नई दिल्ली, 24 मई . केंद्र सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि दुर्गम इलाकों में एग्रीगेटर से वितरण बिंदु तक मछली ले जाने का काम बहुत जल्द ड्रोन के माध्यम से होता नजर आएगा.
मछली पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सचिव (मत्स्य पालन) डॉ. अभिलक्ष लिखी के अनुसार, जीवित मछली परिवहन के लिए वर्तमान में ड्रोन तकनीक पर एक पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है. इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य 70 किलोग्राम पेलोड ड्रोन विकसित करना है, जो दुर्गम इलाकों में जीवित मछली ले जाने में सक्षम हो.
एक कार्यक्रम में, डॉ. लिखी ने राज्यों से इनोवेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर और संस्थागत तालमेल के जरिए मत्स्य पालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सहयोगी प्रयासों को मजबूत करने का आग्रह किया.
मछुआरों की सुरक्षा और परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए सैटेलाइट टेक्नोलॉजी के व्यापक उपयोग पर जोर दिया गया, जिसमें रिसोर्स मैपिंग, बायोमेट्रिक पहचान और चेहरे की पहचान जैसे पहलू शामिल हैं.
ग्रीन और ब्लू सस्टेनेबिलिटी सिद्धांतों से जुड़ी स्मार्ट, इंटीग्रेटेड मछली पकड़ने के बंदरगाहों और मॉडर्न फिश मार्केट के विकास को भविष्य की प्रमुख प्राथमिकता के रूप में पहचाना गया.
उन्होंने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) और सपोर्टिव सब्सिडी स्ट्रक्चर के माध्यम से ड्रोन पहल को मजबूत करने का भी आह्वान किया.
आईसीएआर संस्थानों के समर्थन से एडवांस मत्स्य पालन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. इसके अलावा, प्रॉसेसिंग, मार्केटिंग और पैकेजिंग पर विशेष रूप से क्लस्टर डेवलपमेंट और एक संपन्न स्टार्टअप इकोसिस्टम के जरिए मजबूत फोकस को प्रोत्साहित किया गया.
मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए ‘अमृत सरोवर’ का लाभ उठाने पर विशेष जोर दिया गया, जिसमें राज्यों से सक्रिय समर्थन मांगा गया.
विशेषज्ञों ने सजावटी मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और समुद्री शैवाल की खेती और कृत्रिम चट्टानों के विकास का भी आह्वान किया, जिससे इन उभरते क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिले.
सजावटी मत्स्य पालन का मतलब आकर्षक और रंगीन मछलियों को पालने से है, जो अक्सर एक्वेरियम जैसे छोटे जलीय वातावरण में रखी जाती हैं.
मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त सचिव (अंतरदेशीय) सागर मेहरा ने अंतरदेशीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंतरदेशीय मत्स्य पालन से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला.
वन विभाग की संयुक्त सचिव (समुद्री) नीतू कुमारी प्रसाद ने मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट बंदरगाहों और प्रजातियों के विविधीकरण के विकास के महत्व पर जोर दिया.
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एसकेटी/केआर
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