लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय बाद ऐसा मौका आया है, जब सड़क पर निकली एक पदयात्रा सिर्फ राजनीतिक प्रदर्शन नहीं बल्कि जनता की उम्मीद बनकर सामने आ रही है। आम आदमी पार्टी ने 12 नवंबर से 24 नवंबर तक सरयू से संगम तक 180 किलोमीटर लंबी ऐतिहासिक पदयात्रा का ऐलान किया है। नाम है- “रोज़गार दो, सामाजिक न्याय दो”, और नेतृत्व होगा राज्यसभा सांसद संजय सिंह के हाथों में। वही संजय सिंह, जो संसद से लेकर सड़क तक, हर मंच पर उत्तर प्रदेश के लोगों की आवाज बनकर खड़े रहे हैं।
यह पदयात्रा सिर्फ पैरों की थकान से नहीं, बल्कि जनता के दर्द, आक्रोश और उम्मीदों से चलेगी। बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा, फसल का दाम न मिलने से परेशान किसान, कुटीर और लघु उद्योग से जुड़े लोग, शिक्षक, आशा बहुएं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता—हर कोई आज सरकार से जवाब चाहता है। लेकिन जब सत्ता चुप हो जाए, तब जनता की आवाज सड़क पर उतरती है। यही इस यात्रा की असली ताकत है।
संजय सिंह ने साफ कहा है कि यह यात्रा राजनीतिक रस्म नहीं, जनता के अधिकारों की लड़ाई है। बीजेपी सरकार ने रोजगार के नाम पर बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन आज उत्तर प्रदेश बेरोजगारों की सबसे बड़ी राजधानी बन गया है। सरकारी भर्तियां रुकी हैं, परीक्षाएं लटकी हैं, और पेपर लीक ने लाखों युवाओं का भविष्य छीन लिया है। किसान अपनी उपज का दाम पाने के लिए संघर्ष कर रहा है, गन्ना किसानों का भुगतान महीनों लटका रहता है, और छोटे उद्योग बंद होने से मजदूरों का चूल्हा ठंडा पड़ जाता है। सरकार के पास विज्ञापनों के लिए हजारों करोड़ हैं। लेकिन रोजगार और किसानों के लिए जवाब नहीं।
इसी सन्नाटे को तोड़ने के लिए आम आदमी पार्टी सड़कों पर उतर रही है। 180 किलोमीटर की यह यात्रा अयोध्या की सरयू से शुरू होकर प्रयागराज के संगम तक जाएगी। रास्ते में गांव, कस्बे, शहर, मोहल्ले- हर जगह जनता से संवाद होगा। लोग बताएंगे कि उन्हें रोजगार चाहिए, न्याय चाहिए, सुरक्षित भविष्य चाहिए। यात्रा में युवाओं, किसानों, शिक्षकों, समाजसेवियों और हर वर्ग के लोग शामिल होंगे। यह आंदोलन जनता की भागीदारी से खड़ा होगा, न कि सत्ता की कृपा से।
इस पदयात्रा का थीम सॉन्ग “मैं देश बचाने निकला हूं” पहले ही चर्चाओं में है। मशहूर गायक अल्तमश फरीदी की आवाज और बिलाल भाई की लिखी पंक्तियों ने इसे भावनात्मक पहचान दी है। यह गीत सिर्फ संगीत नहीं, बल्कि एक संदेश है, जो युवा, मजदूर और किसान के दिल की बात कहता है।
संजय सिंह की छवि एक ऐसे नेता की है जिसे खरीदना, डराना या चुप कराना आसान नहीं। उन्होंने संसद में घोटालों को उजागर किया, पेपर लीक पर आवाज उठाई, किसानों की लड़ाई लड़ी, और बार-बार सत्ता को आईना दिखाया। इसलिए यह यात्रा बीजेपी सरकार के लिए सिर्फ एक राजनीतिक चुनौती नहीं, बल्कि जनता के सवालों का सार्वजनिक चार्जशीट बनकर खड़ी है।
सरयू से संगम तक की यह पदयात्रा उत्तर प्रदेश को याद दिलाएगी कि सत्ता जनता की होती है, जनता सत्ता की नहीं। जब सरकार जवाब नहीं देती, तब सड़क न्याय का मंच बनती है। और इस बार जनता चुप नहीं है, जनता साथ चल रही है। यह शुरुआत है, और शुरुआत हमेशा सड़क से होती है।
यह पदयात्रा सिर्फ पैरों की थकान से नहीं, बल्कि जनता के दर्द, आक्रोश और उम्मीदों से चलेगी। बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा, फसल का दाम न मिलने से परेशान किसान, कुटीर और लघु उद्योग से जुड़े लोग, शिक्षक, आशा बहुएं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता—हर कोई आज सरकार से जवाब चाहता है। लेकिन जब सत्ता चुप हो जाए, तब जनता की आवाज सड़क पर उतरती है। यही इस यात्रा की असली ताकत है।
संजय सिंह ने साफ कहा है कि यह यात्रा राजनीतिक रस्म नहीं, जनता के अधिकारों की लड़ाई है। बीजेपी सरकार ने रोजगार के नाम पर बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन आज उत्तर प्रदेश बेरोजगारों की सबसे बड़ी राजधानी बन गया है। सरकारी भर्तियां रुकी हैं, परीक्षाएं लटकी हैं, और पेपर लीक ने लाखों युवाओं का भविष्य छीन लिया है। किसान अपनी उपज का दाम पाने के लिए संघर्ष कर रहा है, गन्ना किसानों का भुगतान महीनों लटका रहता है, और छोटे उद्योग बंद होने से मजदूरों का चूल्हा ठंडा पड़ जाता है। सरकार के पास विज्ञापनों के लिए हजारों करोड़ हैं। लेकिन रोजगार और किसानों के लिए जवाब नहीं।
इसी सन्नाटे को तोड़ने के लिए आम आदमी पार्टी सड़कों पर उतर रही है। 180 किलोमीटर की यह यात्रा अयोध्या की सरयू से शुरू होकर प्रयागराज के संगम तक जाएगी। रास्ते में गांव, कस्बे, शहर, मोहल्ले- हर जगह जनता से संवाद होगा। लोग बताएंगे कि उन्हें रोजगार चाहिए, न्याय चाहिए, सुरक्षित भविष्य चाहिए। यात्रा में युवाओं, किसानों, शिक्षकों, समाजसेवियों और हर वर्ग के लोग शामिल होंगे। यह आंदोलन जनता की भागीदारी से खड़ा होगा, न कि सत्ता की कृपा से।
इस पदयात्रा का थीम सॉन्ग “मैं देश बचाने निकला हूं” पहले ही चर्चाओं में है। मशहूर गायक अल्तमश फरीदी की आवाज और बिलाल भाई की लिखी पंक्तियों ने इसे भावनात्मक पहचान दी है। यह गीत सिर्फ संगीत नहीं, बल्कि एक संदेश है, जो युवा, मजदूर और किसान के दिल की बात कहता है।
संजय सिंह की छवि एक ऐसे नेता की है जिसे खरीदना, डराना या चुप कराना आसान नहीं। उन्होंने संसद में घोटालों को उजागर किया, पेपर लीक पर आवाज उठाई, किसानों की लड़ाई लड़ी, और बार-बार सत्ता को आईना दिखाया। इसलिए यह यात्रा बीजेपी सरकार के लिए सिर्फ एक राजनीतिक चुनौती नहीं, बल्कि जनता के सवालों का सार्वजनिक चार्जशीट बनकर खड़ी है।
सरयू से संगम तक की यह पदयात्रा उत्तर प्रदेश को याद दिलाएगी कि सत्ता जनता की होती है, जनता सत्ता की नहीं। जब सरकार जवाब नहीं देती, तब सड़क न्याय का मंच बनती है। और इस बार जनता चुप नहीं है, जनता साथ चल रही है। यह शुरुआत है, और शुरुआत हमेशा सड़क से होती है।
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