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बिहार विधानसभा चुनाव : बेनीपुर में ब्राह्मण मतदाता निर्णायक, जदयू के गढ़ में एनडीए बेहद मजबूत

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पटना, 19 अगस्त . दरभंगा जिले का बेनीपुर विधानसभा क्षेत्र प्रदेश की राजनीति में एक अहम जगह रखता है. यह सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी और शुरुआती तीन चुनावों के बाद इसे समाप्त कर दिया गया. लेकिन, 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश पर इसे पुनः अस्तित्व में लाया गया. अब तक यहां कुल छह विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. बेनीपुर, बहेरी और बिरौल प्रखंड इस विधानसभा क्षेत्र में शामिल हैं और यह दरभंगा Lok Sabha सीट का हिस्सा है.

भौगोलिक रूप से बेनीपुर अर्ध-शहरी इलाका है, जहां छोटे कस्बों और ग्रामीण बस्तियों का मिश्रण मिलता है. दरभंगा जिला मुख्यालय यहां से लगभग 30 किमी पश्चिम में है, जबकि मधुबनी 37 किमी उत्तर में, समस्तीपुर 54 किमी दक्षिण में और रोसड़ा 45 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है. यह क्षेत्र सड़क और रेल दोनों से बिहार के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है.

उपजाऊ भूमि के कारण यहां धान, गेहूं, मक्का और दालों की अच्छी खेती होती है, लेकिन उद्योग-धंधों की कमी और रोजगार अवसरों के अभाव के कारण बड़ी संख्या में युवा बाहर प्रवास करते हैं.

सामाजिक दृष्टि से बेनीपुर की राजनीति पर ब्राह्मण समुदाय का वर्चस्व रहा है. अब तक यहां से चुने गए पांच विधायक इसी समुदाय से आए हैं. यहां ब्राह्मण वोट निर्णायक माने जाते हैं, हालांकि यादव, कुशवाहा, दलित और मुस्लिम समुदायों की भी प्रभावशाली हिस्सेदारी है, जो चुनावी समीकरणों को बदलने की क्षमता रखते हैं. स्थानीय समस्याओं की बात करें तो यहां पीने के पानी की किल्लत और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव सबसे बड़ी चुनौतियां हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति की उचित व्यवस्था नहीं है और कोई उच्चस्तरीय अस्पताल भी मौजूद नहीं है.

राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो 2010 में भाजपा के गोपाल जी ठाकुर ने राजद के हरे कृष्ण यादव को हराकर जीत दर्ज की थी. 2015 में जदयू से सुनील चौधरी ने भाजपा प्रत्याशी गोपाल जी ठाकुर को पराजित किया. इसके बाद 2020 में जदयू के विनय कुमार चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर सीट पर कब्जा बनाए रखा. पिछले दो चुनावों से जदयू इस सीट पर मजबूत पकड़ बनाए हुए है.

धार्मिक आस्था के केंद्र के रूप में बेनीपुर भी जाना जाता है. यहां बेनीपुर प्रखंड के नवादा गांव में हयहट्ट देवी मंदिर विशेष महत्व रखता है. इस मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति की बजाय उनके सिंहासन की पूजा की जाती है. नवरात्रि के दौरान नेपाल और मिथिलांचल के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इस परंपरा के पीछे यह कथा कही जाती है कि सैकड़ों साल पहले एक साधक रोज कमला नदी पार कर यहां पूजा करने आते थे, लेकिन बीमारी के कारण वे ऐसा न कर सके. मां ने उन्हें स्वप्न में आदेश दिया कि “तुम मेरी मूर्ति को उठाकर ले चलो.” साधक मूर्ति ले गया और एक जगह स्थापित कर पूजा करने लगा.

इस बात की जानकारी मिलते ही गांव के लोग आक्रोशित हो गए और मूर्ति वहां से वापस लाने का फैसला किया. उसी रात पुजारी दामोदर गोसाई को भगवती ने स्वप्न दिया कि नवादा गांव के लोग मेरे सिंहासन की ही पूजा करें. मैं उसी में प्रसन्न रहूंगी, तभी से लोग यहां सिंहासन की पूजा करने लगे.

जनता का रुख देखें तो पानी, स्वास्थ्य, रोजगार और प्रवास की समस्या सबसे बड़ी चिंता है. ब्राह्मण वोट का झुकाव जिस तरफ होगा, समीकरण उसी के पक्ष में जाएगा, लेकिन यादव, मुस्लिम और दलित वोटर भी इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

जदयू फिलहाल इस सीट पर मजबूत है और संगठनात्मक पकड़ भी रखता है. हालांकि भाजपा, जिसने 2010 में यहां जीत दर्ज की थी, ब्राह्मण वोटों के सहारे फिर वापसी की कोशिश में है. कांग्रेस और राजद भी समीकरण साधने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि स्थानीय स्तर पर असंतोष और रोजगार जैसी समस्याएं विपक्ष को मुद्दा बनाने का मौका देती हैं.

2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बेनीपुर विधानसभा की अनुमानित जनसंख्या 5,08,040 है, जिसमें 2,65,303 पुरुष और 2,42,737 महिलाएं शामिल हैं. वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 3,01,342 है, जिनमें 1,58,785 पुरुष, 1,42,552 महिलाएं और 5 थर्ड जेंडर हैं.

पीएसके/एबीएम

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