New Delhi, 3 नवंबर भारतीय सेना की टुकड़ियां युद्धाभ्यास ‘मरु ज्वाला’ का संचालन कर रही हैं. Rajasthan में चल रहे इस युद्धाभ्यास के दौरान भारतीय सेना द्वारा नवीन तकनीकों व मानवरहित प्लेटफॉर्मों का प्रभावी प्रयोग किया जा रहा है. यहां सेना की तोप, मिसाइलें, ड्रोन, रडार और कमांड सिस्टम को एक डिजिटल नेटवर्क से जोड़कर लक्ष्य भेदने का अभ्यास भी किया जा रहा है. यह अभ्यास इसलिए जरूरी है ताकि जानकारी तुरंत साझा की जा सके और दुश्मन पर तेज, सटीक व समन्वित फायरिंग या हमला किया जा सके.
इस प्रणाली से सेना की मारक क्षमता और प्रतिक्रिया गति दोनों बढ़ जाती हैं. उदाहरण के तौर पर यदि कोई ड्रोन दुश्मन के लक्ष्य का पता लगाता है तो उसकी जानकारी तुरंत नेटवर्क के जरिए तोपखाने या मिसाइल यूनिट तक पहुंच जाती है, जिससे तुरंत और सटीक हमला किया जा सकता है.
सेना की दक्षिणी कमान के सुदर्शन चक्र कोर के अंतर्गत आने वाले शाहबाज डिवीजन की सैन्य टुकड़ियां इस अभ्यास का हिस्सा हैं. दरअसल, त्रि-सेवा यानी आर्मी, एयरफोर्स व नेवी के संयुक्त युद्धाभ्यास ‘त्रिशूल’ के हिस्से के रूप में उच्च-तीव्रता वाले समेकित युद्धाभ्यास ‘अभ्यास मरु ज्वाला’ का संचालन किया जा रहा है.
इस अभ्यास का उद्देश्य भूमि, वायु, समुद्र और डिजिटल क्षेत्रों में संचालनात्मक समन्वय को प्रमाणित करना और त्रि-सेवा एकीकरण को और अधिक प्रभावी बनाना है. वर्ष 2025 को ‘सुधार और प्रौद्योगिकी अंगीकरण का वर्ष’ घोषित किया गया है. इसी के अनुरूप यह अभ्यास भारतीय सेना की आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) और तकनीकी नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
यह दर्शाता है कि भारतीय सशस्त्र बल कैसे संयुक्त अभियानों में उन्नत तकनीकों के माध्यम से भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए स्वयं को तैयार कर रहे हैं. सेना के मुताबिक, अभ्यास मरु ज्वाला त्रि-सेवाओं के बीच संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और बहु-क्षेत्रीय युद्धक्षेत्र में तत्परता को बढ़ावा देने के सामूहिक प्रयासों का उत्कृष्ट उदाहरण है. यह भारतीय सशस्त्र बलों की उस दूरदर्शी सोच को प्रतिबिंबित करता है, जिसके तहत वे एक भविष्य के लिए तैयार बल के रूप में विकसित हो रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर, भारतीय सेना की सप्त शक्ति कमान ने भी Rajasthan के थार मरुस्थल स्थित महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में अभ्यास सेंटिनल स्ट्राइक नामक एक प्रमुख संयुक्त फायर एवं गतिशीलता अभ्यास आयोजित किया. इस अभ्यास में आधुनिक हथियार प्रणालियों, सटीक फायर डिलीवरी, रियल-टाइम कम्युनिकेशन और मल्टी-डोमेन कोऑर्डिनेशन का प्रदर्शन किया गया.
इसका उद्देश्य वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में सेना की फायर पावर, गतिशीलता और सामरिक लचीलेपन को परखना था. अभ्यास सेंटिनल स्ट्राइक और मरु ज्वाला, दोनों ही भारतीय सेना की उस सतत प्रक्रिया का हिस्सा हैं जिसके माध्यम से वह संचालनात्मक दक्षता, तकनीकी एकीकरण और संयुक्त युद्ध क्षमता को अगले स्तर पर ले जा रही है. इसका उद्देश्य यह है कि India की सीमाएं हर परिस्थिति में सुरक्षित रहें और सेना हर मोर्चे पर निर्णायक बढ़त बनाए रख सके.
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जीसीबी/डीकेपी
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