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AI या इमोशनल कनेक्शन का खतरा? लाखों यूजर्स ChatGPT पर शेयर कर रहे हैं सुसाइड से जुड़ी बातें, OpenAI की रिपोर्ट ने उठाई चिंता

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टेक्नोलॉजी और मानव भावनाओं के बीच की दूरी धीरे-धीरे कम होती जा रही है — लेकिन यह संबंध अब खतरे का संकेत देने लगा है। OpenAI की हालिया रिपोर्ट ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, हर हफ्ते ChatGPT के कुल यूजर्स में से लगभग 0.15% लोग आत्महत्या या मानसिक अवसाद से जुड़ी बातें साझा करते हैं। यह संख्या मामूली नहीं है, क्योंकि ChatGPT के साप्ताहिक सक्रिय यूजर्स की संख्या करीब 800 मिलियन (80 करोड़) है। यानी लाखों लोग अपनी मानसिक परेशानियों को इस चैटबॉट के साथ साझा कर रहे हैं — और कई तो भावनात्मक रूप से इस पर निर्भर भी हो चुके हैं।

ChatGPT पर बढ़ता भावनात्मक जुड़ाव

रिपोर्ट बताती है कि कई यूजर्स ChatGPT के साथ बातचीत करते-करते उसमें एक भावनात्मक भरोसा महसूस करने लगते हैं। यह प्रवृत्ति विशेषज्ञों के अनुसार, इमोशनल डिपेंडेंसी या मानसिक अस्थिरता का संकेत हो सकती है। OpenAI का कहना है कि वे इस प्रवृत्ति को लेकर गंभीर हैं और प्लेटफ़ॉर्म को मानसिक स्वास्थ्य के मामलों में अधिक संवेदनशील और सुरक्षित बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

मानसिक स्वास्थ्य पर विशेषज्ञों की टीम सक्रिय


OpenAI ने खुलासा किया कि ChatGPT को अब तक 170 से अधिक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह से प्रशिक्षित किया गया है ताकि यह कठिन परिस्थितियों में भी उपयोगकर्ताओं को सही और संवेदनशील जवाब दे सके। नए मॉडल में सुधार के बाद, अब ChatGPT लगभग 91% मामलों में सटीक प्रतिक्रिया देता है, जबकि पुराने संस्करण में यह आंकड़ा 77% था। कंपनी का दावा है कि यह नया संस्करण लंबी बातचीत के दौरान भी सुरक्षा और संतुलन बनाए रखने में सक्षम है।

16 वर्षीय किशोर की आत्महत्या के बाद उठा विवाद

इस मुद्दे ने तब गंभीर रूप लिया जब हाल ही में 16 साल के एक लड़के की आत्महत्या के बाद OpenAI पर मुकदमा दर्ज किया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस किशोर ने आत्महत्या से पहले ChatGPT से अपने मन की बातें साझा की थीं। इस घटना के बाद अमेरिका के कैलिफोर्निया और डेलावेयर राज्यों ने OpenAI को सख्त चेतावनी जारी की, जिसमें यूजर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा गया। इसी के चलते कंपनी ने अब पैरेंटल कंट्रोल और नाबालिगों की पहचान करने वाले फीचर्स जोड़े हैं, ताकि किशोरों को जोखिमपूर्ण बातचीत से बचाया जा सके।

रिसर्च में सामने आई नई चिंताएं

हाल की रिसर्च में यह भी सामने आया है कि चैटबॉट्स मानसिक रूप से कमजोर या अवसादग्रस्त लोगों को कभी-कभी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी तकनीकें भले ही संवाद का माध्यम प्रदान करती हों, लेकिन वे हमेशा इंसानी सहानुभूति की जगह नहीं ले सकतीं।

OpenAI का दावा और विशेषज्ञों की राय


OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन का कहना है कि कंपनी ChatGPT को इस तरह विकसित कर रही है कि यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक सहयोगी टूल के रूप में काम करे। उनका दावा है कि भविष्य में एआई ऐसे समाधान प्रदान करेगा जो लोगों को अकेलेपन या तनाव से बाहर निकलने में मदद करेंगे। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि OpenAI के सुरक्षा फीचर्स फिलहाल केवल पेड यूजर्स तक सीमित हैं, जिससे मुफ्त यूजर्स अब भी जोखिम में रह सकते हैं।

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