अच्छी बात ये है कि अमेरिका में विदेशी डॉक्टर्स को प्रैक्टिस की इजाजत है। मगर जॉब पाने से पहले कुछ शर्तों को पूरा करना होता है। अब यहां सवाल उठता है कि अगर यूएस में विदेशी डॉक्टर्स जॉब कर सकते हैं, तो क्या फिर भारत से MBBS करने वाले भी यहां जाकर जॉब पा सकते हैं। इसका जवाब हां है, लेकिन डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस करने से पहले उन्हें कुछ टेस्ट भी पास करने होते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि भारत से MBBS के बाद अमेरिका में किस तरह मेडिकल प्रैक्टिस की जा सकती है?
MBBS के बाद अमेरिका में जॉब कैसे करें?
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (AMA) का कहना है कि विदेश से मेडिकल डिग्री लेकर आने वाले स्टूडेंट्स को 'एजुकेशनल कमीशन फॉर फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स' (ECFMG) से सर्टिफिकेशन हासिल करना होगा। इस सर्टिफिकेशन से ये साबित होता है कि विदेश से मिली मेडिकल डिग्री अमेरिकन स्टैंडर्ड के बराबर है। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि मेडिकल प्रैक्टिस से पहले 'यूनाइटेड स्टेट्स मेडिकल लाइसेंसिंग एग्जामिनेशन' (USMLE) भी पास करना पड़ेगा, जो मेडिकल लाइसेंस एग्जाम है। आइए अब विस्तार से समझते हैं कि MBBS के बाद अमेरिका में मेडिकल प्रैक्टिस कैसे करें। (Pexels)
1. ECFMG सर्टिफिकेशन हासिल करना

MBBS करके अमेरिका आने पर आपको अपनी डिग्री ECFMG से वेरिफाई कर सर्टिफिकेशन हासिल करना होगा। सभी विदेशी मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए इस सर्टिफिकेशन को हासिल करना जरूरी है, क्योंकि इसके आधार पर ही रेजिडेंसी प्रोग्राम में एंट्री मिलेगी। ये सर्टिफिकेशन तय करता है कि आपकी डिग्री अमेरिकी स्टैंडर्ड के हिसाब से है। (Pexels)
2. USMLE पास करना
भारतीय डॉक्टर्स के लिए USMLE एग्जाम पास करना भी जरूरी है। ये एग्जाम तीन स्टेप में होता है और यहां प्रैक्टिस के लिए तीनों को पास करना अनिवार्य है। पहले स्टेप के एग्जाम में बेसिक मेडिकल साइंस की समझ को जाना जाता है। दूसरा स्टेप क्लिनिकल नॉलेज और स्किल को परखता है। तीसरा स्टेप मरीजों की देखभाल से जुड़े क्लिनिकल साइंस और बायोमेडिकल नॉलेज का पता लगाता है। (Pexels)
3. रेजिडेंसी प्रोग्राम में दाखिला

USMLE एग्जाम पास करने के बाद अमेरिका में रेजिडेंसी प्रोग्राम के लिए अप्लाई करना होता है। ये एक पोस्टग्रेजुएट ट्रेनिंग पीरियड होता है, जहां प्रैक्टिकल ट्रेनिंग मिलती है और साथ ही किसी फील्ड में स्पेशलाइजेशन का ऑप्शन दिया जाता है। कुछ ऐसे रेजिडेंसी प्रोग्राम भी होते हैं, जो विदेशी मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं। उसमें एंट्री की कोशिश जरूर करें। (Pexels)
4. वीजा स्पांसरशिप हासिल करना

रेजिडेंसी प्रोग्राम में सेलेक्ट होने के बाद आपको अमेरिका में काम करने के लिए वीजा की जरूरत पड़ेगी। भारतीय MBBS ग्रेजुएट्स के लिए सबसे ज्यादा पॉपुलर J-1 वीजा है, जो एक्सचेंज विजिटर वीजा होता है। ECFMG खुद इस वीजा के लिए स्पांसर करता है। इसके अलावा कुछ रेजिडेंसी प्रोग्राम H-1B वीजा स्पांसरशिप भी देती हैं, जो एंट्री-लेवल पॉजिशन के लिए होता है। (Pexels)
5. स्टेट मेडिकल लाइसेंस पाना
रेजिडेंसी प्रोग्राम पूरा होने में 3 से 7 साल लग जाते हैं। इसे खत्म करने के बाद अमेरिका के जिस भी राज्य में प्रैक्टिस करना है, वहां का लाइसेंस हासिल करना होगा। हर राज्य की अपनी-अपनी लाइसेंसिंग पॉलिसी है। हालांकि, आमतौर पर वे USMLE एग्जाम रिजल्ट, रेजिडेंसी प्रोग्राम पूरा करने का सबूत और मेडिकल एजुकेशन का प्रमाण दिखाने पर लाइसेंस दे देते हैं। इसके बाद आप डॉक्टर बनकर जॉब कर सकते हैं। (Pexels)
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