दुशांबे (ताजिकिस्तान)। सिंधु जल संधि के मुद्दे पर पाकिस्तान को एक बार फिर भारत की तरफ से कड़ा जवाब मिला है। ग्लेशियर संरक्षण पर आयोजित उच्च स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान जब पाकिस्तान ने इस संधि का मुद्दा छेड़ा, तो भारत के पर्यावरण मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने मंच से ही पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि जो देश खुद आतंकवाद को बढ़ावा देता है, वह अब इस समझौते के खत्म होने का दोष भारत पर न मढ़े।
ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में 29 मई से 1 जून तक आयोजित हुए इस सम्मेलन का उद्देश्य था ग्लेशियरों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों पर वैश्विक संवाद। लेकिन पाकिस्तान ने इस मंच पर सिंधु जल संधि का मुद्दा उठा दिया, जो न केवल असंबंधित था, बल्कि सम्मेलन के उद्देश्य से भी भटकाने वाला था।
भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि पाकिस्तान इस अंतरराष्ट्रीय मंच का दुरुपयोग कर रहा है। कीर्तिवर्धन सिंह ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि भारत ने यह संधि इसलिए रद्द की क्योंकि पाकिस्तान बार-बार सीमा पार से आतंकवाद को प्रायोजित करता रहा है, जो खुद संधि की मूल भावना का उल्लंघन है।
शाहबाज शरीफ को मिला सीधा जवाब
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने सम्मेलन के दौरान कहा था कि पाकिस्तान भारत को "रेड लाइन" पार नहीं करने देगा और राजनीतिक फायदे के लिए करोड़ों लोगों की जिंदगी खतरे में नहीं डालने देगा। इसके जवाब में भारतीय पर्यावरण मंत्री ने कहा, “एक ऐसा देश जो आतंकवाद को पालता है, अब वह भारत को नैतिकता सिखाने की कोशिश कर रहा है। सिंधु जल संधि में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि इसे मित्रता, सद्भावना और ईमानदारी से लागू किया जाना चाहिए। लेकिन पाकिस्तान का व्यवहार इसके विपरीत रहा है।”
परिस्थितियां बदलीं, संधि की प्रासंगिकता खत्म
भारत ने यह भी तर्क दिया कि 1960 में की गई इस संधि के बाद से दुनिया काफी बदल चुकी है। मंत्री ने कहा, “जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि, तकनीकी प्रगति और सीमा पार आतंकवाद की निरंतरता – इन सभी कारणों से अब यह संधि व्यवहारिक नहीं रह गई है। संधि को न केवल आधुनिक संदर्भ में फिर से देखने की जरूरत है, बल्कि यह भी आवश्यक है कि सभी पक्ष इसे निष्पक्षता से लागू करें।”
गौरतलब है कि भारत ने पहलवामा आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की थी और यह स्पष्ट किया था कि जब तक पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकवाद को खत्म नहीं करता, ऐसे किसी भी सहयोग की गुंजाइश नहीं है।
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