तक के छोटे बच्चों को डीपीटी बूस्टर का दूसरा टीका लगाया जाएगा. ये टीके बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी से सुरक्षा प्रदान करते हैं.
पिछले तीन साल के स्वास्थ्य आंकड़ों से पता चला है कि डिप्थीरिया और टेटनस के मामले काफी कम हुए हैं. वहीं छोटे बच्चों में काली खांसी के मामले भी अब काफी कम हैं.
इस अभियान के लिए, 10,764 से ज्यादा स्वास्थ्य टीमें स्कूलों में जाकर टीडी टीकाकरण अभियान चलाएंगी.
जो बच्चे अपने तय समय पर टीका नहीं लगवा पाए हैं, उन्हें आने वाले टीकाकरण सत्रों में टीका लगाया जाएगा. यह अभियान राज्य के शिक्षा विभाग के साथ मिलकर चलाया जा रहा है.
अधिकारियों ने बताया कि टीडी और डीपीटी दोनों टीके पूरी तरह सुरक्षित हैं. 1985 से देश में बच्चों को लगाए जा रहे हैं. यह टीके बच्चों की सेहत के लिए जरूरी और सुरक्षित हैं.
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पीके/केआर
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