मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के रतनपुरी क्षेत्र के कल्याणपुर गांव में बुधवार को आयोजित मुस्लिम जन क्रिकेट प्रतियोगिता विवादों में घिर गई। आयोजकों के दो गुटों के बीच खिलाड़ियों की भागीदारी को लेकर तीखी बहस छिड़ गई, जो देखते ही देखते तनावपूर्ण हो गई। पुलिस प्रशासन ने हस्तक्षेप करते हुए आठ लोगों का शांति भंग करने के आरोप में चालान काटा और मैदान पर पहुंची दोनों टीमों को उद्घाटन का इंतजार किए बिना लौटने पर मजबूर कर दिया। प्रतियोगिता पर फिलहाल अस्थायी रोक लगा दी गई है।
'केवल मुस्लिम खिलाड़ी' शर्त बनी आग का तेलप्रतियोगिता के प्रचार पोस्टर में स्पष्ट रूप से लिखा था कि यह टूर्नामेंट केवल मुस्लिम बिरादरी के खिलाड़ियों के लिए आयोजित किया जा रहा है। आयोजकों के पहले गुट ने इसे अपनी सामुदायिक पहल बताया, लेकिन दूसरे गुट ने इस शर्त को भेदभावपूर्ण और अपमानजनक करार दिया। नदीम, हारून, आशिक अली, मेहताब समेत अन्य लोगों ने सभी जातियों के खिलाड़ियों को शामिल करने की मांग उठाई, जिससे बहस तेज हो गई।
देखते ही देखते मामला हाथापाई तक पहुंच गया। दोनों पक्षों के लोग स्थानीय थाने पहुंचे, जहां समझौते की कोशिश नाकाम रही। ग्रामीणों के अनुसार, यह विवाद सामुदायिक एकता को लेकर उठा, लेकिन जल्दी ही भावनाओं का केंद्र बन गया।
मैदान खाली, चालान काटाविवाद की सूचना मिलते ही स्थानीय थाना प्रभारी की अगुवाई में भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा। मैदान पर उद्घाटन का इंतजार कर रही दोनों टीमों को तत्काल रोक दिया गया। पुलिस ने आयोजन स्थल का निरीक्षण किया और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए मुनादी कराई।
दोनों पक्षों के आठ लोगों जिनमें आयोजकों के प्रमुख सदस्य शामिल हैं के खिलाफ शांति भंग की धारा के तहत चालान काटा गया। पुलिस ने साफ चेतावनी दी कि किसी भी प्रकार की अशांति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इससे मैदान खाली हो गया और टीमें निराश होकर लौट गईं।
सुलह की कोशिशें जारी, प्रशासन सतर्कफिलहाल प्रतियोगिता पर पूर्ण रोक लगा दी गई है। आयोजकों के दोनों गुटों के बीच सुलह की कोशिशें जारी हैं, जिसमें स्थानीय पंचायत सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता मध्यस्थता कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने स्थिति पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी है। ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना गांव की शांति को प्रभावित न करे, इसके लिए सभी पक्षों को संयम बरतना चाहिए।
'केवल मुस्लिम खिलाड़ी' शर्त बनी आग का तेलप्रतियोगिता के प्रचार पोस्टर में स्पष्ट रूप से लिखा था कि यह टूर्नामेंट केवल मुस्लिम बिरादरी के खिलाड़ियों के लिए आयोजित किया जा रहा है। आयोजकों के पहले गुट ने इसे अपनी सामुदायिक पहल बताया, लेकिन दूसरे गुट ने इस शर्त को भेदभावपूर्ण और अपमानजनक करार दिया। नदीम, हारून, आशिक अली, मेहताब समेत अन्य लोगों ने सभी जातियों के खिलाड़ियों को शामिल करने की मांग उठाई, जिससे बहस तेज हो गई।
देखते ही देखते मामला हाथापाई तक पहुंच गया। दोनों पक्षों के लोग स्थानीय थाने पहुंचे, जहां समझौते की कोशिश नाकाम रही। ग्रामीणों के अनुसार, यह विवाद सामुदायिक एकता को लेकर उठा, लेकिन जल्दी ही भावनाओं का केंद्र बन गया।
मैदान खाली, चालान काटाविवाद की सूचना मिलते ही स्थानीय थाना प्रभारी की अगुवाई में भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा। मैदान पर उद्घाटन का इंतजार कर रही दोनों टीमों को तत्काल रोक दिया गया। पुलिस ने आयोजन स्थल का निरीक्षण किया और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए मुनादी कराई।
दोनों पक्षों के आठ लोगों जिनमें आयोजकों के प्रमुख सदस्य शामिल हैं के खिलाफ शांति भंग की धारा के तहत चालान काटा गया। पुलिस ने साफ चेतावनी दी कि किसी भी प्रकार की अशांति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इससे मैदान खाली हो गया और टीमें निराश होकर लौट गईं।
सुलह की कोशिशें जारी, प्रशासन सतर्कफिलहाल प्रतियोगिता पर पूर्ण रोक लगा दी गई है। आयोजकों के दोनों गुटों के बीच सुलह की कोशिशें जारी हैं, जिसमें स्थानीय पंचायत सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता मध्यस्थता कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने स्थिति पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी है। ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना गांव की शांति को प्रभावित न करे, इसके लिए सभी पक्षों को संयम बरतना चाहिए।
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