भारतीय सेना और वायुसेना के बेड़े से जल्द ही दशकों पुराने चीता और चेतक हेलीकॉप्टर रिटायर होने वाले हैं। इन सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टरों को आधुनिक तकनीक, सुरक्षा और बेहतर प्रदर्शन के साथ नए हल्के हेलीकॉप्टरों से बदला जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने 120 निगरानी व टोही हेलीकॉप्टरों के लिए जानकारी मांगी है, जबकि वायुसेना के लिए 80 हेलीकॉप्टर खरीदे जाएंगे। यह पूरा बदलाव लगभग एक दशक में पूरा होगा, जिसकी शुरुआत 2027 से होगी।
आधुनिक डिजाइन वाले ये हल्के हेलीकॉप्टर दिन-रात निगरानी मिशन में सक्षम होंगे, सीमित संख्या में सैनिकों को ले जा सकेंगे और ज़मीनी अभियानों में सेना का सहयोग करेंगे। साथ ही, ये हमले वाले हेलीकॉप्टरों के साथ स्काउटिंग मिशन भी अंजाम देंगे।
लंबे समय से लंबित मांग
भारतीय सेना बीते दो दशकों से करीब 350 पुराने चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों को बदलने की मांग कर रही थी। फिलहाल हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) 3 टन वजन क्षमता वाले 187 हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर बना रहा है, जिनमें से 126 सेना और 61 वायुसेना के लिए हैं।
नौसेना के लिए 60 उपयोगी हेलीकॉप्टर बनाने की ‘मेक इन इंडिया’ योजना अब तक शुरू नहीं हो पाई है। सेना संभावित भारतीय व विदेशी कंपनियों के सहयोग से नई तकनीक अपनाने पर विचार कर रही है।
पुरानी तकनीक की सीमाएं
चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों में ग्लास कॉकपिट, आधुनिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम और खराब मौसम में सुरक्षित उड़ान के लिए जरूरी यंत्र नहीं हैं। यही वजह है कि इनकी विश्वसनीयता और सुरक्षा को लेकर लंबे समय से चिंता बनी हुई है।
2015 में रूस के साथ 200 कमोव-226टी हेलीकॉप्टरों के निर्माण की ‘मेक इन इंडिया’ डील हुई थी, जिसकी कीमत करीब 2 बिलियन डॉलर थी। इसमें 135 सेना और 65 वायुसेना के लिए हेलीकॉप्टर शामिल थे, लेकिन लागत और तकनीकी कारणों से यह परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी।
नए हेलीकॉप्टर आने के बाद भारतीय सेना और वायुसेना के बेड़े में न सिर्फ तकनीकी बढ़त होगी, बल्कि सुरक्षा, विश्वसनीयता और ऑपरेशनल क्षमता में भी बड़ा सुधार देखने को मिलेगा।
You may also like
आयुर्वेद का खजाना है धातकी का पौधा, जानें इसके चमत्कारी फायदे
बिहार : तेज प्रताप ने मौसेरी बहन के साथ मनाया रक्षाबंधन, चार बहनों ने भेजी है राखी
जीईएम पर 3 करोड़ ऑर्डर्स के माध्यम से हुई करीब 15 लाख करोड़ रुपए की सरकारी खरीद : पीयूष गोयल
काबुल बिजली संकट के बीच अफ़ग़ानिस्तान की 10 अरब डॉलर की ऊर्जा योजना आत्मनिर्भरता का लक्ष्य रखती है
पीएम मोदी और पुतिन की फोन पर बातचीत, भारत-रूस संबंध और मजबूत करने पर सहमति