नई दिल्ली: भारतीय रुपये में लगातार गिरावट आ रही है। रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले और कमजोर हो गया है। इसने 88.33 का नया रिकॉर्ड बनाया है। इससे पहले शुक्रवार को यह 88.30 पर था। रुपये की कीमत अभी भी अन्य उभरते बाजारों की तुलना में कम है। ट्रेड वॉर की वजह से आने वाले समय में इस पर दबाव बना रह सकता है।
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक एलकेपी सिक्योरिटीज के वीपी रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी का कहना है कि माहौल कमजोर बना हुआ है। रुपये की कीमत 87.65 से 88.45 के बीच रहने की उम्मीद है। यानी रुपये में और गिरावट आ सकती है।
रुपये में गिरावट का क्या है कारण?रुपये के गिरने का एक कारण यह है कि अमेरिका ने भारत से आने वाले सामानों पर टैक्स लगा दिया है। इससे देश का वित्तीय घाटा बढ़ सकता है। इसके अलावा, जो लोग चीजें बाहर से मंगाते हैं, वे लगातार डॉलर खरीद रहे हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भी अपना पैसा डेट और इक्विटी से निकाल रहे हैं। इससे भी रुपये पर दबाव बढ़ रहा है। डेट का मतलब कर्ज और इक्विटी का मतलब है कंपनियों में हिस्सेदारी है। यानी वे अपने शेयर बेच रहे हैं।
कब आएगी तेजी?एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी काउंसिल के फैसले से रुपये को थोड़ी मदद मिल सकती है। लेकिन बाजार जीएसटी में होने वाले बदलावों को लेकर अभी इंतजार कर रहा है। उसके बाद ही कोई फैसला लेगा। कोटक सिक्योरिटीज के हेड ऑफ करेंसी एंड कमोडिटी रिसर्च अनिन्द्य बनर्जी का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक तब दखल देगा जब स्पॉट रेट 88.50 के करीब पहुंचेगा। लेकिन रुपये को पूरी तरह से मजबूत करने के लिए अमेरिका को टैक्स वापस लेने होंगे।
रुपये में गिरावट का क्या होगा असर?रुपये के कमजोर होने से बाजार पर बुरा असर पड़ता है। इसके पांच कारण हैं:
1. महंगाई बढ़ना
भारत ज्यादातर कच्चा तेल बाहर से मंगाता है। रुपया कमजोर होने से यह महंगा हो जाएगा। इससे पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ेंगे। इससे ट्रांसपोर्टेशन और दूसरी चीजों के दाम भी बढ़ जाएंगे। महंगाई बढ़ने से बाजार में डर का माहौल बन जाता है।
2. आयात महंगा होना
जो चीजें बाहर से आती हैं, वे महंगी हो जाएंगी। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनें और कच्चा माल शामिल हैं। इससे कंपनियों का मुनाफा कम हो सकता है और लोगों की खरीदने की क्षमता भी घट सकती है।
3. व्यापार घाटा बढ़ना
रुपया कमजोर होने से आयात महंगा हो जाएगा। अगर हम बाहर से चीजें मंगाना कम नहीं करते हैं, तो व्यापार घाटा बढ़ जाएगा। व्यापार घाटा का मतलब है कि हम जितना सामान बाहर भेजते हैं, उससे ज्यादा मंगाते हैं। इससे रुपया और कमजोर हो सकता है।
4. विदेशी निवेशकों का पैसा निकालना
जब रुपया गिरता है, तो विदेशी निवेशक अपना पैसा शेयर बाजार और बॉन्ड मार्केट से निकालने लगते हैं। इससे रुपये और बाजार दोनों पर दबाव पड़ता है।
5. कंपनियों पर कर्ज का बोझ बढ़ना
जिन भारतीय कंपनियों ने विदेशी मुद्रा में कर्ज लिया है, उन्हें अब ज्यादा रुपये देने होंगे। इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है और उनके शेयर की कीमतें गिर सकती हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक एलकेपी सिक्योरिटीज के वीपी रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी का कहना है कि माहौल कमजोर बना हुआ है। रुपये की कीमत 87.65 से 88.45 के बीच रहने की उम्मीद है। यानी रुपये में और गिरावट आ सकती है।
रुपये में गिरावट का क्या है कारण?रुपये के गिरने का एक कारण यह है कि अमेरिका ने भारत से आने वाले सामानों पर टैक्स लगा दिया है। इससे देश का वित्तीय घाटा बढ़ सकता है। इसके अलावा, जो लोग चीजें बाहर से मंगाते हैं, वे लगातार डॉलर खरीद रहे हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भी अपना पैसा डेट और इक्विटी से निकाल रहे हैं। इससे भी रुपये पर दबाव बढ़ रहा है। डेट का मतलब कर्ज और इक्विटी का मतलब है कंपनियों में हिस्सेदारी है। यानी वे अपने शेयर बेच रहे हैं।
कब आएगी तेजी?एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी काउंसिल के फैसले से रुपये को थोड़ी मदद मिल सकती है। लेकिन बाजार जीएसटी में होने वाले बदलावों को लेकर अभी इंतजार कर रहा है। उसके बाद ही कोई फैसला लेगा। कोटक सिक्योरिटीज के हेड ऑफ करेंसी एंड कमोडिटी रिसर्च अनिन्द्य बनर्जी का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक तब दखल देगा जब स्पॉट रेट 88.50 के करीब पहुंचेगा। लेकिन रुपये को पूरी तरह से मजबूत करने के लिए अमेरिका को टैक्स वापस लेने होंगे।
रुपये में गिरावट का क्या होगा असर?रुपये के कमजोर होने से बाजार पर बुरा असर पड़ता है। इसके पांच कारण हैं:
1. महंगाई बढ़ना
भारत ज्यादातर कच्चा तेल बाहर से मंगाता है। रुपया कमजोर होने से यह महंगा हो जाएगा। इससे पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ेंगे। इससे ट्रांसपोर्टेशन और दूसरी चीजों के दाम भी बढ़ जाएंगे। महंगाई बढ़ने से बाजार में डर का माहौल बन जाता है।
2. आयात महंगा होना
जो चीजें बाहर से आती हैं, वे महंगी हो जाएंगी। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनें और कच्चा माल शामिल हैं। इससे कंपनियों का मुनाफा कम हो सकता है और लोगों की खरीदने की क्षमता भी घट सकती है।
3. व्यापार घाटा बढ़ना
रुपया कमजोर होने से आयात महंगा हो जाएगा। अगर हम बाहर से चीजें मंगाना कम नहीं करते हैं, तो व्यापार घाटा बढ़ जाएगा। व्यापार घाटा का मतलब है कि हम जितना सामान बाहर भेजते हैं, उससे ज्यादा मंगाते हैं। इससे रुपया और कमजोर हो सकता है।
4. विदेशी निवेशकों का पैसा निकालना
जब रुपया गिरता है, तो विदेशी निवेशक अपना पैसा शेयर बाजार और बॉन्ड मार्केट से निकालने लगते हैं। इससे रुपये और बाजार दोनों पर दबाव पड़ता है।
5. कंपनियों पर कर्ज का बोझ बढ़ना
जिन भारतीय कंपनियों ने विदेशी मुद्रा में कर्ज लिया है, उन्हें अब ज्यादा रुपये देने होंगे। इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है और उनके शेयर की कीमतें गिर सकती हैं।
You may also like
सुन्दर` स्लिम दिखने से लेकर कैंसर की बीमारी का इलाज है कुट्टू का आटा ,आईये जानते है किस तरह खाएं
आज का कर्क राशिफल, 2 सितंबर 2025 : किसी वजह से आज आपकी योजना में बदलाव होगा
अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप: भारत की ओर से भेजी गई ये मदद
बथुए` के पत्तों में छुपा है चमत्कारी इलाज. कैंसर की गाँठ लिवर की सूजन और पथरी जैसे 20 गंभीर रोगों को जड़ से खत्म कर सकता है ये देसी नुस्खा
एकता` कपूर कलयुग की मीरा हैं 49 की होने के बावजूद इस एक्टर की वजह से आज तक नहीं की शादी