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लखनऊ में उज्बेकिस्तानी महिला केस: डीएल जारी होने और आधार कार्ड बनने की जांच शुरू, लगी पुलिस की टीमें

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सुशील कुमार, लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विदेशी महिलाओं के पहचान छुपाकर रहने के मामले की जांच तेज कर दी गई है। उज्बेकिस्तान की युवतियों को भारत बुलाकर पहचान छिपाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी करवाने और स्पा सेंटर सप्लाई करने वाले गैंग की लीडर लोला कायूमोवा का डीएल बनने की जांच शुरू हो गई है। डीएल में पिता/पति के तौर पर जनक प्रताप सिंह का नाम दर्ज है। एलआईयू और पुलिस की टीमें पता लगा रही हैं कि आखिर जनक कौन है और गैंग में उसकी क्या भूमिका है। वहीं, यूआईडीएआई ने आधार कार्ड बनने की प्रक्रिया की भी जांच शुरू कर दी है।



डीसीपी एआईयू का चार्ज देख रहे डीसीपी सेंट्रल आशीष श्रीवास्तव के मुताबिक मामले की गंभीरता को देखते हुए एलआईयू को पता लगाने के निर्देश दिए गए हैं कि गैंग लीडर लोला कायूमोवा का आधार कार्ड कैसे बना? इसके साथ ही डीएल लाइसेंस की प्रक्रिया भी बिना रोकटोक कैसे पूरी हो गई? साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि शहर में अवैध रूप से उज्बेकिस्तान की कितनी और युवतियां है और उनके कौन-कौन से दस्तावेज बनवाए गए हैं?



गैंग लीडर, अन्य का सुराग नहींपुलिस लगातार गैंग लीडर लोला, उसके लिव इन पार्टनर त्रिजिन राज उर्फ अर्जुन राणा व अन्य आरोपितों की तलाश में जुटी है। हालांकि सभी के फोन बंद हैं। इस बीच न्यू हजरतगंज में अवैध रूप से रह रही उज्बेकिस्तान की होलिडा और नीलोफर को डिपार्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इससे पहले सुरक्षा एजेंसियां दोनों से कई चरणों में पूछताछ कर चुकी है। पता लगाया जा रहा है कि उज्बेकिस्तान से कितनी युवतियां आई हैं और कहां रहकर क्या कर रही हैं?



वहीं, दोनों की प्लास्टिक सर्जरी करने वाले पत्रकारपुरम निवासी डॉ.विवेक गुप्ता का भी सुराग नहीं लग सका है। पुलिस फिलहाल उसके कर्मचारियों पर नजर रखे है। साथ ही पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि डॉक्टर अब तक कितने विदेशियों की प्लास्टिक सर्जरी से चेहरा बदल चुका है?



ऐसे बना था लोला का डीएलसुशांत गोल्फ सिटी स्थित ओमेक्स न्यू हजरतगंज विल्डिंग में अवैध रूप से रहने वाली उज्बेकिस्तान निवासी महिला लोला का ड्राइविंग लाइसेंस वेरिफाइड आधार कार्ड से फेसलेस बना है। यानी कि आधार कार्ड वैध है। उस पर मोबाइल नंबर भी रजिस्टर्ड है। गैंग लीडर महिला ने पहले फेसलेस (घर बैठे) लर्निंग लाइसेंस बनवाया। इसके बाद 11 जून को आरटीओ पहुंचकर लर्निंग लाइसेंस को परमानेंट करवाया था।



उज्बेकिस्तान से युवतियों को अच्छी कमाई का झांसा देकर भारत लाने और स्पा सेंटर में सप्लाई करने वाली गैंग की लीडर लोला ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के दौरान आधार कार्ड दिया था। आधार के अंतिम चार अंक 2679 हैं। आधार कार्ड में दर्ज मोबाइल नंबर भी भारतीय है, जिसके अंतिम पांच अंक 01768 है।



मोबाइल नंबर पर बिजनेस वॉट्सऐप संचालित है, जिसमें ब्यूटी ऐंड कॉस्मेटिक दर्ज है। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए सबसे जरूरी दस्तावेज आधार कार्ड ही है। इसमें ओटीपी बेस्ड व्यवस्था है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर आधार कार्ड बना कैसे?



फर्जीवाड़े पर जिम्मेदारों की चुप्पीलर्निंग लाइसेंस की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद कई फर्जीवाड़े सामने आ चुके हैं। हालांकि पूरे मामले में परिवहन विभाग के जिम्मेदारों ने चुप्पी साध रखी है। लखनऊ में एक मरे हुए व्यक्ति का लर्निंग लाइसेंस तक जारी हो गया था। परिवहन विभाग का सॉफ्टवेयर यही पकड़ नहीं पाता है कि कैमरे के सामने बैठा व्यक्ति कौन है। फर्जीवाड़ा करने वाले इसी खामी का फायदा उठाते हैं।



कई बार खुली पोलपरिवहन विभाग की ऑनलाइन व्यवस्था में खामी को एनबीटी भी प्रमुखता से उठा चुका है। दलालों का सिंडिकेट खामी का फायदा उठाकर कमाई में जुटा है। लर्निंग लाइसेंस में आवेदन की प्रक्रिया और सॉफ्टवेयर की तकनीकी खामियों से कई बार दिक्कत आती है। आरटीओ पहुंचने पर मदद नहीं मिलती है। इसी का फायदा उठाकर दलाल अपने चंगुल में फंसा लेते हैं।



दो से तीन हजार रुपये अतिरिक्त लेकर लाइसेंस बनवाते हैं। खामी सामने के बाद हर बार सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (मोर्थ) की व्यवस्था बताकर परिवहन विभाग चुप्पी साध लेता है।



विदेशी का बन जाता है आधारयूआईडीएआई के एक अधिकारी ने बताया कि वैलिड पहचान पत्र के बिना किसी का भी आधार कार्ड नहीं बन सकता है। आधार कार्ड भारत में रहने वाले शख्स का पहचान पत्र है। अगर कोई विदेशी भारत में 183 दिन से अधिक समय से रह रहा है तो वह भी अपना आधार बनवा सकता है।



हालांकि, इसके लिए उसे वोटर आईडी कार्ड/निवास प्रमाण पत्र के अलावा पासपोर्ट व वीजा की छाया प्रति के साथ ही ऑनलाइन आवेदन करना होता है। फिर भी लोला का आधार कार्ड कैसे बना है? इसकी जांच की जा रही है।

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