नई दिल्लीः दिल्ली के द्वारका में एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल के डॉक्टरों का दावा है कि उन्होंने एशिया में पहली बार एक ऐसी मेडिकल प्रोसेस को अंजाम दिया, जिसमें एक महिला की मौत के बाद उसके शरीर में दोबारा ब्लड सर्कुलेशन शुरू किया गया, ताकि उसके अंग सुरक्षित रखे जा सके और जरूरतमंद मरीजों को जीवनदान दिया जा सके।
अंगदान की इच्छा जताईयह मामला 55 साल की गीता चावला का है। गीता मोटर न्यूरॉन डिजीज से पीड़ित थीं और लंबे समय से बिस्तर पर थीं। नवंबर को उनकी मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने अंगदान की इच्छा जताई। गीता चावला का लिवर आईएलबीएस अस्पताल में एक 48 साल के मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया। उनकी दोनों किडनियां साकेत के मैक्स अस्पताल में 63 और 58 साल के पुरुषों को लगाई गई। इसके अलावा उनकी आंखें और स्किन भी दान की गई।
6 नवम्बर को ली अंतिम सांसजानकारी के मुताबिक, 6 नवम्बर की रात 8:43 बजे गीता चावला ने अंतिम सांस ली। परिवार ने उसी समय उनके अंगदान की इच्छा पूरी करने के लिए डॉक्टरों से संपर्क किया। अस्पताल में दिल की धड़कन बंद होने और ECG पर 5 मिनट तक फ्लैट लाइन दिखने के बाद उन्हें मृत घोषित किया गया।
यह रहा प्रोसेसमृतक के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को एक्स्ट्रा कॉर्पोरियल मैम्ब्रेन ऑक्सीजनटर (ECMO) मशीन से चालू किया गया। इससे लिवर-किडनी को जीवित अवस्था में ऑरेशन थिएटर तक लाया जा सका। इस प्रक्रिया को नॉर्मोथर्मिक रीजनल परफ्यूजन कहा जाता है। मौत के 4 घंटे बाद तक अंगों को जीवित रखा जा सका।
मिल गया काफी समयमणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के चेयरमैन डॉ श्रीकांत श्रीनिवासन ने कहा, अंगदान ब्रेन डेथ में होता है। यहां दिल रुकने के बाद भी अंगों को जीवित रखा गया। इससे हमें उन्हें सुरक्षित निकालने और ट्रांसप्लांट में काफी समय मिला। गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के चेयरमैन डॉ अवनीश सेठ ने कहा, यह एशिया का पहला सफल नॉर्मोथर्मिक रीजनल परफ्यूजन है।
अंगदान की इच्छा जताईयह मामला 55 साल की गीता चावला का है। गीता मोटर न्यूरॉन डिजीज से पीड़ित थीं और लंबे समय से बिस्तर पर थीं। नवंबर को उनकी मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने अंगदान की इच्छा जताई। गीता चावला का लिवर आईएलबीएस अस्पताल में एक 48 साल के मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया। उनकी दोनों किडनियां साकेत के मैक्स अस्पताल में 63 और 58 साल के पुरुषों को लगाई गई। इसके अलावा उनकी आंखें और स्किन भी दान की गई।
6 नवम्बर को ली अंतिम सांसजानकारी के मुताबिक, 6 नवम्बर की रात 8:43 बजे गीता चावला ने अंतिम सांस ली। परिवार ने उसी समय उनके अंगदान की इच्छा पूरी करने के लिए डॉक्टरों से संपर्क किया। अस्पताल में दिल की धड़कन बंद होने और ECG पर 5 मिनट तक फ्लैट लाइन दिखने के बाद उन्हें मृत घोषित किया गया।
यह रहा प्रोसेसमृतक के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को एक्स्ट्रा कॉर्पोरियल मैम्ब्रेन ऑक्सीजनटर (ECMO) मशीन से चालू किया गया। इससे लिवर-किडनी को जीवित अवस्था में ऑरेशन थिएटर तक लाया जा सका। इस प्रक्रिया को नॉर्मोथर्मिक रीजनल परफ्यूजन कहा जाता है। मौत के 4 घंटे बाद तक अंगों को जीवित रखा जा सका।
मिल गया काफी समयमणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के चेयरमैन डॉ श्रीकांत श्रीनिवासन ने कहा, अंगदान ब्रेन डेथ में होता है। यहां दिल रुकने के बाद भी अंगों को जीवित रखा गया। इससे हमें उन्हें सुरक्षित निकालने और ट्रांसप्लांट में काफी समय मिला। गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के चेयरमैन डॉ अवनीश सेठ ने कहा, यह एशिया का पहला सफल नॉर्मोथर्मिक रीजनल परफ्यूजन है।
You may also like

लाल किले के पास हुए विस्फोट से इंटेलिजेंस पर उठे सवाल, दिल्ली में कैसे हुआ इतना बड़ा धमाका?

National Education Day 2025: कैसे अबुल कलाम के सपनों ने बदल दी पढ़ाई की दुनिया? जानिए इस खास दिन की कहानी

गोवा को 'मोस्ट एक्सेसिबल स्टेट' का सम्मान, आईएफएफआई 2025 से लगेगा चार चांद

6 माह में 76% बढ़ गया यह फाइनेंशियल स्टॉक, एफआईआई ने पहले ही खरीद लिए 15 करोड़ शेयर, चार्ट पर स्टॉक और मज़बूत हुआ

पाकिस्तान एयरलाइंस इंजीनियरों का विरोध, उड़ानें प्रभावित




