हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे की कोई भी ख्वाहिश अधूरी न रहे, और वे इसके लिए अपनी क्षमता के अनुसार हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन हर बार औलाद की मांग को मान लेना, कहीं न कहीं उसी बच्चे के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। यह कहना है मशहूर पैरेंटिंग कोच परीक्षित जोबनपुत्रा।
उनका का कहना है कि माता-पिता अगर हर मांग पर 'हां' कहते हैं, तो बच्चा जिंदगी के अहम सबक सीख ही नहीं पाता। उन्होंने क्या कुछ और कहा, आइए जानते हैं विस्तार से।
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तुरंत न पूरी करें मांग

मशहूर पैरेंटिंग कोच परीक्षित जोबनपुत्रा का कहना है कि बच्चा जो मांग रहा है, उसे फौरन माता-पिता देना बिल्कुल बंद कर दें। हमारे साथ क्या होता था, जब हमने कहा कि हमें साइकिल चाहिए, तो हमसे कहा जाता था, ‘बेटा अभी नहीं, एक या दो साल में मिलेगी।’
ऐसे बच्चों में होती है धैर्य की कमी
कोच आगे कहते हैं कि माता-पिता से इंतजार करने की बात सुनने के बाद हमारे अंदर धैर्य होता था कि जो चीज हमें चाहिए, वह छह महीने या एक-दो साल बाद मिलेगी। लेकिन आज स्थिति ऐसी बिल्कुल नहीं है। आज बच्चों में धैर्य की बेहद कमी है।
बच्चे को न सुनने की आदत भी डालें
कोच कहते हैं कि ‘माता-पिता बच्चे को इस बात को समझाएं कि उन्हें किसी चीज के लिए एक हफ्ते या दो हफ्ते की बात है, थोड़ा इंतजार करना होगा। साथ ही कुछ चीजों के लिए तो उन्हें सीधे मना भी कर देंगे। इससे बच्चे को ‘न’ सुनने, इंतजार करने और ‘हां’ सुनने। इन तीनों की आदत विकसित होगी।’
जिंदगी में न आए कोई मुश्किल
एक्सपर्ट बताते हैं कि ये तीनों चीजें जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव हैं। इन सभी के लिए मम्मी-पापा को बच्चे को पहले से तैयार करना होगा, जिससे बच्चे को भविष्य में कोई समस्या न आए।
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तभी बच्चे को सिखा पाएंगे चीजें

एक अन्य रील में एक्सपर्ट ने बताया कि अच्छा पैरेंट बनने के लिए माता-पिता केा टीचिंग नहीं बल्कि लर्निंग पैरेंट बनना चाहिए। क्योंकि बच्चा कभी हमारी बातों को फॉलो नहीं करता है, वो हम क्या कर रहे हैं, उसको फाॅलो करता है। हमारी एक्शन को फाॅलो करेंगे। इसलिए अगर हम सीखने वाले माता-पिता बनेंगे, तो हम बच्चे को भी सिखा पाएंगे।
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