लखनऊ, 27 अप्रैल . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘पीएम स्वनिधि’ ने उत्तर प्रदेश में सफलता के नए आयाम छू लिए हैं. योजना के तहत राज्य में 100.25 प्रतिशत की प्रभावशाली सफलता दर के साथ अब तक 19,92,242 लाभार्थियों को ऋण वितरित किया जा चुका है, जो निर्धारित लक्ष्य 19,87,330 से अधिक है.
कोरोना काल में आर्थिक रूप से टूट चुके रेहड़ी-पटरी व्यवसायी (स्ट्रीट वेंडर्स) के लिए पीएम मोदी के इस विजन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सतत मॉनिटरिंग के जरिए जमीनी धरातल पर उतारते हुए सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है. हाल ही में सामने आई यूपी स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी (यूपी एसएलबीसी) की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है.
यूपी एसएलबीसी की ओर से जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पीएम स्वनिधि 2.0 के तहत उत्तर प्रदेश में प्रथम चरण में 13,22,250 लाभार्थियों के लक्ष्य से आगे निकलते हुए 13,90,948 को ऋण वितरित किया गया, जो 105.20 प्रतिशत की उपलब्धि है. इसी तरह द्वितीय चरण में 6,13,350 के लक्ष्य के मुकाबले 5,24,442 लाभार्थियों को योजना का लाभ मिला, जो 85.50 प्रतिशत है. वहीं तृतीय चरण में 51,730 के लक्ष्य के मुकाबले 76,872 लाभार्थियों को बैंकों ने ऋण प्रदान किए, जोकि 148.60 प्रतिशत की शानदार उपलब्धि है. इस कार्य के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित प्रदेश में अपनी सेवाएं दे रहे 95 बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थाओं ने अपने दरवाजे गरीब पटरी व्यवसायियों की मदद के लिए खोल दिए. इसमें सर्वाधिक योगदान देने वाले शीर्ष पांच सार्वजनिक बैंक क्रमश: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (5,59,458), पंजाब नेशनल बैंक (3,01,287), बैंक ऑफ बड़ौदा (2,88,824), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (1,94,873) और इंडियन बैंक (1,69,950) हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से इस योजना को प्रदेश के हर कोने तक पहुंचाने के लिए व्यापक रणनीति अपनाई गई. उनके नेतृत्व और सतत मॉनिटरिंग में सरकार ने न केवल लक्ष्य से अधिक लाभार्थियों को योजना से जोड़ने में कामयाबी हासिल की, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि यह लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे. यही कारण है कि ‘पीएम स्वनिधि’ को धरातल पर उतारने के मामले में उत्तर प्रदेश देश में पहले पायदान पर है.
प्रधानमंत्री मोदी के संकल्पों की सिद्धि के लिए हर मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बात पर विशेष जोर देकर कहा कि पीएम स्वनिधि योजना न केवल आर्थिक सशक्तीकरण का माध्यम है, बल्कि यह छोटे व्यवसायियों और रेहड़ी-पटरी वालों के आत्मसम्मान को भी बढ़ाती है.
उल्लेखनीय है कि योजना 1 जून 2020 को शुरू की गई थी और इसका लक्ष्य पात्र रेहड़ी-पटरी वालों को बिना किसी गारंटी 10,000 रुपए तक का प्रारंभिक ऋण देना था. समय पर ऋण चुकाने पर 20,000 रुपए और फिर 50,000 रुपए तक का ऋण प्रदान किया जाता है. योजना के तहत 31 दिसंबर 2024 तक उत्तर प्रदेश में 19,92,242 लाभार्थियों को लाभ मिल चुका है. 31 दिसंबर के बाद फिलहाल नए आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं.
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एसके/एकेजे
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