लखनऊ, 27 जून . उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने इटावा में कथावाचक के साथ हुए अमर्यादित व्यवहार पर कड़ा रुख अपनाते हुए शुक्रवार को कहा कि कानून का राज है और जो भी गलत करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.
समाचार एजेंसी से बातचीत में राजभर ने इटावा के बकेवर थाना क्षेत्र में कथावाचक मुकुट मणि यादव के साथ हुई बदसलूकी और 26 जून को हुए पथराव और पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं की निंदा की. उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि वह जातीय तनाव को बढ़ावा दे रहे हैं.
इटावा के दादरपुर गांव में 21 जून को कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगी संत कुमार यादव के साथ बदसलूकी और मारपीट की घटना हुई थी. आरोप है कि गांव के कुछ लोगों ने कथावाचक का सिर मुंडवाकर उनका अपमान किया और उन पर “गांव को अपवित्र” करने का आरोप लगाया. इस घटना के बाद 26 जून को ‘अहीर रेजिमेंट’ और अन्य ने गांव में प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस पर पथराव हुआ, पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया. प्रदर्शनकारियों ने आगरा-कानपुर नेशनल हाई-वे जाम कर दिया. पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हवाई फायरिंग की और कई उपद्रवियों को गिरफ्तार किया.
ओम प्रकाश राजभर ने कहा, “हम ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं. चाहे वह कथावाचक के साथ हुई बदसलूकी हो या फिर 26 जून की पत्थरबाजी और पुलिस वाहनों को तोड़ने की घटना. कानून का राज है और संविधान के तहत सरकार चल रही है. कोई भी कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता.”
उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन को इस तरह की घटनाओं पर सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए.
उन्होंने प्रदर्शनकारियों के पथराव और पुलिस के साथ अभद्रता को गलत ठहराते हुए कहा, “पुलिस की गाड़ियां तोड़ना, पत्थरबाजी करना अन्याय है. अगर कोई गलत करता है, तो कानून अपना काम करेगा. इसके बाद वही लोग चिल्लाएंगे कि उनकी जाति के साथ अन्याय हो रहा है.”
राजभर ने जोर देकर कहा कि सरकार कानून के दायरे में काम करेगी और किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर जातिवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अखिलेश ने कथावाचक को 51,000 रुपए की आर्थिक मदद देकर केवल एक पक्ष का समर्थन किया, जबकि दोनों पक्षों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. अगर अखिलेश पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) की बात करते हैं, तो उन्हें दोनों पक्षों को बराबर सम्मान देना चाहिए था. केवल यादव समुदाय को समर्थन देना और ब्राह्मण पक्ष को नजरअंदाज करना कहां का पीडीए है?”
राजभर ने दावा किया कि सपा की सरकार में दंगे और जातीय तनाव आम थे, और अब भी वे उसी तरह की राजनीति कर रहे हैं.
राजभर ने कहा कि महात्मा बुद्ध, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डॉ. बी.आर. अंबेडकर जैसे महापुरुषों ने शांति और समानता का संदेश दिया. संविधान में इनके विचार शामिल हैं. हमें संविधान का पालन करना चाहिए. कोई भी गलत करेगा, तो कानून उसका हिसाब करेगा.”
उन्होंने जोर दिया कि सरकार संविधान के अनुसार काम कर रही है और किसी भी जाति या समुदाय के साथ भेदभाव नहीं करती.
कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नेमप्लेट लगाने और खुले में मांस बिक्री पर रोक के योगी सरकार के आदेश पर राजभर ने कहा, “यह फैसला शांति और सामंजस्य बनाए रखने के लिए लिया गया है. कांवड़ यात्रा आस्था का प्रतीक है. सरकार का मकसद विवाद से बचना और सभी के लिए शांतिपूर्ण माहौल सुनिश्चित करना है.”
आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसबोले के इस बयान पर कि संविधान से ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने पर विचार होना चाहिए, राजभर ने कहा, “यह उनका व्यक्तिगत मत हो सकता है. लेकिन, संविधान में सभी को अपने धर्म और अपनी संस्कृति के अनुसार पूजा-पाठ का अधिकार है. समाजवाद का मतलब है जातिवाद को खत्म करना. अगर नाम के आगे जाति हटाने से जातिवाद खत्म होता है, तो इसमें क्या बुराई है?”
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एसएचके/एकेजे
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