पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, दोनों पक्षों ने कतर की राजधानी दोहा में मध्यस्थता के बाद तत्काल युद्धविराम पर सहमति व्यक्त की है। यह विकास एक सप्ताह से अधिक समय तक चल रहे सीमा संघर्ष के बाद आया है जिसमें दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए थे।
दोहा में हुई वार्ता में कतर के साथ-साथ तुर्की ने भी मध्यस्थता की भूमिका निभाई। वार्ता में दोनों देशों ने न केवल युद्धविराम पर सहमति जाहिर की है, बल्कि इसके सतत पालन के लिए मेकानिज्म स्थापित करने तथा आने वाले दिनों में और बैठकें करने पर भी सहमति की है।
वार्ता के नेतृत्व में अफगानिस्तान की ओर रक्षा मंत्री मुल्ला मुहम्मद याकूब थे और पाकिस्तान की ओर रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ ने भाग लिया।
पूर्व में दोनों देशों ने 2,600 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा (डूरंड लाइन) पर लगातार तनाव का अनुभव किया है। अफगान सूत्रों के अनुसार, पिछले चार वर्षों में पाकिस्तान ने 1,200 से अधिक बार सीमा उल्लंघन किए तथा 700 + समाधि हवाई उल्लंघन दर्ज किए गए। जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों का खंडन किया है।
इस सम्पर्क में मिडिया रिपोर्ट्स में उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान ने हाल ही में अफगानिस्तान के पक्तिका, नूरिस्तान, नांगरहार तथा खोस्त प्रांतों में ड्रोन व वायु हमले किए थे और इन हमलों में अफगानी नागरिक तथा सीमा स्टाफ भी मारे गए थे। पिछले वर्षों में हुई इन घटनाओं ने इस द्विपक्षीय तनाव को और गहरा कर दिया था।
विश्लेषकों का कहना है कि युद्धविराम और वार्ता एक शुरुआत हो सकती है, लेकिन इस क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए मिलिटेंट समूहों, सीमा नियंत्रण, आंतरिक राजनीतिक स्थिरता और दोनों देशों के भरोसेमंद उपायों की आवश्यकता होगी। यदि इन मुद्दों पर पर्याप्त प्रगति नहीं हुई तो युद्धविराम कागजी ही साबित हो सकती है।
इस प्रकार यह समझा जा सकता है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान वार्ता एवं युद्धविराम एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह केवल प्रारंभिक शांति संकेत है—अगले दौर की कार्रवाई और जटिल मसलों पर बातचीत अब आगे का परीक्षण साबित होगी।
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