नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभय एस. ओका ने बुधवार को इस बात पर आश्चर्य जताया कि क्या दिवाली और क्रिसमस जैसे त्योहारों के दौरान पटाखे फोड़ना धर्म का अनिवार्य हिस्सा है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि इससे वृद्धों, अशक्तों और पशुओं पर कितना बुरा असर पड़ता है।
अपने कार्यकाल के दौरान स्वच्छ वायु का जोरदार समर्थन करने वाले पूर्व न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की व्याख्यान श्रृंखला में ‘स्वच्छ वायु, जलवायु न्याय और हम - एक सतत भविष्य के लिए एक साथ’ विषय पर संबोधित कर रहे थे।
त्योहारों के साथ शादियों में फोड़े जाते हैं पटाखे
न्यायमूर्ति ओका ने कहा, 'पटाखे फोड़ना सिर्फ दिवाली और हिंदू त्योहारों तक ही सीमित नहीं है। मैंने देखा है कि भारत के कई हिस्सों में ईसाई नववर्ष के पहले दिन भी पटाखे फोड़े जाते हैं। लगभग सभी धर्मों के लोगों की शादियों में पटाखे जलाए जाते हैं।'
न्यायाधीश ने कहा, क्या कोई यह कह सकता है कि पटाखे फोड़ना किसी भी धर्म का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो अनुच्छेद 25 (धर्म के स्वतंत्र पालन, आचरण और प्रचार) के तहत संरक्षित है?' उन्होंने आश्चर्य जताया कि पटाखे फोड़कर कोई आनंद और खुशी कैसे प्राप्त कर सकता है, जो बूढ़ों और अशक्तों, पक्षियों और जानवरों को के लिए परेशानी का सबब बनता है।
न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि जो लोग ‘एयर प्यूरीफायर’ खरीद सकते हैं, वे इसे रखकर अपनी सुरक्षा कर सकते हैं, लेकिन यह विलासिता सभी के लिए उपलब्ध नहीं है।
राजनेताओं के अपील न करने पर जताई नाराजगी
उन्होंने कहा, दिल्ली के प्रदूषण की बात करें तो, इस हॉल में बैठे हम सभी के घरों और कार्यालयों में एयर प्यूरीफायर हैं, लेकिन दिल्ली की बड़ी आबादी इन उपकरणों का खर्च नहीं उठा सकती। पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि किसी भी राजनीतिक नेता ने जनता से त्योहार मनाते समय प्रदूषण न फैलाने या पर्यावरण को नष्ट न करने की अपील नहीं की।
पूर्व न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि धार्मिक उत्सवों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल ध्वनि प्रदूषण का कारण बनता है, जो इंसानों के लिए हानिकारक है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसी भी धर्म में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाजत है? इस दौरान उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें अजान के लिए लाउसस्पीकर और जरूरी धार्मिक प्रथा नहीं माना गया था।
धार्मिक आयोजनों में तेज संगीत की क्या आवश्यकता?
न्यायमूर्ति ओका ने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक आयोजनों में तेज संगीत की क्या आवश्यकता है। उन्होंने पूछा कि क्या हम यह नहीं समझते कि यह ध्वनि प्रदूषण, खासकर बुजुर्गों और बीमार लोगों को प्रभावित करता है। उन्होंने यह भी पूछा कि पटाखे फोड़ने या लाउडस्पीकर बजाने से हमें क्या खुशी मिलती है।
न्यायमूर्ति ओका ने कहा, 'हम लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है जो मानव शरीर को प्रभावित करता है। संगीत इतना तेज होता है कि कुछ इमारतें कांपने लगती हैं, गाड़ियां कांपने लगती हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'मुझे विश्वास नहीं है कि कोई भी धर्म किसी भी त्योहार को मनाने में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की अनुमति देता है या प्रोत्साहित करता है।'
अपने कार्यकाल के दौरान स्वच्छ वायु का जोरदार समर्थन करने वाले पूर्व न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की व्याख्यान श्रृंखला में ‘स्वच्छ वायु, जलवायु न्याय और हम - एक सतत भविष्य के लिए एक साथ’ विषय पर संबोधित कर रहे थे।
त्योहारों के साथ शादियों में फोड़े जाते हैं पटाखे
न्यायमूर्ति ओका ने कहा, 'पटाखे फोड़ना सिर्फ दिवाली और हिंदू त्योहारों तक ही सीमित नहीं है। मैंने देखा है कि भारत के कई हिस्सों में ईसाई नववर्ष के पहले दिन भी पटाखे फोड़े जाते हैं। लगभग सभी धर्मों के लोगों की शादियों में पटाखे जलाए जाते हैं।'
न्यायाधीश ने कहा, क्या कोई यह कह सकता है कि पटाखे फोड़ना किसी भी धर्म का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो अनुच्छेद 25 (धर्म के स्वतंत्र पालन, आचरण और प्रचार) के तहत संरक्षित है?' उन्होंने आश्चर्य जताया कि पटाखे फोड़कर कोई आनंद और खुशी कैसे प्राप्त कर सकता है, जो बूढ़ों और अशक्तों, पक्षियों और जानवरों को के लिए परेशानी का सबब बनता है।
न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि जो लोग ‘एयर प्यूरीफायर’ खरीद सकते हैं, वे इसे रखकर अपनी सुरक्षा कर सकते हैं, लेकिन यह विलासिता सभी के लिए उपलब्ध नहीं है।
राजनेताओं के अपील न करने पर जताई नाराजगी
उन्होंने कहा, दिल्ली के प्रदूषण की बात करें तो, इस हॉल में बैठे हम सभी के घरों और कार्यालयों में एयर प्यूरीफायर हैं, लेकिन दिल्ली की बड़ी आबादी इन उपकरणों का खर्च नहीं उठा सकती। पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि किसी भी राजनीतिक नेता ने जनता से त्योहार मनाते समय प्रदूषण न फैलाने या पर्यावरण को नष्ट न करने की अपील नहीं की।
पूर्व न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि धार्मिक उत्सवों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल ध्वनि प्रदूषण का कारण बनता है, जो इंसानों के लिए हानिकारक है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसी भी धर्म में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाजत है? इस दौरान उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें अजान के लिए लाउसस्पीकर और जरूरी धार्मिक प्रथा नहीं माना गया था।
धार्मिक आयोजनों में तेज संगीत की क्या आवश्यकता?
न्यायमूर्ति ओका ने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक आयोजनों में तेज संगीत की क्या आवश्यकता है। उन्होंने पूछा कि क्या हम यह नहीं समझते कि यह ध्वनि प्रदूषण, खासकर बुजुर्गों और बीमार लोगों को प्रभावित करता है। उन्होंने यह भी पूछा कि पटाखे फोड़ने या लाउडस्पीकर बजाने से हमें क्या खुशी मिलती है।
न्यायमूर्ति ओका ने कहा, 'हम लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है जो मानव शरीर को प्रभावित करता है। संगीत इतना तेज होता है कि कुछ इमारतें कांपने लगती हैं, गाड़ियां कांपने लगती हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'मुझे विश्वास नहीं है कि कोई भी धर्म किसी भी त्योहार को मनाने में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की अनुमति देता है या प्रोत्साहित करता है।'
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