नई दिल्ली, 26 अप्रैल . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शनिवार को नई दिल्ली के प्रधानमंत्री संग्रहालय में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ सदस्य और विश्व हिंदू कांग्रेस के संस्थापक स्वामी विज्ञानानंद द्वारा लिखित पुस्तक ‘द हिंदू मेनिफेस्टो’ के विमोचन समारोह में हिस्सा लिया. इस अवसर पर भागवत ने पुस्तक में व्यक्त विचारों को समकालीन परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक और महत्वपूर्ण बताया.
उन्होंने कहा कि यह पुस्तक हिंदू समाज के लिए एक दिशा-निर्देशक दस्तावेज है, जो शास्त्रों और परंपराओं पर आधारित होकर आधुनिक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करती है.
पुस्तक के लेखक स्वामी विज्ञानानंद ने अपने संबोधन में ‘द हिंदू मेनिफेस्टो’ के उद्देश्य और संरचना को विस्तार से समझाया. उन्होंने कहा कि ‘मेनिफेस्टो’ शब्द का अर्थ किसी समूह या विचारधारा के मूल सिद्धांतों को स्पष्ट करना है. यह पुस्तक हिंदू दर्शन और शास्त्रों से प्रेरित होकर हिंदू समाज के विचारों को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करती है.
स्वामी विज्ञानानंद ने आगे कहा कि कई लोग हिंदू ज्ञान का उपयोग अपनी निजी दुकान चलाने के लिए करते हैं, लेकिन इस पुस्तक का उद्देश्य हिंदू विचारधारा को पुनर्जनन और मान्यता देना है. ‘द हिंदू मेनिफेस्टो’ आठ अध्यायों में विभाजित है, जिसमें प्रत्येक अध्याय समाज, अर्थव्यवस्था, रक्षा और संस्कृति जैसे विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित है. पहले अध्याय में समृद्धि (प्रोस्पेरिटी) पर बल दिया गया है.
स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि किसी भी समाज या राष्ट्र की प्रगति के लिए समृद्धि जरूरी है. इसके लिए नीति-निर्माण, सरकार, समाज, किसान और उद्यमियों की भूमिका को स्पष्ट किया गया है. उन्होंने कहा, “समृद्धि के बिना कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता. इसके लिए हमें यह समझना होगा कि राज्य की मशीनरी, नीतियां और समाज के विभिन्न वर्गों का योगदान कैसे सुनिश्चित किया जाए.”
स्वामी विज्ञानानंद ने महाभारत का उल्लेख करते हुए कहा कि जब तक शत्रु को परास्त नहीं किया जाता, तब तक जनता की सुरक्षा संभव नहीं है. उन्होंने सैन्य संसाधनों, नेतृत्व और कमांडरों की गुणवत्ता पर जोर देते हुए कहा कि एक मजबूत रक्षा तंत्र ही राष्ट्र की संप्रभुता को सुनिश्चित करता है. हमारी भौगोलिक सीमाएं कभी बहुत विस्तृत थी, लेकिन आज हम सिकुड़ गए हैं. इस पुस्तक में हमने इसका वर्णन किया है ताकि लोगों को अपनी विरासत का गौरव समझ आए.
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एकेएस/
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