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अडानी की झोली में आया बिहार का बड़ा बिजली प्रोजेक्ट, जानिए कौन-कौन थे रेस में

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नई दिल्ली: बिहार सरकार ने प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया के बाद 2,400 मेगावाट की भागलपुर (पीरपैंती) ताप बिजलीघर का ठेका अडानी पावर लिमिटेड को दे दिया है। इस कंपनी ने तीन अन्य दावेदारों की तुलना में सबसे कम बिजली दर की बोली लगाई थी। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। निविदा प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों ने कहा कि अडानी पावर ने इस परियोजना के लिए 6.075 रुपये प्रति यूनिट की बोली लगाई थी जो टोरेंट पावर, जेएसडब्ल्यू एनर्जी और ललितपुर पावर जनरेशन की बोलियों की तुलना में सबसे कम है।

इस दर में 4.165 रुपये प्रति यूनिट का स्थायी शुल्क और 1.91 रुपये प्रति यूनिट का ईंधन शुल्क शामिल है। बिहार सरकार ने इसे अत्यंत प्रतिस्पर्धी दर बताते हुए कहा कि हाल में मध्य प्रदेश में इसी तरह की एक परियोजना के लिए लगाई गई बोली में स्थायी शुल्क 4.222 से 4.298 रुपये प्रति यूनिट रहा है। राज्य सरकार ने यह खुली निविदा राज्य की बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने के लिए जारी की थी। अनुमान है कि 2034-35 तक राज्य की बिजली मांग दोगुनी होकर 17,000 मेगावाट से अधिक हो जाएगी।



कौन-कौन था रेस में

टोरेंट पावर ने इसके लिए 6.145 रुपये प्रति यूनिट, ललितपुर पावर ने 6.165 रुपये प्रति यूनिट और जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने 6.205 रुपये प्रति यूनिट की बोली लगाई थी। सूत्रों ने कहा कि सभी प्रस्तावों का मूल्यांकन ई-बोली प्रणाली से किया गया ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहे। इस परियोजना में लगभग 30,000 करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है, जिससे राज्य में औद्योगिक गतिविधि और रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

हालांकि अडानी ग्रुप की इस कंपनी को इस बिजली परियोजना का आवंटन राज्य में जारी विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के बीच राजनीतिक विवाद का मुद्दा बन गया है। पूर्व केंद्रीय बिजली मंत्री आर. के. सिंह ने बिहार में बिजली खरीद में घोटाले के आरोप लगाए हैं। विपक्षी दल कांग्रेस के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'अडानी ग्रुप को बिहार में विशेष रियायतें दी जा रही हैं। छह रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीदने का प्रस्ताव गरीबों और मध्यम वर्ग के पैसे को मोदी के करीबी उद्योगपतियों की झोली में डालने जैसा है।'



अडानी पावर को कोई छूट नहीं

हालांकि सूत्रों ने परियोजना आवंटन को लगाए गए इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि 6.075 रुपये प्रति यूनिट की दर उत्पादन लागत में हाल की वृद्धि के बावजूद प्रतिस्पर्धी है और इसमें अडानी पावर को किसी तरह की रियायत नहीं दी गई। परियोजना के लिए चिह्नित जमीन राज्य सरकार के स्वामित्व में है और उसे नाममात्र किराये पर बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति, 2025 के तहत पट्टे पर दिया गया है। परियोजना की अवधि पूरी होने के बाद वह जमीन फिर से राज्य सरकार को मिल जाएगी।

अधिकारियों ने कहा कि अडानी पावर को कोई विशेष छूट नहीं दी गई है और कंपनी को ही इस बिजली संयंत्र का विकास एवं संचालन करना होगा। भागलपुर परियोजना को सबसे पहले 2012 में बिहार राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड ने प्रस्तावित किया था, लेकिन पर्याप्त निवेशक न मिलने के कारण इसे 2024 में नए सिरे से शुरू किया गया।
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