रायबरेली दौरे पर पहुंचे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का सामना यूपी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह से हो गया। मामला दिशा समिति की बैठक का था, जहां दोनों नेताओं के बीच बहस इतनी बढ़ गई कि आवाजें ऊंची हो गईं। राहुल गांधी ने बैठक में खुद को दिशा का अध्यक्ष बताते हुए कहा कि चर्चा की बागडोर उनके हाथ में होनी चाहिए। इस पर मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि "जब आप लोकसभा में अध्यक्ष (स्पीकर) का आदेश नहीं मानते, तो मुझे यहां आपकी बात मानने के लिए बाध्य क्यों होना चाहिए?" इस टिप्पणी से माहौल और तनावपूर्ण हो गया।रायबरेली
— Shanu Bharty (@ShanuMedia) September 11, 2025
दिशा की बैठक में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और दिनेश प्रताप सिंह के बीच तीखी बहस। एक-दूसरे पर हमलावर हुए दोनों नेता। राहुल गांधी ने अधिकारियों की भी क्लास लगाई।
बैठक में उठाए कई बड़े सवाल। डॉक्टरों की भारी कमी, किसान सम्मान निधि,PM आवास योजना पर विस्तृत जानकारी मांगी। pic.twitter.com/kn5YEx2kAm
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ विवाद का वीडियो साफ दिखाता है कि बैठक में 'तू-तू, मैं-मैं' किस हद तक पहुंच गई थी। दिलचस्प बात यह है कि दिनेश प्रताप सिंह कभी गांधी परिवार के काफी करीबी माने जाते थे। हालांकि, बाद में उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़कर अपनी राह अलग कर ली।
बैठक में कौन रहे मौजूद, कौन रहे नदारद?
इस अहम बैठक में अमेठी के सांसद केएल शर्मा, राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह और कई अन्य जनप्रतिनिधि शामिल थे। लेकिन ऊंचाहार से विधायक मनोज कुमार पांडे नजर नहीं आए। पांडे को हाल ही में समाजवादी पार्टी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों और राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को समर्थन देने के आरोप में निष्कासित किया था।
दिनेश प्रताप सिंह का पक्ष क्या है?
विवाद के बाद जब मंत्री दिनेश प्रताप सिंह से बातचीत हुई, तो उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि राहुल गांधी बैठक को दिशा की गाइडलाइन से बाहर ले जाना चाहते थे। "मैंने साफ कहा कि नियम तय हैं और बैठक इन्हीं के दायरे में होगी। जब उन्होंने अध्यक्ष होने का हवाला दिया, तो मैंने पलटवार किया कि आप संसद में भी बैठते हैं और वहां अध्यक्ष का कितना मान रखते हैं, सबको मालूम है। ऐसे में आपकी हर बात मानना जरूरी नहीं।"
उन्होंने आगे कहा कि बहस के बाद अंततः बैठक तय परिधि के भीतर ही हुई। "कभी-कभी गरमागरमी हो जाती है, यह सामान्य है। राहुल गांधी हमेशा अपने साथ टीम और कई पन्नों का ड्राफ्ट लेकर आते हैं। लेकिन मुझे गर्व है कि योगी और मोदी सरकार ने योजनाओं को जमीन पर उतार कर दिखाया है। उन्हें आलोचना करने का कोई हक नहीं बनता।"
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