बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी हलचल तेज होती जा रही है। इस बीच एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा ने नई राजनीतिक सरगर्मी पैदा कर दी है। भाजपा और जेडीयू को 101-101 सीटें, लोजपा (रामविलास) को 29, जबकि उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) को मात्र 6-6 सीटें दी गई हैं। लेकिन इस फॉर्मूले से उपेंद्र कुशवाहा खासे असंतुष्ट नजर आ रहे हैं।
कुशवाहा ने जताई नाराजगी, लिखा भावनात्मक पोस्ट
कम सीटें मिलने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक भावनात्मक पोस्ट लिखी, जिसने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी। उन्होंने लिखा — “प्रिय साथियों, मैं आप सभी से क्षमा चाहता हूं। आपके मन के अनुरूप सीटों की संख्या तय नहीं हो सकी। मैं जानता हूं कि इस निर्णय से हजारों कार्यकर्ताओं और उम्मीदवार बनने की इच्छा रखने वाले साथियों का मन टूट गया होगा। शायद आज कई घरों में खाना भी नहीं बना होगा। लेकिन मुझे विश्वास है कि आप मेरी और पार्टी की सीमाओं को अवश्य समझेंगे।”
यह पोस्ट कुशवाहा की गहरी नाराजगी और मन की व्यथा को बयां करती है। सूत्रों के मुताबिक, वे शुरू से ही लगभग 20 से अधिक सीटों की मांग कर रहे थे, मगर एनडीए के अंतिम फार्मूले में उन्हें केवल 6 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा।
“कुछ परिस्थितियाँ नजर नहीं आतीं” – उपेंद्र कुशवाहा
कुशवाहा ने आगे लिखा, “हर निर्णय के पीछे कुछ परिस्थितियाँ होती हैं जो सबके सामने होती हैं, और कुछ ऐसी भी होती हैं जो दिखाई नहीं देतीं। मुझे मालूम है कि आपमें से कई लोग मेरे प्रति नाराज या निराश होंगे, और यह स्वाभाविक भी है। लेकिन मैं बस इतना ही कहना चाहता हूँ — थोड़ा धैर्य रखिए, जब गुस्सा शांत होगा, तब आप खुद महसूस करेंगे कि यह निर्णय कितना उचित था या अनुचित। आने वाला समय खुद सब बता देगा।”
उनका यह बयान न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं को शांत करने का प्रयास था, बल्कि एनडीए के भीतर मौजूद असंतोष का भी स्पष्ट संकेत देता है।
एनडीए में सियासी खिंचतान
एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर लंबे समय तक चर्चाओं का दौर चला। अंततः भाजपा और जेडीयू के बीच समान सीटों का बंटवारा हुआ, लेकिन छोटे सहयोगी दलों को अपेक्षा से कम हिस्सेदारी मिली। खासकर उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को दी गई 6-6 सीटें उनके राजनीतिक वजन के अनुरूप नहीं मानी जा रहीं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि एनडीए में यह असंतोष आगे चलकर मुश्किलें खड़ी कर सकता है, खासकर तब जब चुनाव प्रचार का माहौल गर्म होगा।
एनडीए का दावा – सबकुछ सहमति से तय हुआ
हालांकि बीजेपी के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि “एनडीए के सभी घटक दलों ने आपसी सहमति और सौहार्दपूर्ण वातावरण में सीटों का बंटवारा पूरा किया है।” लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति कुछ और कहानी कहती है। कुशवाहा का बयान और कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया इस बात का संकेत देती है कि गठबंधन के भीतर सबकुछ उतना सहज नहीं है जितना बाहर से दिखाया जा रहा है।
आने वाले दिनों में बढ़ सकती है हलचल
कुशवाहा ने भले ही फिलहाल संयम बनाए रखा हो, लेकिन उनके “आने वाला समय बताएगा” वाले शब्दों ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। माना जा रहा है कि वे आगे चलकर अपने निर्णयों पर पुनर्विचार कर सकते हैं।
बिहार की राजनीति में अक्सर गठबंधनों का समीकरण तेजी से बदलता रहा है। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा का यह भावनात्मक और चेतावनी भरा संदेश आने वाले चुनावी परिदृश्य में नई दिशा तय कर सकता है।
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