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अब गंजेपन के इलाज के लिए किसी ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं, वैज्ञानिकों ने खोजा नया तरीका,बाल उगेंगे कुदरती

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बालों का झड़ना और गंजापन आजकल हर उम्र के लोगों की एक आम समस्या बन चुकी है। खासतौर पर युवा वर्ग में इसका असर मानसिक तनाव और आत्मविश्वास की कमी के रूप में देखा जाता है। अब तक इसके इलाज के लिए हेयर ट्रांसप्लांट या दवाइयों का सहारा लिया जाता था, जिनमें समय, पैसा और धैर्य तीनों की जरूरत होती है।

हाल ही में वैज्ञानिकों (Ref) ने एक चौंकाने वाली खोज की है जिससे बालों की प्राकृतिक ग्रोथ को बिना ट्रांसप्लांट के संभव बनाया जा सकता है। इस रिसर्च में पाया गया है कि बालों की जड़ में मौजूद एक खास तरह का प्रोटीन और मॉलिक्यूल उनके विकास और झड़ने के लिए जिम्मेदार होता है। अगर इन पर सही तरीके से नियंत्रण पाया जाए, तो गंजेपन का इलाज आसान हो सकता है।

इस तकनीक से यह उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में लोग बिना सर्जरी, सिर्फ बायोलॉजिकल थेरैपी के ज़रिए अपने झड़ते बालों को फिर से पा सकेंगे। आइए जानते हैं इस रिसर्च की खास बातें और यह कैसे आम लोगों की ज़िंदगी बदल सकती है।(Photo credit):Canva


क्या है TGF का रोल image

नई रिसर्च के अनुसार (Ref), टीजीएफ बीटा नामक मॉलिक्यूल, जो स्कैल्प में मौजूद होता है। बालों की ग्रोथ साइकिल के लिए जिम्मेदार होता है। जब इसका बैलेंस बिगड़ता है तब हेयर फॉलिंग शुरू हो जाती है। नई रिसर्च में TGF बीटा का कंट्रोल बैलेंस करने के लिए तरीका खोजा है।


कैसे होती है बालों की नेचुरल ग्रोथ image

रिसर्च के मुताबिक 'फॉलिकल स्टेम सेल्स' बालों की रेगुलर ग्रोथ के लिए रिस्पांसिबल होते हैं। सिग्नल मिलते ही यह सेल्स एक्टिव हो जाते हैं। रिसर्च के मुताबिक यदि इन सेल्स को सही सिग्नल मिले तो यह दोबारा से एक्टिव हो सकते हैं और बालों की नेचुरल तरीके से ग्रोथ कर सकते हैं।


क्या अब ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं पड़ेगी image

रिसर्च बताती है कि यह नई तकनीक ह्यूमन हेयर ग्रोथ के लिए कामयाब हो सकती है। अगर यह कामयाब रही तो धीरे-धीरे ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं रहेगी। ये तकनीक ट्रांसप्लांट के मुकाबले सस्ती और टिकाऊ होगी, जिससे हर वर्ग लाभ उठा सकेगा।


लोगों के लिए राहत की खबर image

जो लोग गंजेपन की समस्या से परेशान हैं और ट्रांसप्लांट की तकनीक महंगी होने की वजह से कुछ नहीं कर पा रहे, उनके लिए यह एक राहत की खबर है।


तकनीक कैसे करेगी काम image

साइंटिस्ट के मुताबिक इस ट्रीटमेंट में स्कैल्प में माइक्रो इंजेक्शन दिया जाता है। जो बालों की जड़ों में मौजूद मॉलिक्यूल को कंट्रोल करता है।


रिसर्च से इलाज तक का सफर image

अभी इस थैरेपी पर और रिसर्च होना बाकी है। साइंटिस्ट के मुताबिक हेयर फॉलिकल्स इनएक्टिव हो जाते हैं। लेकिन उनको सही वातावरण में एक्टिव किया जा सकता है।



डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है । यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता । ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें । एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है ।

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