जबलपुर: गैंगस्टर मछली के परिजन और रिश्तेदार जिन पर प्रशासन ने बुल्डोजर कार्रवाई की है, वे अब हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे थे। उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि यासीन अहमद के कारण उन्हें व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया जा रहा है। उन पर गलत तरीके से कार्रवाई की जा रही है। हाईकोर्ट के नोटिस के बाद भोपाल कलेक्टर और डीसीपी क्राइम ने कोर्ट में प्रशासन का पक्ष रखा है।
हाईकोर्ट जबलपुर में भोपाल कलेक्टर तथा डीसीपी क्राइम ने हाईकोर्ट में उपस्थित होकर बताया कि गैंगस्टर यासीम अहमद उर्फ 'मछली' के पारिवारिक सदस्यों के खिलाफ विधि अनुसार कार्यवाही की गई है। उनके द्वारा कार्यवाही संबंधित दस्तावेज भी हाईकोर्ट में पेश किए गए। हाईकोर्ट जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने दस्तावेजों को रिकॉर्ड में लेते हुए उपस्थित दोनों अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति माफ करने के आदेश जारी किए हैं। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है।
याचिका में कहा-कोई आपराधिक प्रकरण नहीं
भोपाल के गैंगस्टर यासीन अहमद उर्फ मछली के परिवारिक सदस्यों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि पुलिस व प्रशासन निशाना बनाते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं है। उनके अलावा अन्य लोगों ने भी सरकारी भूमि पर निर्माण किया है और वर्षों से निवासरत है। जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा सिर्फ उनकी संपत्तियों को ध्वस्त किया है। उनके अलावा किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई है। उनके बैंक खाते फ्रीज और शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं। ईमेल आईडी ब्लॉक कर दी गई है,जिसके कारण वह कोई भी व्यावसायिक गतिविधि करने की स्थिति में नहीं हैं।
याचिका लगाने वालों के खिलाफ जांच लंबित
याचिका पर सुनवाई के दौरान एकलपीठ की तरफ से पूछा गया कि याचिकाकर्ता किसी भी मामले में आरोपी हैं। सरकारी अधिवक्ता की तरफ से बताया गया कि मामले अधिकारियों के पास जांच के लिए लंबित हैं, वह अभी तक किसी भी मामले में आरोपी नहीं है। एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि संपत्ति के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही को प्रमाणित करने के लिए जवाब के साथ कोई भी सामग्री प्रस्तुत नहीं की गई है। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए कलेक्टर तथा डीसीपी अपराध शाखा भोपाल को कार्यवाही संबंधित दस्तावेज के साथ 24 घंटो में उपस्थित होने के आदेश जारी किए थे।
कोर्ट को बताया, मकान तोड़ने की कार्यवाही विधिवत
याचिका पर दो चरणों में सुनवाई हुई और इस दौरान भोपाल कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह तथा डीसीपी क्राइम अखिल पटेल व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने बताया कि अवैध रूप से निर्मित मकान को तोड़ने के लिए विधिवत कार्यवाही की गई थी। अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए जवाब प्रस्तुत करने समय प्रदान किया गया था। इसके अलावा कार्यवाही के संबंध में नोटिस चस्पा किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने मकान में रखे सामान को खुद हटाया था।
खातों से बड़ी रकम का लेन-देन
दोनों अधिकारियों की तरफ से बताया गया कि बैंक खातों से बड़ी रकम का लेन-देन होने के कारण उन्हें फ्रीज किया गया है। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद दोनों अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति को माफ करते हुए आदेश सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किए।
हाईकोर्ट जबलपुर में भोपाल कलेक्टर तथा डीसीपी क्राइम ने हाईकोर्ट में उपस्थित होकर बताया कि गैंगस्टर यासीम अहमद उर्फ 'मछली' के पारिवारिक सदस्यों के खिलाफ विधि अनुसार कार्यवाही की गई है। उनके द्वारा कार्यवाही संबंधित दस्तावेज भी हाईकोर्ट में पेश किए गए। हाईकोर्ट जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने दस्तावेजों को रिकॉर्ड में लेते हुए उपस्थित दोनों अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति माफ करने के आदेश जारी किए हैं। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है।
याचिका में कहा-कोई आपराधिक प्रकरण नहीं
भोपाल के गैंगस्टर यासीन अहमद उर्फ मछली के परिवारिक सदस्यों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि पुलिस व प्रशासन निशाना बनाते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं है। उनके अलावा अन्य लोगों ने भी सरकारी भूमि पर निर्माण किया है और वर्षों से निवासरत है। जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा सिर्फ उनकी संपत्तियों को ध्वस्त किया है। उनके अलावा किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई है। उनके बैंक खाते फ्रीज और शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं। ईमेल आईडी ब्लॉक कर दी गई है,जिसके कारण वह कोई भी व्यावसायिक गतिविधि करने की स्थिति में नहीं हैं।
याचिका लगाने वालों के खिलाफ जांच लंबित
याचिका पर सुनवाई के दौरान एकलपीठ की तरफ से पूछा गया कि याचिकाकर्ता किसी भी मामले में आरोपी हैं। सरकारी अधिवक्ता की तरफ से बताया गया कि मामले अधिकारियों के पास जांच के लिए लंबित हैं, वह अभी तक किसी भी मामले में आरोपी नहीं है। एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि संपत्ति के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही को प्रमाणित करने के लिए जवाब के साथ कोई भी सामग्री प्रस्तुत नहीं की गई है। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए कलेक्टर तथा डीसीपी अपराध शाखा भोपाल को कार्यवाही संबंधित दस्तावेज के साथ 24 घंटो में उपस्थित होने के आदेश जारी किए थे।
कोर्ट को बताया, मकान तोड़ने की कार्यवाही विधिवत
याचिका पर दो चरणों में सुनवाई हुई और इस दौरान भोपाल कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह तथा डीसीपी क्राइम अखिल पटेल व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने बताया कि अवैध रूप से निर्मित मकान को तोड़ने के लिए विधिवत कार्यवाही की गई थी। अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए जवाब प्रस्तुत करने समय प्रदान किया गया था। इसके अलावा कार्यवाही के संबंध में नोटिस चस्पा किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने मकान में रखे सामान को खुद हटाया था।
खातों से बड़ी रकम का लेन-देन
दोनों अधिकारियों की तरफ से बताया गया कि बैंक खातों से बड़ी रकम का लेन-देन होने के कारण उन्हें फ्रीज किया गया है। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद दोनों अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति को माफ करते हुए आदेश सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किए।
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