नई दिल्ली: अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप है। यह 36वें दिन में प्रवेश कर चुका है। अब तक का यह सबसे लंबा सरकारी शटडाउन बन गया है। इस वजह से लाखों अमेरिकी लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई है। सरकारी प्रोग्रामों में कटौती होने लगी है। उड़ानों में देरी हो रही है। देशभर के सरकारी कर्मचारी बिना वेतन के काम करने को मजबूर हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेट्स के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया है। दोनों पक्ष सरकारी खर्च को अधिकृत करने वाले फंडिंग बिल (विनियोग विधेयक) पर सहमत नहीं हैं। इसने भारत की भी टेंशन बढ़ा दी है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के कारण उस पर भी अप्रत्यक्ष असर देखने को मिल सकता है। अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन 35 दिनों तक चला था। जनवरी 2019 में उसकी शुरुआत हुई थी।
अमेरिका में 'शटडाउन' तब होता है जब कांग्रेस (अमेरिकी संसद) और राष्ट्रपति आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकारी खर्च को मंजूरी देने वाले फंडिंग बिल पर सहमत नहीं हो पाते हैं। यह स्थिति आमतौर पर दो प्रमुख राजनीतिक दलों डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन के बीच बजटीय प्राथमिकताओं या किसी विवादास्पद नीतिगत मुद्दे पर मतभेद के कारण उत्पन्न होती है। ताजा मामले में इसकी वजह सीमा सुरक्षा दीवार का वित्तपोषण, स्वास्थ्य सेवा सब्सिडी और विशिष्ट सरकारी कार्यक्रमों का खर्च है। कानूनी रूप से धन की कमी होने पर सरकार को 'गैर-आवश्यक' सेवाओं और विभागों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जबकि 'आवश्यक' सेवाएं (जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा) सीमित कर्मचारियों के साथ जारी रहती हैं।
सरकारी सेवाएं गंभीर रूप से बाधित
डेमोक्रेट्स चाहते हैं कि स्वास्थ्य बीमा सब्सिडी को बचाया जाए। लाखों लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल की लागत आसमान छू रही है। इससे भी मुश्किल बात यह है कि बड़ी संख्या में सीनेटर अफोर्डेबल केयर एक्ट (ACA) सब्सिडी के लिए गतिरोध का समाधान चाहते हैं, जो साल के अंत में समाप्त होने वाली है। बीमा प्रीमियम नोटिस भेजे जा रहे हैं। लाखों अमेरिकी आसमान छूती कीमतों से हैरान हैं।
इस बीच, खाद्य सहायता, बाल देखभाल फंड और अनगिनत अन्य सरकारी सेवाएं गंभीर रूप से बाधित हो रही हैं। सैकड़ों हजारों संघीय कर्मचारी या तो फरलो (बिना वेतन छुट्टी) पर हैं या उनके बिना वेतन के काम करने की उम्मीद है। परिवहन सचिव शॉन डफी ने भविष्यवाणी की है कि अगले हफ्ते आसमान में अराजकता फैल सकती है, अगर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को एक और वेतन नहीं मिला। लेबर यूनियनें सांसदों पर सरकार को फिर से खोलने के लिए दबाव डाल रही हैं।
भारत की क्यों बढ़ी टेंशन?
अमेरिकी सरकारी दफ्तरों के बंद होने से भारतीय नागरिकों के वीजा आवेदनों (जैसे H-1बी) और आव्रजन प्रक्रियाओं में देरी हो सकती है। इससे भारत के आईटी और अन्य पेशेवर प्रभावित होते हैं। भारत और अमेरिका के बीच चल रही किसी भी व्यापार संधि या नीतिगत वार्ता पर काम धीमा हो सकता है। इससे व्यापारिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं। अमेरिकी फूड रेगुलेटर एफडीए जैसे नियामक निकायों के कामकाज पर असर पड़ने से भारतीय कंपनियों के लिए दवाओं या अन्य उत्पादों के अनुमोदन में देरी हो सकती है।
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता से वैश्विक निवेशकों का भरोसा हिलता है। इसका असर भारतीय शेयर बाजारों और रुपये पर भी पड़ सकता है। इससे विदेशी निवेश (एफआईआई) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने के आसार हैं। वैश्विक जोखिम बढ़ने पर निवेशक सुरक्षित विकल्प तलाशते हैं। इससे डॉलर की मांग बढ़ सकती है और रुपये पर दबाव आ सकता है।
शटडाउन के दौरान अमेरिकी एयर ट्रैफिक कंट्रोलर और टीएसए अधिकारी बिना वेतन के काम करने को मजबूर हो सकते हैं। इससे उनकी अनुपस्थिति दर बढ़ जाती है। इसके चलते अमेरिकी हवाई अड्डों पर उड़ानों में विलंब या रद्द होने की खबरें आती हैं। इससे अमेरिका आने-जाने वाले भारतीय यात्रियों और पर्यटकों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिका में 'शटडाउन' तब होता है जब कांग्रेस (अमेरिकी संसद) और राष्ट्रपति आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकारी खर्च को मंजूरी देने वाले फंडिंग बिल पर सहमत नहीं हो पाते हैं। यह स्थिति आमतौर पर दो प्रमुख राजनीतिक दलों डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन के बीच बजटीय प्राथमिकताओं या किसी विवादास्पद नीतिगत मुद्दे पर मतभेद के कारण उत्पन्न होती है। ताजा मामले में इसकी वजह सीमा सुरक्षा दीवार का वित्तपोषण, स्वास्थ्य सेवा सब्सिडी और विशिष्ट सरकारी कार्यक्रमों का खर्च है। कानूनी रूप से धन की कमी होने पर सरकार को 'गैर-आवश्यक' सेवाओं और विभागों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जबकि 'आवश्यक' सेवाएं (जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा) सीमित कर्मचारियों के साथ जारी रहती हैं।
सरकारी सेवाएं गंभीर रूप से बाधित
डेमोक्रेट्स चाहते हैं कि स्वास्थ्य बीमा सब्सिडी को बचाया जाए। लाखों लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल की लागत आसमान छू रही है। इससे भी मुश्किल बात यह है कि बड़ी संख्या में सीनेटर अफोर्डेबल केयर एक्ट (ACA) सब्सिडी के लिए गतिरोध का समाधान चाहते हैं, जो साल के अंत में समाप्त होने वाली है। बीमा प्रीमियम नोटिस भेजे जा रहे हैं। लाखों अमेरिकी आसमान छूती कीमतों से हैरान हैं।
इस बीच, खाद्य सहायता, बाल देखभाल फंड और अनगिनत अन्य सरकारी सेवाएं गंभीर रूप से बाधित हो रही हैं। सैकड़ों हजारों संघीय कर्मचारी या तो फरलो (बिना वेतन छुट्टी) पर हैं या उनके बिना वेतन के काम करने की उम्मीद है। परिवहन सचिव शॉन डफी ने भविष्यवाणी की है कि अगले हफ्ते आसमान में अराजकता फैल सकती है, अगर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को एक और वेतन नहीं मिला। लेबर यूनियनें सांसदों पर सरकार को फिर से खोलने के लिए दबाव डाल रही हैं।
भारत की क्यों बढ़ी टेंशन?
अमेरिकी सरकारी दफ्तरों के बंद होने से भारतीय नागरिकों के वीजा आवेदनों (जैसे H-1बी) और आव्रजन प्रक्रियाओं में देरी हो सकती है। इससे भारत के आईटी और अन्य पेशेवर प्रभावित होते हैं। भारत और अमेरिका के बीच चल रही किसी भी व्यापार संधि या नीतिगत वार्ता पर काम धीमा हो सकता है। इससे व्यापारिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं। अमेरिकी फूड रेगुलेटर एफडीए जैसे नियामक निकायों के कामकाज पर असर पड़ने से भारतीय कंपनियों के लिए दवाओं या अन्य उत्पादों के अनुमोदन में देरी हो सकती है।
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता से वैश्विक निवेशकों का भरोसा हिलता है। इसका असर भारतीय शेयर बाजारों और रुपये पर भी पड़ सकता है। इससे विदेशी निवेश (एफआईआई) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने के आसार हैं। वैश्विक जोखिम बढ़ने पर निवेशक सुरक्षित विकल्प तलाशते हैं। इससे डॉलर की मांग बढ़ सकती है और रुपये पर दबाव आ सकता है।
शटडाउन के दौरान अमेरिकी एयर ट्रैफिक कंट्रोलर और टीएसए अधिकारी बिना वेतन के काम करने को मजबूर हो सकते हैं। इससे उनकी अनुपस्थिति दर बढ़ जाती है। इसके चलते अमेरिकी हवाई अड्डों पर उड़ानों में विलंब या रद्द होने की खबरें आती हैं। इससे अमेरिका आने-जाने वाले भारतीय यात्रियों और पर्यटकों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
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