बॉलिवुड में कई ऐसे ऐक्टर हैं, जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बावजूद ऐक्टिंग को करियर चुना। इन्हीं में से एक हैं, ऐक्टर सनी हिंदुजा। मशहूर सीरीज 'एस्पिरेंट्स' के संदीप भैया के रूप में मशहूर सनी इन दिनों वेब सीरीज 'सारे जहां से अच्छा 'को लेकर चर्चा में हैं। इसमें एक तेज तर्रार आईएसआई एजेंट की भूमिका निभा रहे सनी से हमने की खास बातचीत:
आपने बिट्स पिलानी जैसे नामी संस्थान से इंजीनियरिंग की, फिर ऐक्टिंग सीखने एफटीआईआई चले गए। इतना रिस्क लेने का माद्दा कहां से आया?
अगर आपमें कुछ करने का जज्बा बहुत ज्यादा होता है तो रिस्क जैसी चीजें दिल और दिमाग को समझ ही नहीं आती हैं। बस ये रहता है कि यह तो करना ही है। मुझसे बहुत से लोग पूछते है कि ऐक्टर बनना चाहिए या नहीं, तो मैं यही कहता हूं कि अगर आपका जज्बा इतना बड़ा है कि आप हर निराशा को पार कर सकते हैं तो जरूर करिए। हालांकि, अगर मुझे इतनी समझ होती कि ग्रेजुएशन में भी आपको जिस प्रफेशन में जाना है, उसी से जुड़ा कोर्स करना चाहिए तो मैं सच में इंजीनियरिंग नहीं करता। हुआ यूं कि जब मैं तीसरी क्लास में था तो मुझे इंजीनियर बनना है, क्योंकि मेरे पिता जी इंजीनियर थे और पिता आपके हीरो होते हैं। लेकिन सातवीं में समझ में आ गया कि करना तो ऐक्टिंग ही है तो सोचा दोनों कर लेते हैं। लेकिन इंजीनियर के बाद भी मुझे पता था कि जिंदगी भर ऐक्टिंग ही करनी है। इसलिए, मैं खुद को ट्रेन करने एफटीआईआई चला गया।
आपका एस्पिरेंट्स का किरदार संदीप भैया बहुत हिट हुआ। संदीप भैया के मीम्स भी खूब पॉप्युलर हैं। ऐसे में, टाइपकास्टिंग का खतरा भी रहता है, आपको इसका सामना करना पड़ा?
आपने सही कहा, हमारी इंडस्ट्री में टाइपकास्टिंग का खतरा रहता है और मैं मेकर्स को इसके लिए गलत भी नहीं मानता। उन्हें अपना शो बढ़िया बनाना है, तो उन्हें लगता है कि इसने इस रोल में बहुत बढ़िया किया है तो इसी को लेते हैं। उनकी सोच भी अपनी जगह ठीक हैं, लेकिन मैं लकी रहा कि मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ। मुझे अलग-अलग तरीके के रोल मिले, वरना मेरे दिमाग में भी ये टाइपकास्टिंग वाली बात थी, लेकिन मैं उस जगह पर था जहां मेरे लिए काम ज्यादा अहम था। मैंने सोचा था कि एक जैसा रोल भी मिलेगा तो मैं करूंगा, क्योंकि अभी तो भैया काम मिल जाए, बाद में देखेंगे कि वे अलग हैं या एक जैसे। मैं मानता हूं कि आप एक जैसे रोल को भी कैसे अलग करते हैं, वो आप पर भी होता है। जैसे आमिर खान साहब ने रंगीला और गुलाम दोनों में टपोरी वाला रोल किया है, लेकिन दोनों अलग है तो अगर आपको एक जैसा काम भी मिल रहा है तो भी आप अपने अभिनय से उसमें अलग रंग ला सकते हैं।
सीरीज में आप ताकतवर पाकिस्तानी एजेंट मुर्तजा मलिक के किरदार में हैं। एजेंट का रोल करने का अनुभव कैसा रहा?
मुझे यह रोल करते हुए अहसास हुआ कि एक एजेंट का काम कितना मुश्किल होता है। उन पर हर वक्त इतना बड़ा दांव है कि उनके एक गलत फैसले से करोड़ों लोगों की जान जा सकती है। आपका देश का मामला जुड़ा होता है। मानसिक रूप से वे हर वक्त इतने दबाव में रहते हैं, लेकिन अपने परिवार, अपने करीबी तक से कुछ शेयर नहीं कर सकते। सोचिए, उनकी मेंटल हेल्थ का क्या हाल होता होगा, जिसमें कहते हैं कि आप अपनी प्रॉब्लम शेयर करें, पर वे तो किसी से कुछ शेयर ही नहीं कर सकते। इसके बीच आपको हर बार सही फैसला लेना है, क्योंकि आपके सभी सही फैसलों का किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, लेकिन आपका एक गलत फैसला सब कुछ खत्म कर सकता है, तो मुझे तो उनका काम बहुत जिम्मेदारी, बहुत चुनौतीपूर्ण लगा, यही बातें मुर्तजा को निभाते हुए मेरे दिमाग में थीं।
आपकी सीरीज देशभक्ति पर आधारित है। आपके लिए देशभक्ति के क्या मायने हैं?
मेरे लिए सच्ची देशभक्ति यही है कि हम सब अपना काम सही ढंग से करें। मेरा मानना है कि अगर हम सब अपना काम सौ फीसदी दिल से या कम से कम अस्सी पर्सेंट जिम्मेदारी से भी करें। ईमानदारी से टैक्स भरें, सड़क पर कचरा ना फेंके, सफाई रखें, इतना भर भी करें लें तो हमारा देश बहुत आगे बढ़ सकता है।
आपने बिट्स पिलानी जैसे नामी संस्थान से इंजीनियरिंग की, फिर ऐक्टिंग सीखने एफटीआईआई चले गए। इतना रिस्क लेने का माद्दा कहां से आया?
अगर आपमें कुछ करने का जज्बा बहुत ज्यादा होता है तो रिस्क जैसी चीजें दिल और दिमाग को समझ ही नहीं आती हैं। बस ये रहता है कि यह तो करना ही है। मुझसे बहुत से लोग पूछते है कि ऐक्टर बनना चाहिए या नहीं, तो मैं यही कहता हूं कि अगर आपका जज्बा इतना बड़ा है कि आप हर निराशा को पार कर सकते हैं तो जरूर करिए। हालांकि, अगर मुझे इतनी समझ होती कि ग्रेजुएशन में भी आपको जिस प्रफेशन में जाना है, उसी से जुड़ा कोर्स करना चाहिए तो मैं सच में इंजीनियरिंग नहीं करता। हुआ यूं कि जब मैं तीसरी क्लास में था तो मुझे इंजीनियर बनना है, क्योंकि मेरे पिता जी इंजीनियर थे और पिता आपके हीरो होते हैं। लेकिन सातवीं में समझ में आ गया कि करना तो ऐक्टिंग ही है तो सोचा दोनों कर लेते हैं। लेकिन इंजीनियर के बाद भी मुझे पता था कि जिंदगी भर ऐक्टिंग ही करनी है। इसलिए, मैं खुद को ट्रेन करने एफटीआईआई चला गया।
आपका एस्पिरेंट्स का किरदार संदीप भैया बहुत हिट हुआ। संदीप भैया के मीम्स भी खूब पॉप्युलर हैं। ऐसे में, टाइपकास्टिंग का खतरा भी रहता है, आपको इसका सामना करना पड़ा?
आपने सही कहा, हमारी इंडस्ट्री में टाइपकास्टिंग का खतरा रहता है और मैं मेकर्स को इसके लिए गलत भी नहीं मानता। उन्हें अपना शो बढ़िया बनाना है, तो उन्हें लगता है कि इसने इस रोल में बहुत बढ़िया किया है तो इसी को लेते हैं। उनकी सोच भी अपनी जगह ठीक हैं, लेकिन मैं लकी रहा कि मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ। मुझे अलग-अलग तरीके के रोल मिले, वरना मेरे दिमाग में भी ये टाइपकास्टिंग वाली बात थी, लेकिन मैं उस जगह पर था जहां मेरे लिए काम ज्यादा अहम था। मैंने सोचा था कि एक जैसा रोल भी मिलेगा तो मैं करूंगा, क्योंकि अभी तो भैया काम मिल जाए, बाद में देखेंगे कि वे अलग हैं या एक जैसे। मैं मानता हूं कि आप एक जैसे रोल को भी कैसे अलग करते हैं, वो आप पर भी होता है। जैसे आमिर खान साहब ने रंगीला और गुलाम दोनों में टपोरी वाला रोल किया है, लेकिन दोनों अलग है तो अगर आपको एक जैसा काम भी मिल रहा है तो भी आप अपने अभिनय से उसमें अलग रंग ला सकते हैं।
सीरीज में आप ताकतवर पाकिस्तानी एजेंट मुर्तजा मलिक के किरदार में हैं। एजेंट का रोल करने का अनुभव कैसा रहा?
मुझे यह रोल करते हुए अहसास हुआ कि एक एजेंट का काम कितना मुश्किल होता है। उन पर हर वक्त इतना बड़ा दांव है कि उनके एक गलत फैसले से करोड़ों लोगों की जान जा सकती है। आपका देश का मामला जुड़ा होता है। मानसिक रूप से वे हर वक्त इतने दबाव में रहते हैं, लेकिन अपने परिवार, अपने करीबी तक से कुछ शेयर नहीं कर सकते। सोचिए, उनकी मेंटल हेल्थ का क्या हाल होता होगा, जिसमें कहते हैं कि आप अपनी प्रॉब्लम शेयर करें, पर वे तो किसी से कुछ शेयर ही नहीं कर सकते। इसके बीच आपको हर बार सही फैसला लेना है, क्योंकि आपके सभी सही फैसलों का किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, लेकिन आपका एक गलत फैसला सब कुछ खत्म कर सकता है, तो मुझे तो उनका काम बहुत जिम्मेदारी, बहुत चुनौतीपूर्ण लगा, यही बातें मुर्तजा को निभाते हुए मेरे दिमाग में थीं।
आपकी सीरीज देशभक्ति पर आधारित है। आपके लिए देशभक्ति के क्या मायने हैं?
मेरे लिए सच्ची देशभक्ति यही है कि हम सब अपना काम सही ढंग से करें। मेरा मानना है कि अगर हम सब अपना काम सौ फीसदी दिल से या कम से कम अस्सी पर्सेंट जिम्मेदारी से भी करें। ईमानदारी से टैक्स भरें, सड़क पर कचरा ना फेंके, सफाई रखें, इतना भर भी करें लें तो हमारा देश बहुत आगे बढ़ सकता है।
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