हिसार, 22 अप्रैल . संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा 2024 के अंतिम परिणामों की घोषणा कर दी है. इस वर्ष के परिणामों में शक्ति दुबे ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान हासिल किया, जबकि हर्षिता गोयल ने दूसरा स्थान प्राप्त कर देश भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया.
इस परीक्षा में कुल 1,056 उम्मीदवारों ने सफलता प्राप्त की है, जिनमें से शीर्ष रैंक हासिल करने वालों की कहानियां प्रेरणा का स्रोत बन रही हैं.
हर्षिता गोयल ने दूसरा स्थान हासिल कर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देश में बेटियों का मान बढ़ाया है. हरियाणा के हिसार के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाली हर्षिता की इस उपलब्धि ने उनके पिता गोविंद गोयल को भावुक कर दिया.
गोविंद गोयल ने से बातचीत में कहा, “आज का दिन हमारे लिए बेहद खास है. हर्षिता ने बचपन से ही पढ़ाई में रुचि दिखाई और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की. उसने साबित कर दिया कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं. हमें उस पर गर्व है. आज के समय में बेटियां बेटों से कम नहीं है. हर्षिता गोयल ने यूपीएससी परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल कर परिवार का नाम रोशन किया है. हमें उम्मीद थी कि मेरी बेटी जरूर सफलता हासिल करेगी और आज उसने बड़ा मुकाम हासिल किया है. इसके लिए मैं उसको बधाई देती हूं. इसने सिविल सेवा की तैयारी काफी मन से की और आज उसका नतीजा सबके सामने है.”
इसी प्रकार महेंद्रगढ़ की होनहार बेटी डॉ. अंकिता ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2024 में 337वीं रैंक हासिल कर जिले और प्रदेश का नाम रोशन किया है. खास बात यह रही कि अंकिता ने यह सफलता बिना किसी कोचिंग के अपने दूसरे प्रयास में प्राप्त की है, जिससे न केवल उनके परिवार बल्कि समूचे क्षेत्र में खुशी की लहर है. सतनाली मोड महेंद्रगढ़ निवासी और मूलरूप से चरखी दादरी जिले के धनासरी गांव की रहने वाली डॉ. अंकिता बचपन से ही प्रतिभावान रही हैं.
अंकिता का परिवार शिक्षा प्रेमी रहा है. उनके पिता विजेंद्र श्योराण रिटायर्ड जिला शिक्षा अधिकारी हैं, जबकि माता कमलेश श्योराण अध्यापिका हैं. अपनी सफलता का श्रेय अंकिता ने परिवार के सहयोग और खुद की मेहनत को दिया. उन्होंने बताया कि कड़ी मेहनत, दृढ़ निश्चय और समय प्रबंधन के साथ बिना कोचिंग के भी यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में सफलता संभव है.
छत्तीसगढ़ के रायपुर की पूर्वा अग्रवाल ने अपने तीसरे प्रयास में 65वीं रैंक हासिल कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. इस शानदार उपलब्धि के साथ पूर्वा ने अपने आईएएस अधिकारी बनने के सपने को साकार किया है. इससे पहले, उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में चयन प्राप्त किया था, लेकिन उनका लक्ष्य हमेशा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाना रहा.
से विशेष बातचीत में पूर्वा ने अपनी खुशी को साझा किया. उन्होंने कहा, “आज मैं बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं. बचपन से ही मेरा सपना था कि मैं आईएएस अधिकारी बनूं. जब दूसरे प्रयास में आईपीएस में चयन, तब भी बहुत खुशी हुई थी, क्योंकि यह भी देश की सेवा करने का एक शानदार अवसर है. लेकिन अपने सपने को पूरा करने के लिए मैंने एक और प्रयास किया, और आज 65वीं रैंक हासिल कर मैंने अपने कलेक्टर बनने के सफर को पूरा किया है.”
पूर्वा ने अपनी तैयारी की रणनीति के बारे में बताया कि उन्होंने कभी भी पढ़ाई के घंटों को तय नहीं किया. उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा परीक्षा के हिसाब से मेहनत की. जब परीक्षा नजदीक होती थी, तो मेहनत बढ़ जाती थी, लेकिन जब समय होता था, तो मैं थोड़ा रिलैक्स रहकर भी पढ़ाई करती थी. इस सफलता के पीछे परिवार का अटूट समर्थन रहा. बहन और पिता ने हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया. मेरे परिवार का सपोर्ट मेरी सबसे बड़ी ताकत था. उनकी वजह से मैं हर चुनौती का सामना कर पाई. अब मेरा पूरा फोकस अपनी ट्रेनिंग पर रहेगा. मैं इसमें सौ प्रतिशत दूंगी, ताकि मैं सभी जरूरी कौशल सीख सकूं. मेरी कोशिश रहेगी कि जहां भी मेरी पोस्टिंग हो, मैं पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ अपना काम करूं.”
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एकेएस/
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