केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची की संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर बुधवार कोलेह में हिंसा हुई। हिंसक प्रदर्शन के दौरान दौरान चार लोगों की जान चली गई और करीब 80 लोग घायल हो गए। सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के समर्थन में छात्र सड़कों पर उतरे थे।
प्रदर्शन, हिंसा में कब बदला?प्रदर्शन के दौरान छात्रों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज का सहारा लिया। खबरों में कहा गया कि इस दौरान बीजेपी कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया।
प्रदर्शनकारियों ने केंद्र और यूटी प्रशासन की उनकी मांगों को पूरी न करने की आलोचना करते हुए बंद बुलाया था।
कितने लोगों की हुई मौत, कितने घायल?हिंसक प्रदर्शन के दौरान चार लोगों की मौत हो गई और करीब 80 लोग घायल हो गए, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
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रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिसकर्मियों पर पथराव भी किया गया।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, लेह में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सार्वजनिक सभाओं पर भी प्रतिबंध है।
लद्दाख उपराज्यपाल ने जताया दुखVIDEO | Leh, Ladakh: Curfew has been imposed across the Leh district of the Union Territory following Wednesday's violence.
— Press Trust of India (@PTI_News) September 25, 2025
The statehood for Ladakh movement descended into violence, arson and street clashes on Wednesday, leaving four people dead and at least 80 injured,… pic.twitter.com/yfgwouy2xS
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने चेतावनी दी कि शांति भंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन निजी कार्यालयों और घरों में आग लगाने की कोशिश, पथराव और भड़काऊ टिप्पणियां लद्दाख की परंपरा नहीं हैं।"
आंदोलनकारियों की मांगें क्या हैं?प्रदर्शनकारियों ने चार मुख्य मांगें रखीं हैं।
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए।
संविधान की छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा मिले।
कारगिल और लेह अलग-अलग लोकसभा सीटें हों।
सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए।
केंद्र सरकार ने सोनम वांगचुक को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है। गृह मंत्रालय का आरोप है कि उनके उत्तेजक बयानों ने प्रदर्शनकारियों को भड़काया।
'इंडिया टुडे' की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया कि सोनम वांगचुक द्वारा नेपाल जेन-जेड प्रदर्शनों का उल्लेख भीड़ को भड़काने का कारण बना।
सरकार ने कहा कि वांगचुक के भाषणों ने भीड़ को प्रेरित किया, जिससे राजनीतिक कार्यालयों और बीजेपी कार्यालय पर हमले हुए।
वांगचुक ने भूख हड़ताल तोड़ीमौजूदा हिंसा के मद्देनजर सोनम वांगचुक ने 15 दिन की भूख हड़ताल को खत्म कर दिया। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और सरकार से बातचीत की मांग की।
6 अक्टूबर को बैठक, समाधान की उम्मीदकेंद्र सरकार ने मसले को हल करने की कोशिश शुरू कर दी है। लद्दाख और केंद्र नेतृत्वों के बीच 6 अक्टूबर को एक अहम बैठक होने वाली है, जिसमें अहम फैसले लिए जा सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: लेह में पुलिस से झड़प में चार लोगों की मौत, कई घायल, हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने हड़ताल वापस ली
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