रणविजय सिंह, लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में करीब 119.64 करोड़ की दवाएं खरीदी गईं, लेकिन लैब टेस्टिंग करवाए बगैर मरीजों को खिला दी गईं। इसका खुलासा कंप्ट्रोलर ऑफ ऑडिटर जनरल (सीएजी) की हालिया ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट में हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) से खरीदी गई दवाओं के बिना लैब टेस्टिंग इस्तेमाल पर आपत्तियां दर्ज की गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 में खरीदी गई दवाओं के मामले में केजीएमयू प्रशासन ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दे सका, जिससे साबित हो कि मरीजों को देने से पहले इनकी लैब टेस्टिंग करवाई गई थी। केजीएमयू ने खुद मानाऑडिट रिपोर्ट में शासनादेश संख्या 1220/पांचकृ111-3(14)04 का जिक्र करते हुए बताया गया है कि दवाओं की खरीद के बाद इनकी लैब टेस्टिंग जरूरी है। इस आधार पर ऑडिट टीम ने केजीएमयू से दवाओं के सैंपल लैब टैस्टिंग की रिपोर्ट मांगी, लेकिन 14 अक्टूबर से 15 नवंबर 2024 तक ऑडिट के दौरान केजीएमयू प्रशासन कोई लैब रिपोर्ट नहीं दिखा सका।
इस पर आपत्ति उठने पर केजीएमयू प्रशासन ने नई दवाओं की खरीद होने पर इनकी जांच करवाने का आश्वासन दिया। ऑडिट रिपोर्ट में इस जवाब को केजीएमयू की स्वीकारोक्ति मानते आपत्ति दर्ज की गई है। फर्मों को हो गया पूरा भुगतानसूत्रों के मुताबिक, केजीएमयू में वित्तीय वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 में एचआरएफ और लोकल परचेज फंड से करोड़ों की दवाएं खरीदी गईं। इनकी कोई गुणवत्ता जांच नहीं हुई और सप्लाई करने वाली फर्मों को आनन-फानन में पूरा भुगतान भी कर दिया गया। आरोप है कि इस दौरान केजीएमयू में तैनात रहे कई बड़े अधिकारियों की इन फर्मों के साथ मिलीभगत थी।
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