यहां बड़ी संख्या में तिब्बती लोग बस चुके हैं, जो अपने देश से भागकर यहां आए थे। इसलिए यहां की संस्कृति और माहौल में तिब्बती रंग बहुत गहराई से देखने को मिलता है। यही कारण है कि मैक्लोडगंज को "लिटिल ल्हासा" भी कहते हैं, क्योंकि तिब्बत की निर्वासित सरकार यहीं से चलती है। यहां भारतीयों के साथ-साथ रूसी पर्यटकों को भी सबसे ज्यादा देखा जाता है। राशियंस तिब्बती संस्कृति और आध्यात्मिकता की वजह से यहां सबसे ज्यादा आकर्षित होते हैं। अगर आप भी इनकी तरह कुछ बढ़िया जगह पर जाना चाहते हैं, तो आप यहां आ सकते हैं।
मैक्लोडगंज घूमने का सबसे अच्छा समय
सबसे अच्छा समय मैक्लोडगंज घूमने का मार्च से जून और फिर सितंबर से नवंबर तक होता है। इस दौरान मौसम सुहावना और आसमान साफ रहता है, जिसमें पहाड़ों के शानदार नजारे देखने को मिलते हैं। दिसंबर से फरवरी के बीच ठंड का मौसम होता है, जब बर्फबारी से ये जगह और भी खूबसूरत लगने लगती है।
मशहूर ट्रेक हैं यहां जिस वजह से आते हैं पर्यटक

ऊंचे पहाड़ों और हरी-भरी वादियों के बीच बसा मैक्लोडगंज हिमाचल प्रदेश की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है, और यहां सालभर सैलानी आते हैं। यहां के पहाड़ी इलाकों और ओक, बुरांश और देवदार के जंगलों की वजह से ये जगह ट्रेकिंग पसंद करने वालों के लिए बहुत पसंदीदा है। त्रिउंड ट्रेक, करेरी लेक ट्रेक और थाथराना ट्रेक यहां के कुछ मशहूर ट्रेक हैं।
यहां हैं महत्वपूर्ण मठ
धर्मशाला, धर्मकोट, भागसू नाग और कांगड़ा, मैक्लोडगंज के पास के कुछ सबसे नजदीकी और मशहूर स्थान हैं। भारत के कुछ प्रमुख और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मठ (मोनास्ट्री) यहीं स्थित हैं, जैसे नामग्याल मोनेस्ट्री और त्सुगलाखांग, जहां तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा निवास करते हैं।
3 से 4 दिन के लिए जाएं घूमने
मैक्लोडगंज घूमने के लिए 3 से 4 दिन का समय काफी अच्छा है, जिससे आप आराम से इस जगह को अच्छे से देख सकते हैं। यहां सस्ते हॉस्टल और गेस्टहाउस से लेकर अच्छे बुटीक होटल और रिजॉर्ट तक कई तरह की रहने की सुविधाएं मिलती हैं। मुख्य शहर में बजट हॉस्टल मिल जाएंगे, जबकि धर्मकोट और नड्डी जैसे शांत इलाकों में सुंदर नजारों वाले होटल और रिजॉर्ट मिलते हैं।
बैकपैकर्स यानी कम खर्च में घूमने वाले लोग आमतौर पर होमस्टे या हॉस्टल पसंद करते हैं। मैक्लोडगंज से थोड़ी दूरी पर धर्मकोट भी है, जो लंबी अवधि तक रुकने वाले यात्रियों और योग करने वालों के बीच बहुत पसंदीदा जगह है। यहां कई शांत और सुकून देने वाले रिट्रीट्स भी मौजूद हैं।
मैक्लोडगंज में खाना
मैक्लोडगंज का खाना तिब्बती और हिमाचली स्वाद से काफी प्रभावित है। यहां आने पर गरमागरम मोमो, थुकपा (तिब्बती नूडल सूप) और बटर टी जरूर चखनी चाहिए। यहां की बेकरीज में बढ़िया तिब्बती ब्रेड, एप्पल पाई और केले वाले पैनकेक भी मिलते हैं। कैफे कल्चर भी यहां खूब चलता, जैसे कि इलिटरेटी और मूनपीक एस्प्रेसो जैसे कैफे, जहां से खूबसूरत नजारे दिख जाते हैं और माहौल भी बड़ा सुकूनभरा रहता है।
मैक्लोडगंज को लेकर जरूरी बातें

- बारिश के मौसम (जुलाई से अगस्त) में मैक्लोडगंज जाना अच्छा आइडिया नहीं है, क्योंकि इस दौरान बहुत ज्यादा बारिश रहती है।
- तिब्बत ट्रैवल पॉलिसी के हिसाब से टूरिस्ट तिब्बती मठों (मोनैस्ट्री) में नहीं ठहर सकते और न ही भिक्षुओं (मोंक्स) के साथ रह सकते हैं। लेकिन धर्मशाला में आपको एक खास मौका मिलता है - आप मोनैस्ट्री में रुक सकते हैं, भिक्षुओं से बात कर सकते हैं, पूजा में शामिल हो सकते हैं और तिब्बती संस्कृति को करीब से महसूस कर सकते हैं।
- ग्यूटो मोनैस्ट्री में टूरिस्ट के लिए कमरे किराए पर मिलते हैं।
- ट्रैकिंग के दौरान मोबाइल नेटवर्क तो रहता है, लेकिन जब आप ट्रेक के टॉप पर पहुंचते हैं, तो नेटवर्क गायब रहता है।
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