By Jitendra Jangid- दोस्तो जब आपके बचपन में चोट लग जाती थी, तो आपकी दादी नानी उस पर रसोई में रखी हल्दी लगा देती थी और आपकी चोट भी ठीक हो जाती थी, फिर चाहे वह छोटा सा कट, खरोंच या सूजन हो, लेकिन क्या यह सदियों पुरानी प्रथा वास्तव में प्रभावी है? आइए जानते हैं इसके बारे में पूरी डिटेल्स

उपचार गुणों से भरपूर
हल्दी में शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।
ये निम्न में मदद करते हैं: सूजन और लालिमा को कम करना घाव की जगह पर संक्रमण को रोकना प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया को तेज करना
संक्रमण के जोखिम को कम करता है
हल्दी की एंटीसेप्टिक प्रकृति इसे बाहरी उपयोग के लिए आदर्श बनाती है। यह हानिकारक बैक्टीरिया के खिलाफ एक बाधा के रूप में कार्य करती है, जो अन्यथा जटिलताओं का कारण बन सकते हैं।
आंतरिक उपचार के लिए हल्दी वाला दूध
सिर्फ़ बाहरी इस्तेमाल के लिए ही नहीं, चोट लगने के बाद हल्दी वाला दूध (जिसे हल्दी दूध भी कहते हैं) पीने से निम्न में मदद मिलती है:

प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करना
आंतरिक सूजन को कम करना
समग्र रूप से ठीक होने में तेज़ी लाना
पारंपरिक ज्ञान द्वारा समर्थित
यह उपाय सिर्फ़ अंधविश्वास नहीं है - यह आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान द्वारा भी समर्थित है। यही कारण है कि बड़े-बुज़ुर्ग कट और चोट पर हल्दी लगाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि हल्दी से घाव ठीक हो सकते हैं।
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