महराजगंज: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में बुलडोजर एक्शन की खबर है। जिले के अमरूतिया खास गांव में गुरुवार को हाई कोर्ट के आदेश पर जिला प्रशासन की ओर से बड़े पैमाने पर बुलडोजर कार्रवाई की गई। इस दौरान रास्ते की जमीन पर बने नौ घरों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में जब यह कार्रवाई शुरू हुई, तो पूरे गांव में अफरा-तफरी और चीख-पुकार मच गई। कई महिलाएं और बच्चे सड़कों पर आ गए। वे रोते-चीखते रहे। रहम करने की मांग करते रहे, लेकिन किसी की नहीं सुनी गई।
प्रशासन के इस कदम से बरसात के मौसम में कई परिवार खुले आसमान के नीचे आ गए हैं। पीड़ितों में कई विधवा महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्होंने घर उजड़ने के बाद आरोप लगाया कि उन्हें कोई पूर्व सूचना या नोटिस नहीं दिया गया था। उनका कहना है कि बिना पुनर्वास की व्यवस्था किए सीधे बुलडोजर चलाना अमानवीय है। महिलाएं इस दौरान कहती रहीं, 'इस बरसात में कहा जाएंगे, कुछ दिन छोड़ दीजिए, रहम करिए'। लेकिन, बुलडोजर एक्शन नहीं रुका।
हाई कोर्ट के आदेश पर कार्रवाईदरअसल, अमरूतिया खास गांव में सार्वजनिक रास्ते की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर मकान बना लिए गए थे। यह मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा था। हाई कोर्ट से बेदखली के आदेश जारी हुए। कोर्ट के सख्त रुख के बाद तहसील प्रशासन ने कोतवाली सदर क्षेत्र के अलावा सिंदुरिया, घुघली और भिटौली थानों की पुलिस फोर्स के साथ पहुंचकर कार्रवाई शुरू की।
कार्रवाई के दौरान दो मंजिला मकानों तक को गिरा दिया गया। प्रशासन ने कोर्ट के आदेश का हवाला देकर सभी परिवारों को घर खाली करने का निर्देश दिया। इसके बाद एक-एक कर नौ मकानों को ध्वस्त कर दिया गया।
भेदभाव-बिना नोटिस एक्शन का आरोपपीड़ित ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि कुल 10 मकानों पर कार्रवाई होनी थी, लेकिन सिर्फ नौ घरों को तोड़ा गया है। इससे कार्रवाई में भेदभाव का संदेह होता है। प्रभावित महिलाओं ने बताया कि उनके पास घर बनाने के लिए न तो जमीन है और न ही आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वे फिर से मकान बनवा सकें।
एक विधवा महिला ने कहा कि सरकार कहती है कि हर गरीब को घर मिलेगा, लेकिन हमें बिना किसी नोटिस के बेघर कर दिया गया। हमारे पास और कोई ठिकाना नहीं है, अब बारिश में बच्चों को लेकर कहां जाएंगे।
कोर्ट के आदेश का पालननायब तहसीलदार देशदीपक त्रिपाठी ने एक्शन को लेकर कहा कि यह कार्रवाई हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में की गई है। रास्ते की जमीन पर किए गए अतिक्रमण को हटाया गया है। सभी 9 मकानों को ध्वस्त कर रास्ता साफ कराया गया है। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए चार थानों की फोर्स को तैनात किया गया था।
प्रशासन के इस कदम से बरसात के मौसम में कई परिवार खुले आसमान के नीचे आ गए हैं। पीड़ितों में कई विधवा महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्होंने घर उजड़ने के बाद आरोप लगाया कि उन्हें कोई पूर्व सूचना या नोटिस नहीं दिया गया था। उनका कहना है कि बिना पुनर्वास की व्यवस्था किए सीधे बुलडोजर चलाना अमानवीय है। महिलाएं इस दौरान कहती रहीं, 'इस बरसात में कहा जाएंगे, कुछ दिन छोड़ दीजिए, रहम करिए'। लेकिन, बुलडोजर एक्शन नहीं रुका।
हाई कोर्ट के आदेश पर कार्रवाईदरअसल, अमरूतिया खास गांव में सार्वजनिक रास्ते की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर मकान बना लिए गए थे। यह मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा था। हाई कोर्ट से बेदखली के आदेश जारी हुए। कोर्ट के सख्त रुख के बाद तहसील प्रशासन ने कोतवाली सदर क्षेत्र के अलावा सिंदुरिया, घुघली और भिटौली थानों की पुलिस फोर्स के साथ पहुंचकर कार्रवाई शुरू की।
कार्रवाई के दौरान दो मंजिला मकानों तक को गिरा दिया गया। प्रशासन ने कोर्ट के आदेश का हवाला देकर सभी परिवारों को घर खाली करने का निर्देश दिया। इसके बाद एक-एक कर नौ मकानों को ध्वस्त कर दिया गया।
भेदभाव-बिना नोटिस एक्शन का आरोपपीड़ित ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि कुल 10 मकानों पर कार्रवाई होनी थी, लेकिन सिर्फ नौ घरों को तोड़ा गया है। इससे कार्रवाई में भेदभाव का संदेह होता है। प्रभावित महिलाओं ने बताया कि उनके पास घर बनाने के लिए न तो जमीन है और न ही आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वे फिर से मकान बनवा सकें।
एक विधवा महिला ने कहा कि सरकार कहती है कि हर गरीब को घर मिलेगा, लेकिन हमें बिना किसी नोटिस के बेघर कर दिया गया। हमारे पास और कोई ठिकाना नहीं है, अब बारिश में बच्चों को लेकर कहां जाएंगे।
कोर्ट के आदेश का पालननायब तहसीलदार देशदीपक त्रिपाठी ने एक्शन को लेकर कहा कि यह कार्रवाई हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में की गई है। रास्ते की जमीन पर किए गए अतिक्रमण को हटाया गया है। सभी 9 मकानों को ध्वस्त कर रास्ता साफ कराया गया है। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए चार थानों की फोर्स को तैनात किया गया था।
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